सोमवार, 30 नवंबर 2020

उसकी सोच और नई राह

राह,बनाते बनाते,तमाम सोच किसी,तरह,
कुछ बन गई,एक ही बात कहते हुए,कितनी,
सदियां बीत गई,कभी कोई तहरीर,बनी,कभी,
कोई,कोई कहानी, समझ पाते तब तक तो,सदियां
बीत गई, हर बार मुझे किसी ने कुछ अलग,ही रचा,
आज फिर सामना हुआ,तो सोचती हूं,क्या कहूं,
बेहतर अजनबी राहे और सोच ही , में भी जाऊंगी,
किसी नई सोच और नई राह,शायद इस बार कुछ
नई राह बन जाए कोई नई सोच बन जाए💝
मल्लिका जैन👍

गुरुवार, 26 नवंबर 2020

कोई बात हो तो सही 😂

ये किसी  की नज़र लग गई है,अमन के फरिश्तों को,
हर तरफ सुकून बहुत हैं,बस कोई शिकायत कोइ
फरयाद नहीं, फ़रिश्ते,अब क्या करते हैं, मै जानती
नहीं, कोन किसको सियासत की लत लगा गया,
मेरे पास इसका फ़लसफ़ा नहीं,अपनी अपनी बात
किसका झूठ,किसका सच,मेरे पास,इसका पता नहीं,
मेरी समझ उन की बातें मानती नहीं,और मेरा अस्तित्व
इसकी परवाह कर के भी कुछ कर सकता तो क्या
बात होती,काश मेरे पास भी कुछ तो तरीके होते 🙏
मल्लिका जैन 😱

सोमवार, 23 नवंबर 2020

खूबसूरती के साथ😱

आज फिर किसने,कुछ नहीं कहा,
खूबसूरत से,कोई वायदे नहीं किए,
मेरे पुकारने पर भी वो चुप ही रहा,
थक गया शायद,मेरी अजनबी बातों
से,या शायद कभी आया ही नहीं,
ये एक खूबसूरत, ख्वाहिश के साथ,
विदा ले कर चला गया,चुप था, 
पर जाने अंजाने क्या कह गया,
पढ़ाई के उसूल,या तजुर्बे की बातें,
उम्र की दहलीज,से फिर कोन
खूबसूरत,कही चला गया 💐
मल्लिका जैन 😂

शनिवार, 21 नवंबर 2020

खुश हूं कहीं

खुश हूं कि कहीं तुम खुश हो,मेरे कोई नहीं,
फ़िर भी खुश तो हो,क्या पता,अध्यात्म या
फ़िर भोतिक ता से परे या फिर इनके साथ,
खुश तो हो,यही अच्छा है कि,तुम,तुम हो😂
मल्लिका जैन

गुरुवार, 19 नवंबर 2020

दीपावली 🎉

कहते है,लोग सहायता करते है, मुझ को सब,
दीपावली पर लक्ष्मी सहाय ऐसा कहते है, मगर,
मगर ये मेरी आज तक नही हुई,मुझे अब इसकी
 जरूरत दूसरों से कुछ ज्यादा है,अब मुझे,धन ,
सम्पत्ति की अहमियत को पता है, इसलिए,अब
मुझे इसकी जरूरत है न किसी से मांगनी पड़े,
मुझे,मेरे हुनर के साथ अब मुझ को मेरी सौगात
मिले 💐💐
मल्लिका जैन

रविवार, 15 नवंबर 2020

ये कंहा

ये कान्हा और कोन सा जांहा लगता हैं
उसकी यादों का मजमा लगता हैं,वो
सच है या हकीकत,ये कान्हा, कोन है
मेरे पास नहीं,फिर भी कही तो है,
उसका अस्तित्व,उसका नसीब,
मेरे पास बस यही।
😀
मल्लिका जैन

मंगलवार, 10 नवंबर 2020

सब ठीक

सब ठीक ही है, मा को डांट कर पिता नाराज,
मा तो हंस कर चुप, किस्से कहानी सब
एक जैसे,हमदर्द और दोस्त सब के अपने किस्से,
कही वहीं दर्द तो कहीं वहीं सुख है,निरोग ऐश्वर्यवान
कौन हैं, यहां,सब एक ही तरह से समझ रहे कुछ
अधिक और कुछ और अधिक मांग रहे,धरती पर उतना
ही है,वो किससे मांगे, हर परिवार की बस यही कहानी है
इसलिए फिर से सब ठीक है, जीत सकते है,पर किससे
यही एक बात बाकी है 😀
मल्लिका जैन

शनिवार, 7 नवंबर 2020

अजनबी रास्ते

यहां हर तरफ इंसानियत का बसेरा है,फिर भी जाने क्यों
कोई इतना अकेला है, में तो मैं ही हूं,पर मेरा वजूद किस
तरह खोया है, में जीने कि कोशिश करती हूं रोज फिर मुझे,इस तरह परेशानी क्या है,कोई कुछ और कोई कुछ
सब के अपने ही रिश्ते नाते,आखिर ये माजरा क्या है
एक मै हूं कि सोचती हूं,तमाम बातें,फिर भी इन सब का
हासिल क्या है, व्यवस्थाओं की बात करें किससे, यहां
अपना घर जला के फूंक भी दे तो भी, कुछ होता नहीं
जान कर बहुत कुछ भी,साथ कोई देता नहीं,सच छोटा
हो जाता हैं,नहीं तो इंसानियत को ही मारने का बीड़ा उठा लेते हैं,मातम का बाज़ार सज़ा कर मुस्कुराहट बिखेर
देते हैं, आसू की आड़ में सपनो को सजा रहे उनकी भी
हस्ती क्या,आखिर में कोई रास्ता बनाते हैं,फिर नई चाल
चल देते हैं,कभी छल तो कभी बल,कुछ काम न आया तो
हकीकत के रिश्तों में प्यार का भी तमाशा बना देते हैं, गुस्सा आता है मुझे बहुत फिर भी ख़ामोश हो जाती हूं,
क्योंकि,किस को क्या कहूं पत्थर मारू  तो भी शीशे,
टूट जाएंगे,बचा के रखू तो भी अपने रूठ जाते हैं,मेरे पास कुछ नहीं फिर भी मुझ को ही डरा रहे,अपनी सत्ता
बचा ने को मुझ पर ही अधिकार जता रहे,मेरी अन्नत दुनिया में स्वागत है आप सब का चलिए देंखे फिर कौन
किसको आजमा रहे, में तो बस बोल रही हूं आप तो
अपना ही अंज़ाम तय नहीं कर पाते, कैसी और किसकी
बंदगी सब अंधे बहरे लगते हैं,ये तो खुद अपने के भी
अपने नहीं ,कितनी सफाई से मुझ को एक दौर में भेज
देते है और खुद अपना पता हटा देते हैं,और रास्ते फिर
भी अजनबी है बेगाने तो सब है मगर कोई बात हो तो
सही, अजनबी,रास्ते फिर से निकल जाते है 💐
मल्लिका जैन

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

जरूरत😀

जरूरत,मेरी अब कुछ ज्यादा है,बर्दास्त की हद हो गई,
एहतियात अब कुछ ज्यादा है,मुझ को ज़िन्दगी भर, सता
कर जाने किस की तबीयत सम्हलती नहीं,मेरे पास, कुछ
नहीं,एक ही दौलत बाकी है उसे सम्हालने की जरूरत है
बस इतनी ही ख्वाहिश, हैं जो कभी सुनता ही नहीं, उससे
क्या कहें न कभी सुना न ही सुनेगा,,बस जरूरत मेरी है,
तो देंख कही कोई रास्ता निकलता है मेरी जरूरत का,
मेरे परिवार का यहां न जश्न है न मातम,बस अब मेरी
जरूरत किसी और से ज्यादा है 💥
मल्लिका जैन 🙏

सोमवार, 2 नवंबर 2020

ख़्वाब

हकीकत के पन्नों में सिमट जाते है जो कभी सच नहीं
होते ऐसे रास्तों से गुजर जाते हैं,किसी को भी सच से
लेना देना नही है,सब अपने ही धुन कि बंदोबस्त में
लगे हैं किसी को एहसास और किसी को कहानी,
सब अपने अपने में उलझे हैं,कोई चिड़िया,और
कोई परिंदो की बात करते है, यांह सब की अपनी
अपनी जगह है फिर भी जाने कितनों के दामन
खाली है,काश कि मेरे लिए कुछ न सही इन्हीं का
इंतजाम हो जाए,हकीकत की दहलीज पर कभी तो
इन लोगो को सच मे कोई प्यार मिल जाए,कोई तो
किसी की कदर करें,कही तो कोई किसी का ताउम्र बने,
कुछ तो ऐसा हो जों,शायद बुरा ही सही पर किसी का
अपना तो बने,
मल्लिका जैन 👍

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...