गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

पहचान

पहचान खुद को नहीं पाते,रास्ते भी अक्सर
कुछ और ही होते,गुमनाम सी पहचान कन्हा
अपनी बची, अक्सर पहचान बनाई कभी,
हर बात मुझ से दूर खो गई,आज फिर सोच
रही कोन सी आशा की किरण पहचान,अपनी
बनाऊंगी,💐
मल्लिका जैन

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...