कहते शक्ति मुझको, मानते भी हो क्या, कही साथ
भी चलते हो क्या जब जब चोट लगती तुम्हे साथ खड़ी
जब जब परेशानी में पढ़े मेरे रौद्र रूप में प्राणम किया
खड़े हो गए कतार में,रौद्र रूप मेरा कितना सुन्दर फिर
भी अपनी संतानों के लिए उपकार किया मेरी विनम्रतापूर्वक बातों का आकलन जब न हुआ तो रौद्र
रूप ही सामने आएगा,साथ कन्हा देते हो,न कोई हस्ती
मेरी न अस्तित्व तुम्हारा सब के सब मूढ़ता से भरे हुए किसकी गल्ती है ये सच ही सच की पहचान नही देता
तो को किसका मोल जानेगा,सदियों से उतरे नही धारा पर तुम क्या हिसाब लगाओगे, मेरे अहसासों को कितना
और कौन सा जामा पहना ओगे ,कब तक मेरे रौद्र रूप
को उकसाओगे तुम भी बच नही पाओगे चोट तो में ठीक
ही करूंगी इस रौद्र तम में भी,आखिर कभी तो समझ जाओगे
💥मल्लिका जैन💥