बुधवार, 28 दिसंबर 2022

💐रहमतों में उसकी कमी है,💮

किस के नाम पर आज ये किसका
जनाजा निकाला मेरा,कत्ल करके
मुझ को ही मेरी हद का दौर दिख दिया
तू तो काबिल है तो मेरी सोहरत क्या कम 
थी,जो तुझे तकलीफ हो गई, खूबसूरत
अदाएं अच्छी है पर क्या तेरी महफ़िल 
उस लायक हैं, तू मेरे दरवाजे के भिखारी भी
नही, और फिर भी तेरी सोहबत सस्ती नही
मुकम्ल दौर कही भी नही ,तेरी हस्ती को
चोनोती देती नही फिर भी तुम मेरी आदत नही
कितना खुश रखे तुजे हिसाब खुद ही रख लेना
कभी ज़िन्दगी मिले मेरी नज़र का सदका, तोहफे
में लोगो क्या, तेरी गलतियों की सजा कौन देगा तुझे
तेरे आईने को साफ कर आज का उधार कभी तो चुका
देना 🙏
मल्लिका जैन


बुधवार, 16 नवंबर 2022

अपने मन की

मैं कब कहता अपने मन की,सब तुम्हारी बातें हैं
मैं छोटी सी बनी फिर भी तुम दूर हो,मैं करीब
फिर भी तुम दूर, मेरी बातें सच्ची सी लगती
तूम समझ नही आते,क्या तुम उलझे हो,या फिर
मुझ से धोखा करते हो, मेरी सुनते नही अपनी
कहते नही,समझ कैसे जाऊ तूम्हे क्या मन
तुमसे भी कुछ कहता हैं
मल्लिका जैन

सोमवार, 31 अक्तूबर 2022

कथा नम्बर

😃नम्बरों से दोस्ती कर कैसे,सोहबत में गहन धन की
कथा है, उस गुणा जोड़ का अपना ही तराना है
कोई किसी की सुनता ही नही सबको किसी और
ही जहान की पड़ी है मुझे तो रास्ता मंजिल कुछ
दिखाई देता हैं, पर राह कोई छिपा देता हैं या फिर
किसी को किसी की पडी ही नही,जो कोशिश करू
भी तो कैसे क्या कोई सुनता भी हैं, क्या ये नम्बर में
हिसाब समा जाएगा या कोई फिर से नम्बर के 
कथानक में उलझ जायेगा, मुझे जानने या समझने
की जरूरत किसी को नही है, सिर्फ नम्बर मेरे
पास कुछ कहते है, जाने क्या,इनकी उपासना है
या जिसे अधिकार था ही नही मेरी बात सुनने का
भी क्या वो मेरी बात सुनेगा भी,वो नम्बर क्या ऐसे
ही चलता रहेगा।
😁मल्लिका जैन😁

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2022

बाजार पैसों का

मेरी तकलीफों खुशियों में कहता पैसा में हूँ न
मेरी,सब की जिम्मेदारी में कहता पैसा मैं हूँ न
कोई बुरा तो कोई भला कहता पैसा मै हूँ न
फिर भी पैसा नियंत्रित हैं, ये पैसा मै हूँ न
मल्लिका जैन

शुक्रवार, 2 सितंबर 2022

👧नारी👩‍🎓

ज़र्रे ज़र्रे में हर्फ़ से,उकेरी गई सलीके से सवारी गई,कही माहताब और कही अप्रतीम उपमा सी,पर जब भी सवाल आया कोई उत्तर में निरुत्तर सी हो गई, फिर भी स्वर उत्सुक हो जाते,खामोश बोल पड़ती, अब दुःख सुख
के अहसासों को निभाती,नारी क्या कहे उम्र के दौर
से तोली गई, कही मोटी औऱ कहि पतली, जाने कितनी
उपमाओं में परिवर्तित हो गई, खूबसूरती के कसीदे
पढ़ गई,जाने कितने परिवर्तनो से सोच और को निखारने
लगी,नारी पुरुषों से कन्धे मिला कर भी चलने लगी
और भी जाने कितने शब्द है सब मे निखर गई
ये नारी है जो सब समझ गई,इसमे शक्ति पुरूष
को गढ़ने की और पुत्री को सँवारने कि, नारी बस 
नारी बन गई🤰👸👰👩‍🚒👩‍💼👩‍🏭👩‍🔧👩‍🍳👩‍🌾👩‍⚖️👩‍🏫👩‍🔬
मल्लिका जैन👩👩‍🎓👧

गुरुवार, 1 सितंबर 2022

😀😂कहते जिसको रिश्ते😁

कहते है जिनको रिश्ते, कितने जाने पहचाने 
कहते है जिनको रिश्ते, कुछ अनबन भी रहती
कहते है जिनको रिश्ते, किसी की पहचान करू
कहते है जिनको रिश्ते, अपना कहू किसे,
कहते है जिनको रिश्ते,आज हद से गुज़र रहे
कहते है जिनको रिश्ते,कल खिल रहे, हंस रहे
कहते है जिनको रिश्ते, कुछ ऐसे ही ये रिश्ते
😀मल्लिका सिंह😁

शनिवार, 27 अगस्त 2022

😀मेरी हंसी😁

😀मेरी हंसी की कीमत लगाओगे क्या,
😁अब तुम इस पर भी कोई रूल लगाओगे
किससे समझोते करोगे, और किसको फायदा
पहुंचा ओगे,मेरी तकलीफ से खुश होते हो कैसे ,
मुककदस मेहरबान हो,दुसरो के लिए अच्छे 
और मेरे लिए क्या हो, कोई जवाब तो होगा ही
तुम्हारे पास, कोई नया तरन्नुम, कोई नया तजुर्बा
मुझको,जो सता सके वो तुम,नही,जो कुछ नही
वो तुम नही,मेरी हंसी तुम नही, अच्छा कोई
मेरी बात जान ते हो क्या मेरे लिए भी बेहतर
करते हो,मेरी पूजा मान सम्मान मेरा है जो,मुझे
क्या सच मे मेरा अपना कुछ बचाया है?
😀मल्लिका जेन😁

गुरुवार, 11 अगस्त 2022

तकलीफ मेरी

😂में दुःख हूँ, सुख की तलाश में रहता हूँ🤣
     में सुख हूँ,खुशी की तलाश में रहता हूँ
     और हम दोनों,ज़िन्दगी के सिक्के से 2
     पहलू साथ ही रहते,तुम ही एक पहलू
     देखते न मुझे सम्हाल पाते न मेरी फिक्र
    करते,खैर है की राहत मिल जाती हैं, मैं
   गुमनामी में क्यो रहू, क्या खेरियत मेरी 
   पसंद मेरी तवज्जों मेरी अपनी है,तुम
  समझ नही पाओगे रहने दो,मुम्किन
   हूँ मै और मुकम्मल भी,मैं रवानी
मौजों की में सुबह की ,रोशनाई हूँ मै निखार
हूँ मै हसरत हूँ अपने ही हकीकत की
मैं मेरा,अस्तित्व जानती हूँ, आगाज़ हुआ
तो अंज़ाम हंसी होगा,
😂मल्लिका जैन🤣

गुरुवार, 28 जुलाई 2022

😂मै औरत और तुम पुरूष😂

हम दोनों की एक कहानी कभी दर्द की परेशानी
तो कभी इश्क़ की ज़बानी, सुनो मुझे तुम मैं तुम्हे
समझ नही सकती तुम मुझे इल्जाम दे नही सकते
क्या कुछ ऐसा होता हम कोई राह निकालते तुम
भी विचार करो में कुछ विचार करूँगी,मैं खूबसूरत
और तुम समझदार, मै नाजूक और तुम जिम्मेदार
मै भी आजकल जिम्मेदारी निभाती हूं, में भी
सहयोग देती हूं, क्या मेरे व्रत उपवास तुम्हे अच्छे
लगते है, या फिर तुम्हे बस दुःख के फ़साने अच्छे
लगते है माना तुम्हारी जरूरत भी हैं, पर जिम्मेदारी
निभा रहे मेरे तुम्हारे कितने फ़साने कितने किस्से
चलो मिल कर कुछ करते है जिम्मेदारी कोई भी
सम्हाल ते हैं और समस्या के समाधान निकलते है
🌸मल्लिका जैन💮

सोमवार, 25 जुलाई 2022

🏵️कहते है वफ़ा जिसको💐

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💮ये फलसफा क्या है,वफ़ा का नाम इबादत तो नही💮
💮रूह को पुरनम करें और तबस्सुम को खिला दे💮
💮उसका आगाज कन्हा से हुआ,कौन जाने, तलाशा💮
💮 जिसेअपना कन्हा बे वक्त तो नही पर मुनासिब💮
💮तो ये भी नही की पर्दा मुझ से रहे और वफ़ा का💮 💮सिलसिला भी,कहते है वो वफ़ा करू तो जिक्र 💮
💮तेरा न हो ऐसा नही पर तुझ से वास्ता मेरा 💮
💮मुकम्मल होता नही बस आह का आगाज है💮
 💮दिल का दर्द बंया होता नही💮
🌼मल्लिका सिंह🌷
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सोमवार, 27 जून 2022

🍋महंगाई🍍

अक्सर बात होती हैं राशन महंगा हो गया
कभी किसी के पास पैसे की कमी तो कभी
बटुआ खो गया,क्या कहे यारो की महफ़िल
सजी तो खर्चा कुछ ज्यादा हो गया,कभी तो
हो ऐसा सूदखोरों के पास भी राशन का हिसाब
मिले इस रोजी रोटी का कुछ तो हिसाब मिले
कुछ तो जवाबदरी निभा लेते कभी तो जिम्मेदारी
निभा लेते,हम बेअक्ल ही सही तुम तो ..
मल्लिका सिंह

रविवार, 26 जून 2022

💮सफलता💐

हैं अभी कुछ इतिहास के गवाह ईमानदार भी,
दोहराते कुछ नही फिर भी सबकी अपनी रहनुमाई
है,कोई मुस्कान ले कर भी खुश और कोई दुआओ
में खुश,मे क्या कहूं फिर भी नव युवाओं की अपनी
कहानी है, ये भी अपना इतिहास रच दे गे, शायद
बेहतर?
मल्लिका सिंह

शुक्रवार, 13 मई 2022

😋उसकी इबादत😁

में थक गया उसकी इबादत में और वो थर भी नही
मेरी तहरीर में,मेरे लिए उसके पास कुछ था ही नही,
वो देता है क्या,मेरे दुश्मनों को मेरा ही रहबर बनाने
की साजिश करता रहा और दर्द मेरे अपनो को देता रहा
क्या कहूं उसे,उससे मांगने गई थी,और वो मुझ से लेता रहा, क्या हो तुम,कैसी फितरत है तुम्हारी, मेरा रहबर तू
हो नही सकता,और में तेरी गुलाम हो नही सकती, मेरी
दुनिया तुझ से बेहतर बन जाए शायद,मेरे बच्चे को जो
ठीक भी न कर सके वो मेरा ईश्वर हो नही सकता, कैसी
शजीजिश की है तूने मुझे क्या समझ लिया पता नही,
पर तू मेरा हितेशी हो नही सकता, मेरी तकलीफ को जो
अपनी ख़ुशी बना ले ऐसा ख़ुदा हो नही सकता😄
😁मल्लिका जैन😁

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

😀हसरतों का दौर है😁

हसरतों का दौर है कैसे  कितना हसली करें
थक चुके अरमानो को हौसला देने को चले
नए मिसाल बन  जाए  फिर मुकाम को चले
अपना वक्त है अब फिर मंजिल को चले
राहो में अब तबस्सुम को ले कर चले
😀मल्लिका जैन😁

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

😀व्यवस्थाओ कि खातिर😁

🤔⌛⏰🕕,🙄
प्रयास चलते हैं व्यवस्थाओं की खातिर,
कुछ बन जाते कुछ ठीक हो जाते,देखते
एहतियात भी बरतते,फिर भी कही लगता
है कि अभी बाकी हैं ठीक हो कैसे किसी का तो
कर्ज चुका किसी का सुख महका, किसी का मुकद्दर
संवर गया,पर ये दरबार किसका लगा,दरबारी कौन
है,आहट भी नही कोई ये कैसा फलसफा है प्रयास
और व्यवस्था का,या किसकी ख़ातिर ये फलसफा?
😊मल्लिका जैन ☺️

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

💥रौद्र रूप मेरा💥

कहते शक्ति मुझको, मानते भी हो क्या, कही साथ
भी चलते हो क्या जब जब चोट लगती तुम्हे साथ खड़ी
जब जब परेशानी में पढ़े मेरे रौद्र रूप में प्राणम किया
खड़े हो गए कतार में,रौद्र रूप मेरा कितना सुन्दर फिर 
भी अपनी संतानों के लिए उपकार किया मेरी विनम्रतापूर्वक बातों का आकलन जब न हुआ तो रौद्र
रूप ही सामने आएगा,साथ कन्हा देते हो,न कोई हस्ती
मेरी न अस्तित्व तुम्हारा सब के सब मूढ़ता से भरे हुए किसकी गल्ती है ये सच ही सच की पहचान नही देता
तो को किसका मोल जानेगा,सदियों से उतरे नही धारा पर तुम क्या हिसाब लगाओगे, मेरे अहसासों को कितना
और कौन सा जामा पहना ओगे ,कब तक मेरे रौद्र रूप
को उकसाओगे तुम भी बच नही पाओगे चोट तो में ठीक
ही करूंगी इस रौद्र तम में भी,आखिर कभी तो समझ जाओगे
💥मल्लिका जैन💥

सोमवार, 28 मार्च 2022

😁🌷मन मुखरित 🙌

मैं मन से पूछ ही लेती किस और चला क्या परिणाम में 
मुस्कुरा ते हो किन्ही को किन्ही से मिलते हो,किसी अवस्था मे हो तुम मेरी या तुम्हारी किस की बात करु
मैं नज़र नही आती तुम भी तो दिखाई नही देते, जाने कन्हा रहते हो न पता न ठिकाना, अस्तित्व के प्रश्न चिन्हों में छुपे हो तुम तो क़िस्से कहानी भी नही बनाते, मेरे किये का क्या कोई जश्न या शोक मानते हो,या फिर कही खुशियों की दुकान सजाते हो, किसका कितना भाव लगते हो, क्या और कुछ भी करते हो तमाम प्रयासों में
किसका साथ देते हो या फिर बस ऐसे ही कही चल देते हो निरुत्तर हो जाते मेरे प्रश्नों से रे मन तेरी दशा कैसी है
🤔मल्लिका जैन🤗

गुरुवार, 24 मार्च 2022

🙏सुबह की पहचान😀

मैं कहती सुबह से कैसी हो, यँहा जमीन कैसी लगती हैं
तुम जलती हो कितना फिर भी,में तुमको ठंडक देती हूं 
तुम कुछ आप ने ही ताने बाने बनाती हो,क्या कभी, सोचती हो,आज किसी को तो फिर अपनी बात बताओगी,ये परिंदे जो कहते है तुम अच्छी हो इनसे क्या
कहोगी,क्या मेरी ज़िंदगी मैं तुम भी किन्ही धर्मो का
विवाद ले आओगी,या किसी निर्विवाद से खिली खिली
बिखरती इस धरती को खूबसूरत बनाओगी, यँहा कोई
अपना से नही फिर भी तमाशे खुब हैं औऱ तुम क्या 
और दुनिया मे जाओगी, कितना किसको बट गया क्या
हिसाब लगाओगी,अपनी धूप और गर्मी की भी क्या कोई
बात मुझे बताओगी, ये सुबह की पहचान है, जो सदियों से चलती हैं अच्छा है अच्छी है
🤔मल्लिका जैन😀

बुधवार, 2 मार्च 2022

🤔वक्त🤔

सोचती हूँ कि ये दर्द क्या होता हैं कही मेरे जैसा तो नही
फिर लगता हैं शायद इसकी और कोई तस्वीर होगी,
मुझे सब कह देते है कि तुम कुछ नहीं जिसे समर्थ
लोगो का समर्थन प्राप्त हो गया, क्या इनके कर्म के
नियम अलग है, ये जो लोग हैं मुझे कुछ दे नही सकते
पर इनके नियम पता नही, मुझे तकलीफ़ दी दर्द दिया
कितनी शिकायत करु सुनेगा कौन, अब न ख़ौफ का
डर न ही उसकी कोई जरूरत ये अजीब है फिर भी
कही मेरा अस्तित्व तो होगा जरूर
🤔😁

गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022

😴उसनिंद😴

😊उसनिंद अँखियों को आराम आता मन को
भी आराम आता हैं में तो उसके लिए प्रयास करती
हूँ जो प्रप्त हो कर भी अप्राप्त हो गया, मेरी अँखियों में सपने दे गया, हंस लेती हूं मन्द मन्द में फिर वो आनद मय मुझ में ही हो जाता हैं मकसद और हकीकत
में लिपटा मेरा ही अफसाना सोहबत में प्रस्सन विकसित और पुलकित हो जाता हैं, मेरी उसनिदि अँखियों को आराम आता हैं😴
🌾मल्लिका 🤗

शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

😁निम्न और उच्च स्तर🌼

🌵निभाने निकली कुछ अपने ही फसाने, आया सामने 
बड़ा ही कठिन सवाल कहने और समझ ने भी मुश्किल
निभाने की तो बात ही क्या,अनचाहे ही मुझे किसी राह
चलना था,सतत निरंतर, "उच्च स्तर की दौड और निम्न
स्तर की दौड" अलग लगने लगी यात्री के सफर भी अलग पर क्या सच मे पथ अलग हो जाता हैं या बस सवाल रह जाता है" निम्न और उच्च स्तर की दौड़," सजल नम आंखे जहालत ही हद और दर्द और फिर सुख के दोस्त कैसे पाएंगे यँहा अपना सा कोई नही सब किसी स्वार्थ से बंधे निकल पड़ते है फिर से "निम्न और उच्च स्तर की दौड़ में"
🌸मल्लिका जैन🏵️

मंगलवार, 25 जनवरी 2022

🥘26 जनवरी🍱

🇮🇳🌼🌷कुछ पुरानी यादें और नए अफ़साने है
26 जनवरी की अपनी मिठी बाते हैं 
कुछ खून के रंगों से रंगी कहानी है
अब तो देश के अपने ही वादे है,
आज याद दिलाएंगे शपथ और अपने
ही किये का किस्सा, झांकी और नृत्य
 सरकार ने क्या किया ये बताएंगे,
धूप में बैठे नागरिकों की भी बातें बताएंगे
क्या आज भी सरकारी अस्पतालो के 
दर्द किसी को सुनाई देंगे,या फिर शमशानों
हृदय विदारक दर्द या फिर कॅरोना का किस्सा
हर साल की तरह विजय विश्व का तिरंगा
फिर लहराए गांवों का सुधार कितना हुआ कौन
जाने, जंगल के जानवरों की तकलीफ कौन जाने
पार्टी की बाते की अच्छी है, क्या किसी को अपनी
खुद की जिम्मेदारी याद आएगी,आज फिर हम
रिपब्लिक डे मनाएंगे
🌼🌷🇮🇳

सोमवार, 24 जनवरी 2022

🌴मुद्दा है जनाब🌳

🍰कही सुख तो कही दुःख का मुद्दा है जनाब🍧
    कभी जागी और कभी सोई बातों का
    मेरे और जंहा के अफ़साने जाने कितने
    किस्से शिकवे और शिकायतों का
    मुझे किसी ने सताया फिर से रुलाने
   पर उसको दर्द नही कहे क्या कितना
    दुःख हुआ, ओह जाने दे आज जश्न
   पर गौर फरमाते है मेरे लिए किस्सा
   बनओगे ,अच्छा क्या राशान की लिस्ट
  देखी, बजट कितना है, और कितने बार
 मेरी फैशन की लिस्ट से सामान कम करु
जाने दो हर बात पर वही सवाल जवाब
🍞कही सुख तो कही दुःख का मुद्दा है जनाब🍄
🍈मल्लिका जैन🍉
  

बुधवार, 19 जनवरी 2022

😁मोहब्बत और सच😆

🌹🌹🌷🌷
सच कितना आसान और सीधा है,झूठ से रिश्ता ही क्या
मोहब्बत का, मैं अक्सर उसका कहना मान लू फिर भी
वो अपना नही, मोहब्बत की लाइनों में ज़िंदगी कटेगी
कैसे जब जेब मे पैसे नही तो,रहमत होगी कैसे, में फ़रिशतो की क्या बात करू न मोहब्बत काम आ सकी
न ज़िंदगी, तदबीर भी तो नही बनती कोई की समेट लेती
अपने सच की ख़ातिर कितना कहा पर देखती हूँ तो
मनसूबे में बटी ज़िंदगी बेज़ार सी है यँहा मोहब्बत की किसको पड़ी सबकी हकीकत अफसानों में लिपटी पड़ी है, क्या हँसे क्या रोए किसको हमारी कदर आज रास्ता
कही और तो जज़्बात कही और,न मेरी किसी को परवाह
न किसी की मुझे, आज बेज़ार सी मायूसी बिखरी पड़ी हैं
में गुनाह नही मगर वो मुझे गुनहगार कहती है मोहब्बत
की कहानी फूल खिलाती तो कभी मुस्कुरा देती हैं तबस्सुम में कोई मंज़र नही, आज तो तन्हाई भी खामोश
सच से दबी बात मोहब्बत की झूठ से खिली रात मोहब्बत कि,फ़रिशतो रहने दो ज़रा दुआ सलाम मोहब्बत से रखना शायद मेरे सच की तुम्हे पहचान हो जाए, ग़मगीन कितना रहु कभी तो सुकून से जीने दो
कुछ पल सादगी से मोहब्बत को जीने दो🌸💮💮
🌴मल्लिका जैन🌾

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...