मंगलवार, 25 जून 2013

कभी कभी

 कभी  कभी


इश्क का ले के सहारा कभी  कभी  ;
हम  ने तुमको   पुकारा  कभी  कभी ;

इतनी मुश्किल है की जिए केसे फिर भी ;
हम  ने  लिया  है  नाम  तुम्हारा  कभी  कभी ;

तूफ़ान  का  खौफ  है अभी  शायद
आता  है  सामने  जो  किनारा  कभी  कभी ,

अब  क्या  कहें  दिल मिज़ाज  को ,
अक्सर  ये  आप  का  है ,हमारा  कभी  कभी ;

फरियाद है तो बस इतनी
की तेरी  महफ़िल हो मेरा गुज़ारा कभी कभी
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मंगलवार, 18 जून 2013

दस्तक

 दस्तक

 


चाँद उतर आया खिड़की पर , सर्द हवा दस्तक दे जाती है
चादर पर सिलवट पड़ जाती है, और तकिया नम हो जाता है

एहसास,तुम्हारा ही नाम लेकर दिल ही दिल में बातें करते है
रुक रुक कर धीरे धीरे मेरा जीना मरना दुशवार करते है

किस कदर हैरत से गुज़रती है ये जिंदगानी 
मन के सितार में सुरों की माला, सब महफ़िल  को बेजार करते है 

दर बा दर

 दर बा दर

खोज रहा मन गंध सुहानी
पनघट नदिया , गागर
मेरी प्यास भटकती दर बा दर

ये केसा अंजना सा भ्रम है
मेरी रूह  भटकती दर दर
लबो की मुस्कराहट की
कीमत गले में बान्हे तेरी
इसी चाहत में मेरी साँस
भटकती दर दर ,

सुलगता जिस्म खामोश राहे
दिल का कुसूर,वफ़ा के नाम पर
तरसता दर बा दर

जज्बातों की अंधी ,तबस्सुम के चराग
सब के सब, समय की मार
के सताए भटकते दर बा दर

ये  सोहबत का असर है की
की सुकून भटकता दर बा दर दोस्तों .
आज भी मिलता है तो कहता हूं
कुछ अपना हाल, ही बता दे,
कमबख्त मुस्कुराहट के सिवा कुछ
और किस्सा भी बंया कर ...

शुक्रवार, 14 जून 2013

शिकायत

 

शिकायत


यकिनन  वो मुझ से हर रोज मिलता है
मगर  चेहरे से उदास लगता है
मुझसे शिकायत तो बहुत है उसे
मगर खामोशियो का अशिया लगता है
न अपना पता देता है न मेरी खबर लेता है
जाने किस दुनिया में रहता है
गुजारिस है अब की मुझे बुझा ही दे
की में यऊही मुकमल हो जाऊ
एक ये ही सही कुछ सिलअ तो मिले
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https://spritualcounselling.wordpress.com/blog/

इश्क

इश्क

ये  केसा  मकाम  है   इश्क  का
वो  तनहा  रहा  उमार  भर  के  लिए
और  मेरा  पता  हाथ  में  उसके  लिखा  था
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तय तो कर  रहे है हम ये जिंदगी का सफ़र  रफ्ता रफ्ता
मगर न प्यास बुझती  है न जहन  खामोश रहता है
तमाम  जिंदगी यही सिलसिला चलता रहता है
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में आँसू अपने देखा कर थक गया
चल अब तो कोई मुस्कुराता चेहरा देखें
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हर किसी से इस अदा से न मिला करो तुम
वर्ना क़त्ल सरे आम हो जायेगा

आपका कुछ नहीं जायेगा हमारा तो सब  कुछ जायेगा
आप से तो किस्सा भी बयां न किया जायेगा

आप ने कहा तो नहीं साथ चलने मगर
अब तनहा पशेमा कंहा जायेगा
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कितने बेखबर हो मेरी दुनिया से
है बहुत वक़्त तुम्हारे पास औरो के लिए
बस मुझे ही तनहा किया तुमने
मेरी चाहत परेशां हो गयी
तुमसे मोहबत करके में परेश हो गयी
अब न अपनी ही रह सकी
न तुम्हारी ही हो गयी
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मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...