शनिवार, 19 सितंबर 2020

झूठ और सच

मै कब कहती अपने मन की, यंहा कोई,अपना नहीं
सच जाना तो पता चला,हकीकत कभी मिटती नहीं,
चाहे जितने प्रयास करें, सच ऐसा रच जाता हैं कि झूठ
अपने आप ही बिक जाता हैं,कितनी जुबां और भाषाओं
मै बात करें,हकीकत में ये मन सब जानता है, सम्पूर्ण सत्य कहते हैं पूत के पांव पालने में नज़र आते हैं,कोई
ये तो बताएं की इन्सानों की बस्ती में, इन्सान कोन है
या किसी तरह से उम्र की दहलीज पार कर उतरने की
कोशिश में,मेरी अपनी हकीकत क्या है, मै क्या कहूं,और
किस से कोई अपना नहीं,प्यार एक हसीन झूठ,और
या फिर ज़िन्दा रहने की ज़िद, मौत एक हसीन सच 
और फिर से ज़िन्दगी की जादोज़हत, ये इतना ही फ़साना हैं बस गुना गुनाना हैं और अपने साथ जीना है
मल्लिका जैन 😄

शनिवार, 12 सितंबर 2020

अग्नि 🔥

अग्नि को जलने से फुर्सत नहीं,अग्नि को कितना
और कब बदला स्वरूप दिख जाएगा, मुस्कुराएगा कोन,
ये बेजुबान या फिर अग्नि किसी को अपने लिए,कहता
सुनता पाएगी,आज कोन सीता अग्नि परीक्षा देगी,या
फिर कोई रावण अग्नि के हवाले जाएगा,या फिर कोई
अपनी,अग्नि से अग्नि शस्त्र बनाएगा, मुझ को तो
पता नही चलता शायद अग्नि को कुछ पता चल जाए,
मल्लिका जैन🎉

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

प्रेम की व्यथा

ये जीवन की धारा और अपनों का अपनों से प्रेम
की व्यथा,,💗प्रेम के शिखर पर जाए कोन,प्रेम
को समझें कोन,कितने रूप में इसने खुद को 
सजा और सवार लिया,जिसे समझ आ गया वो
पार उतर गया,फिर कान्हा से ये कौन चला आया,
दिखता सुन्दर और आकर्षक,व्यक्तित्व से पूर्ण,
अपनी धुन में रचा बसा, गुनगुनाता चला,देखो,
आज धरती पर ये कौन आ गया,,तो प्रेम ने प्रेम
की चाल समझ ली,अपनी धुन और अपनी थाह
की राह ली,🔥की भी गरमी और💦 बूंदों का संसार
बस यही एक ☯️ प्रेम का संसार🎉
मल्लिका जैन 😄

मंगलवार, 8 सितंबर 2020

अपनी बात 😀

अपनी बात को कहने सुनने में भी भला कभी
वक्त लगता है एक तुम हो जो सुनते,हो  एक मै
हूं जो कहती हूं,एक तुम हो जो बोलते हो,कभी
नाराज़ तो कभी चुप ये अजनबी फिर भी पहचानी
दुनियां केसी हैं,तुम ही तुम हो या मै ही मै हूं,सोचो
क्या,कहे खुद से,न तुम कुछ समझ पाते न मै ही
बस इतना ही कहे और क्या, वक़्त से उधार कितना
ले,कितना किसका कोन चुका रहा ये भी कुछ पता
नहीं, फिर भी ज़िन्दगी, अच्छी हैं,और इसके साथ
दोस्ती भी अच्छी हैं,
मल्लिका जैन 👍😀

रविवार, 6 सितंबर 2020

साजो सामान 👍

ज़िन्दगी के साज़ और सामान की कोई और,
हकीकत होती काश अब तो मेरे पास मेरी अपनी
जागीर होती, में अब कुछ बन जाऊ ये बेहतर है,
किसी को क्या खुद को ही कुछ देने की हस्ती तो बने
काश अब मेरी ज़िन्दगी मेरी अपनी तो बने,अब क्या
और किस को बोलू, बहलाने को ख्याल अच्छे हैं,
मगर सच के सामने में कितनी छोटी हूं, आज फिर
अपना कोई फलसफा लिख रही हूं ज़िन्दगी,आज
फिर से अपना किस्सा अपने लिए लिख रही हूं
मल्लिका जैन,😀👍

बुधवार, 2 सितंबर 2020

ये मेरी बात,👍

कहते है ज़माने में, क्या"अक्सर कोशिश मे कमी रह गई"
कोई मुझे भी बताएं की कोशिश क्या करे जब अपने ही
उसे नाकाम करें,इंसानियत क्याकरे जब अकेली हो जाए
सबके अपने किस्से अपनी बातें,फिर भी हार जाने से बेहतर,फिर से कोशिश 😀👍
मल्लिका जैन 🙏

मुझ आजमाने मै 🙏

मुझे वक़्त लगा और, फिर भी काम में नहीं किया,
काश कि समझ जाओ वक़्त जब  आएगा दुनियां
से जाने का कोई साथ नहीं देगा,तमाम बातें, आज़मा
के क्या होगा,मेरी इबादत तो मेरी है वो किसी की 
जागीर नहीं, कितने भी धोखे क्यो न रचो, सच तुम
समझ जाओगे, एक दिन अपनी तक़दीर भी से सही,
कभी खुद से भी समझ दारी निभा लो तो अच्छा है,
मल्लिका जैन🌝😀

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...