🥰असुओ की किताब पर सपनों का महल बनता हैं कोई,
जवाब जनता नहीं,या मुझे बताता नहीं,जाने कोई,
मुझे इस बार सता रहा है,मेरी इबादत का पता नहीं उसे
फिर भी मेरे फलसफे मुझ को ही सुनता है कोई,
मैं किसी को समझ पाती तो समझ भी लेती यनहा तो
मुझ को ही मुझसे डराने की कोशिश में पुराने किस्से
मुझ को सुनता कोई, न इनको किसी की परवाह न ही
अपनी ही फिक्र, न ज़मीर कोई न ही इनके वायदे कोई
सबको सबसे ही मिला दिया, और खुद खामोश हो गया
मेरे लिए तो उसका जहर ही काफी था मुझ को प्यार भरी
नफ़रत दे गया कोई,कमसे कम दुश्मनी तो ईमान से निभा, दोस्ती नहीं न सही, मेरी सोहबत का असर ले गया कोई, उसकी बाते सब सच्ची और मेरी आशिकी का सुरूर, इस क़दर सादगी से मिला,मेरा ही तमाशा बना गया कोई, फुर्सत के समय लोगो को देकर, आज ज़िन्दगी
का नया पर पाठ पढ़ा गया कोई,मेरे ही साए में रह कर,
मुझ से ही कहानियां बता गया कोई,🥰