तो कभी इश्क़ की ज़बानी, सुनो मुझे तुम मैं तुम्हे
समझ नही सकती तुम मुझे इल्जाम दे नही सकते
क्या कुछ ऐसा होता हम कोई राह निकालते तुम
भी विचार करो में कुछ विचार करूँगी,मैं खूबसूरत
और तुम समझदार, मै नाजूक और तुम जिम्मेदार
मै भी आजकल जिम्मेदारी निभाती हूं, में भी
सहयोग देती हूं, क्या मेरे व्रत उपवास तुम्हे अच्छे
लगते है, या फिर तुम्हे बस दुःख के फ़साने अच्छे
लगते है माना तुम्हारी जरूरत भी हैं, पर जिम्मेदारी
निभा रहे मेरे तुम्हारे कितने फ़साने कितने किस्से
चलो मिल कर कुछ करते है जिम्मेदारी कोई भी
सम्हाल ते हैं और समस्या के समाधान निकलते है
🌸मल्लिका जैन💮