मुस्कुरा ते हो किन्ही को किन्ही से मिलते हो,किसी अवस्था मे हो तुम मेरी या तुम्हारी किस की बात करु
मैं नज़र नही आती तुम भी तो दिखाई नही देते, जाने कन्हा रहते हो न पता न ठिकाना, अस्तित्व के प्रश्न चिन्हों में छुपे हो तुम तो क़िस्से कहानी भी नही बनाते, मेरे किये का क्या कोई जश्न या शोक मानते हो,या फिर कही खुशियों की दुकान सजाते हो, किसका कितना भाव लगते हो, क्या और कुछ भी करते हो तमाम प्रयासों में
किसका साथ देते हो या फिर बस ऐसे ही कही चल देते हो निरुत्तर हो जाते मेरे प्रश्नों से रे मन तेरी दशा कैसी है
🤔मल्लिका जैन🤗