इश्क
ये केसा मकाम है इश्क का
वो तनहा रहा उमार भर के लिए
और मेरा पता हाथ में उसके लिखा था
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तय तो कर रहे है हम ये जिंदगी का सफ़र रफ्ता रफ्ता
मगर न प्यास बुझती है न जहन खामोश रहता है
तमाम जिंदगी यही सिलसिला चलता रहता है
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में आँसू अपने देखा कर थक गया
चल अब तो कोई मुस्कुराता चेहरा देखें
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हर किसी से इस अदा से न मिला करो तुम
वर्ना क़त्ल सरे आम हो जायेगा
आपका कुछ नहीं जायेगा हमारा तो सब कुछ जायेगा
आप से तो किस्सा भी बयां न किया जायेगा
आप ने कहा तो नहीं साथ चलने मगर
अब तनहा पशेमा कंहा जायेगा
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कितने बेखबर हो मेरी दुनिया से
है बहुत वक़्त तुम्हारे पास औरो के लिए
बस मुझे ही तनहा किया तुमने
मेरी चाहत परेशां हो गयी
तुमसे मोहबत करके में परेश हो गयी
अब न अपनी ही रह सकी
न तुम्हारी ही हो गयी
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