🌅ये तेरे मेरे सपनो की हकीकत का मुकाम जन्हा कन्हआ है प्राप्ति
तेरे मेरे बीच तृप्ति का फलसफा क्या नया है तुम कभी
मानोगी तृप्ति में शिव बनू या विष्णू तुम कब रोहित होगी
न मुझे अलविदा कहना न तुम्हे रुकना,तेरे साथ सफर
पर चलते काफिले का सच क्या जानना जरूरी है तृप्ति
चल आज नया रुख करते हैं में कहानी लिखता हूं प्राप्ति
तू निगेहबान बन जा मै मुस्करा दू तू मोहब्त बन जा मेरे
संसार की पैरवी तो कर, आज क्या फिर से उगाऊ तुम्हे
क्या चांद सूरज की तृप्ति बताऊं मेरे चक्रों का खेल
निराला है आज तृप्ति में घर्षण और साथ चलने की कहानी बात बताऊं मेरे सहोदरो की बात या उनके अंक
विश्वाश अंधविश्वास के किस्से क्या बताऊं, तू किसके हक में जायेगी मेरी तृप्ति मेरी प्राप्ति और कितना तृष्णा
का खेल चल मांन जा कुछ प्रेम की बाते करते हैं हौसला अफजाई करते हैं मै संपूर्ण हुं तेरे बिना ऐसा कहा ही कब
चल आज हंस लेते कुछ गुगूना लेते है में रहबर तू रूबाई बन जा, मै गुनगुनाऊ तू सितार बन जा,चल तृप्ति आज मेरी प्राप्ति बन जा🥰⛄
मल्लिका स्प्रिचुअल काउंसलर