कन्हा हो तुम क्या मेरे बात सुनते हो, कैसे पुकारू तुम्हे
तुम किस रास्ते जाते हो,मुझे आजकल मिलते नही,
दोस्ती तुमसे गहरी है,मुस्कुराहट का रिश्ता अब भी बदला नहीं, मै जानती हूं की कुछ की कीमत नही होती,पर
जो ये गृहस्थी चलानी हो तो क्या करू तुमसे नहीं तो किस्से कहूं,, अच्छा आज फिर मोहब्बत जज्बात पर बात करु या कुछ या तरन्नुम क्या अच्छा अब कब
मल्लिका जैन 🥰
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