सच जाना तो पता चला,हकीकत कभी मिटती नहीं,
चाहे जितने प्रयास करें, सच ऐसा रच जाता हैं कि झूठ
अपने आप ही बिक जाता हैं,कितनी जुबां और भाषाओं
मै बात करें,हकीकत में ये मन सब जानता है, सम्पूर्ण सत्य कहते हैं पूत के पांव पालने में नज़र आते हैं,कोई
ये तो बताएं की इन्सानों की बस्ती में, इन्सान कोन है
या किसी तरह से उम्र की दहलीज पार कर उतरने की
कोशिश में,मेरी अपनी हकीकत क्या है, मै क्या कहूं,और
किस से कोई अपना नहीं,प्यार एक हसीन झूठ,और
या फिर ज़िन्दा रहने की ज़िद, मौत एक हसीन सच
और फिर से ज़िन्दगी की जादोज़हत, ये इतना ही फ़साना हैं बस गुना गुनाना हैं और अपने साथ जीना है
मल्लिका जैन 😄