इंतजार रह गया
तमाम उम्र का किस्सा अनकहा ही रह गया
न मै उसको समझ सका न वो मुझे
कही दूर दिलो में कुछ टुटा रह गया।
एक अजाब सा मंज़र रह गया
बस रेत सा फिसलत वक़्त रह गया
न वो मुझे अब पुकारता है न में उसे
चंद सांसो का पिंजरा रह गया
न जिंदगी का शोक मुझे अब रहा
बस रुख्सत का इंतजार रह गया।
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