बुधवार, 12 अप्रैल 2023

रहमत में

💮बोलती हूँ, तो मोती झड़ते नही,गुनाह से वास्ता नही
फिर भी दर्द का सामान है, कोई अपना नही मगर
किसी अपने की मुस्कुराते का ईनतजार  है
 शब्दो को पिरोया देंखे क्या बनता हैं, 
रहमत या करम देखे क्या सच होता हैं
मल्लिका जैन🌸

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...