गुरुवार, 28 मई 2020

✨छोटी सी अच्छाई ✨

✨ अच्छी, बातों को सुनते, सीखते किन्हीं, तकलीफों से
बड़ी हो गई,अब भी रातों को नीद से डर तो नहीं पर,
अच्छा होना भी अच्छा सा लगता है,मेरे पास कुछ नहीं,
कुछ आराम के पल भी बचे नहीं,और, तरीके कितने ही
अपना लू सोचती हूं अच्छा ही होगा, चुनौतियां भी अक्सर,बनती बिगड़ जाती हैं,लोग धर्म ही क्या ईमान
के खरीददार हो नहीं सकते,अच्छाई भी अच्छी हैं और
उसकी तलाश मुझे भी, हैं अपने आस पास ही है,सोती
है पलकों में बंद आराम से कहीं, जागती अल्साई आंखों से,कभी जब डांट देती, हूं,कभी रो भी लेती हूं,पर कोई
अपना सा कान्हा है,बस एक मै और मेरी छोटी सी,
अच्छाई,आज कुछ तकलीफ़ सी हुई तो हैं,फिर भी चुप
हूं सोचती हूं शायद,फिर कुछ अच्छा जरूर होगा ।
😊मल्लिका जैन ✨

बुधवार, 27 मई 2020

😀खोशिश😄

।।हर बार कोशिश करती हूं,की कुछ तो समझ लीजिए,
फिर कोई फ़लसफ़ा बना लेते हैं, नाम भी नहीं लेती,
फिर भी,खोज खबर अपनी ले लेती हूं, आंखों में
मेरी नमी नहीं, होंठो की हंसी भी बेमानी हो गई,
तबस्सुम में फिर तराने बन ही गए,आज की कोशिश,
फिर से कुछ अच्छा करेगी,किसी की ज़िन्दगी कहीं
तो अच्छी होगी,उसको समर्पण क्या करू,जो खुद
ही,समर्पित हो गया,आज फिर से अपनी कोशिश
ज़ारी करुंगी,फिर कुछ और करूंगी अपनी राह,
फिर से वहीं है, पहुंच कर जांहा,से मेरे लिए,
मुझे ही जाना है,शायद कोशिश फिर से कामयाब
होगी, किसी दिन तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही
लूंगी, फिर से अपने लिए कोशिश करूंगी,
।।
🍀मल्लिका जैन 🍀

मंगलवार, 26 मई 2020

अजनबी दुनिया

✨अपनी ही खव्हिशो का ताना बाना,अब टूट गया
जिसकी तलाश मुझे को जाने कान्हा गया,
अब बस मै ही हूं,इस एक सच के साथ की,आज
भी, वो ईश्वर या खुदा,लोगो के धर्म में जिस तरह
भी पूजते हैं जीता तो होगा, जिस सच को मैने
जाना है,वो है तो सही,  और एक दिन मुझे भी
जाना है और अब फिर वापस नहीं आना है,
उसका पता लगता है गुम गया,अब मुझे भी,जाना
हैं ✨
मल्लिका जैन

सोमवार, 25 मई 2020

✨कुछ दिन ✨

अपने तो मिले नहीं, जाऊ कन्हा,ज़िन्दगी,अच्छी हैं
फिर भी मुझे तकलीफ़ देती हैं,मेरी तारीफ के कसीदे
क्या कोई पढ़ेगा,मेरे पास तो कुछ नहीं,सबका साथ
छूट गया अब कुछ पास नहीं,सोचती हूं,जाऊ कंहा
कोई अपना नहीं,सब मतलब के साथी,क्यों, क्योंकी
सबकी अपनी कहानी है,किसे दोष दू,और किस्से,
निवारण कराऊ,सब ऐसे ही बेवजह, इतनी बड़ी,
दुनियां जाने मैने क्या सीखा, जाने उसने क्या सिखाया
सब ऐसे ही तमाम हो गया,किस्सा मेरा फिर आम हो
गया,में खुद ही तलाश करती रही ख़ुदा,और वो भी
पास से गुज़रा तो ख़ामोशी से,कहीं कोई नहीं, मै अकेले
ही रहती हूं,अभी उसको तलाश करती हूं कभी खुद का
पता पूछती हूं,बस ऐसे ही  .. कुछ दिन बिताती हूं ✨

बुधवार, 20 मई 2020

🍀सच🍀

🍀सच कभी सुख और दुःख दे गया,
आज फिर मेरे लिए कुछ, नए
अपने ही सच छोड़,गया,
खुश या नहीं फिर भी मुझ से
कोई कुछ तो समझ गया
आज मेरी सच की सुबह अच्छी
आज मेरी नज़र में सच हूं।,🍀

सोमवार, 18 मई 2020

🍀रस्क कुछ ऐसे भी 🍀

🍀 यंहा कितनी ही बातें हैं,कुछ तो सच जरूर
होगा ही,सब का अपना ही किस्सा है,कोई सुनता
और कोई कहता हैं, तारीफ़ करे या फिर दर्द बाट
कर जिए,कितना सितम है उसका,कहीं तो सोचता
होगा,कुछ दिमाग भी रखता होगा, सेवा भी,खुद
करता होगा,कभी सच में दिल से हंसता होगा,
शायद कहीं तो खुश रहता होगा, कहीं तो लम्हे
सुख और सुकून के पाता होगा, मुझ से तो मतलब
नहीं,क्या खुद से भी कोई मतलब रखताहोगा
और ऐसे ही कहीं फिर निकल जाता होगा,🍀

शुक्रवार, 15 मई 2020

जमा ख़र्च

कहते हैं सब जिसको,ज़िन्दगी फिर उसी को एक
दिन मौत का नाम दे देते हैं, मुझ को ही चेन नहीं
या किसी और को भी ऐसे इल्ज़ाम देते है, ता उम्र
जीने, की इच्छा बची नहीं और मौत से भी कोई दोस्ती
रही नहीं,न तो अब तमाशों की फिक्र ही रही न अब
कोई ज़िन्दगी भी बोझ सी लगने लगी हैं, बोझ अब
उठता नहीं, और लोग तमाम बाते बना लेते हैं,
यहां किसी को किसी की फिक्र सच में नहीं है,और
मै चाह कर भी कुछ कर नहीं सकती, किसी को
ताकत का गुरूर है और किसी को अपनी ही जीत का
न किसी के पास सच है और न किसी के पास सच
का झूठ ही है,क्यों हिसाब लगाने लगे हैं,अपने घर
परिवार का, यानह यादों का जमा खर्च भी नहीं,
तामाश बिन सी दुनियां में सम्मान से जीना किसको
कहते है अब मुझ को याद भी नहीं,मेरे साथ जुड़े ही
क्यों हो,जाओ कहीं और बसेरा बनाओ,अब मेरे पास
कुछ भी नहीं,ये जूठ अच्छे नहीं ये ज़िद अच्छी नहीं
किसी को इस कदर सता ना अच्छा नहीं मज़बूरी
को कमजोरी समझ लेते हैं वो भी कोई इंसान है,
जिनको अपने जितने कि फिक्र है क्या वो सच
में भगवान,या ईश्वर या रब या गॉड कुछ है,
वो ऐसा हो ही नहीं सकता, मुझे पता नहीं कैसा होगा
फिर भी यदि कहीं होगा तो इन सब से अच्छा ही होगा
🍀✨

मंगलवार, 12 मई 2020

🙏💖 माधुर्य ज़िन्दगी का 🍀✨

✨इस ब्रम्हांड के किसी कोने में,रहता होगा,इस्वर✨
रचता जाने कितने ही ब्रम्हांड,न में उसको जानती,
न वो मुझ को समझ ता है, मेरे पास तो नहीं ,फिर
भी अपना सा लगता है, कितने ही बार कोशिश
करती उसको जानने की, कहते हैं रहता कणकण
में, आश्चर्य,फिर भी मुझ को मिलता नहीं,शायद,
व्यस्त होगा किसी और ही दुनियां में, कभी मिला
तो पूछूंगी,ठीक हो, जागते हो या सोते हों,कभी
हंसे हो, या रोए भी हो,या तुम कू छ हो भी की नहीं,
कितने,सवाल है मेरे, पर तुम तो मिलते ही नहीं,
लगता है कहीं, मै ही, धोखा तो नहीं खाती हूं,
सांस चलती है फिर भी तुम पर संदेह नहीं, पर
कुछ बताओगे कभी या यू ही,मुझे ,चलो रहने
देते हैं, तुम्हारे आस्तित्व पर मेरा प्रश्न चिह्न अब भी
बाकी है,समय मिले तो जवाब मत देना,सिर्फ मुझ
वो राह बतान,जो मै चाहती हूं,नहीं,तुम वैसे ही
अच्छे और मै ऐसी ही अच्छी 🍀✨

गुरुवार, 7 मई 2020

🍀सफ़र मेरा🍀

🍀कैसी कशमकश सफ़र की,में कुछ भी किया नहीं,
सिर्फ अपनी सच्चाई जानना चाही, अपनों को,
जन्ह तक बना प्यार ही दिया,सच मेरा तकलीफ़
कब बना पता ही नहीं,कोई कहता, हैं मै झूठ रच
देती हूं और कोई कुछ, किसको कहूं की अपने को
बचने की कोशिश करती हूं,जाने किस्से, कोन आज
भी डर सा पल जाता हैं,जिसको दूर हटाती हूं, हर पल
वहीं सामने आता है,जिसको अच्छा कहती हूं रेत सा
फिसल जाता हैं, यान्हा लोगो का मज़मा भी सच नहीं
लगता, किस धरातल पर रहती हूं अब तो ये भी पता नहीं
लगता, जिनको माफ़ किया उनको किसी ने ख़ुदा बना दिया,जिनको गुस्सा किया उनको तार दिया,मेरी ही, शक्ति, मुझे गलत कहती हैं,जिसको मेरा पता नहीं,वो
मेरा सच कहती हैं,और एक मै जो बरसो से अपना
सच जान कर भी नहीं समझ पाई, किसी ने छोटा सा,
और किसी ने बड़ा सा नाम दे दिया, कैसे,ये दुनियां
ख़ूबसूरत है, सच में सुन्दर तो है,पर मेरी कहानी कुछ
और हैं...🍀

रविवार, 3 मई 2020

🍀मेरी कोशिश 🍀

आज कल खुश हूं सोचती हूं सबक किसको सिखाऊ
ये जो तमाम बातें हैं किसको और कैसे बताऊं, मुझ को
कितना तंगाओगे, किसी दिन तो अपनी तस्वीर पर हार
चड़ाओगे,अब दुबारा कभी भी इस दुनियां में न आऊ
यही बेहतर है, यांह ज़िन्दगी भी किसी की उधार हैं
जो समझ ते हैं,मै उनसे डर ती हूं,बस वो खेर तभी तक
मनाए जब तक मै चुप हूं,मेरी सहन करने की ताकत 
को कमजोरी मत समझ लेना, मै चूप हूं क्योंकि आज
भी किसी का अदब रखती हूं,उसको भी पता नहीं
क्या सूझी की मुझे बिना वजह सजा दे दी आज,
जनता हैं मेरी नीयत फिर भी मुझ को सजा देता है,
अपने को कितना और ऊपर रखो गे, मेरी, सीरत भी
किसी की तलब गार नहीं, मुद्दत हुई, मै सोई नहीं,
और मुद्दत हुई वो रोया नहीं, काश कि मुझ से कोई
रिश्ता नहीं होता ज़माना मेरा वजूद हर बार मिटाना
चाहता है आज फिर कत्ल मेरा सारे आम करता है और
मुझ को ही सजा देता है,जरूरत खतम किसी की तो
उस को नगा है फेंक देता है,नसीहत देता है,और जीत का
सहरा बांध लेता है,कैसा है वो खुदा भगवान या जो भी
उसका नाम है, वो कम से कम ज़िन्दा तो नहीं,जिसको
जज्बातों को फिक्र नहीं वो मेरा ईश्वर नहीं हो सकता,
जिसको मेरी फिक्र नहीं, वो मेरा ईमान क्या खरीदेगा
जिसको मेरी क़दर नहीं को कभी भी मेरा रकीब नहीं,
🍀

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...