शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

😀किस्से औऱ बातें😁

🤔अपनी बात  हुई थी क्या कभी,वक्त से परे😋
😃तुम थे क्या कभी शायद किसी भ्रम की तरह😄
😊या फिर मैं तुम्हारी तलाश में थी, पर मुझे तो😅
😁ख़ुद को तलाश करना था,पर कैसे पता  नही😀
😁कोई अपनी जीत पर अक्सर जश्न मनाता है😊
😂मेरे दर्द से उसका रिश्ता है ही नही न था कभी😁
😁फिर भी बात वक्त से परे रह गई , बदल तो गया😀
😁बहुत कुछ बस न मैं समझ पाई न तुम समझ आ😊
😁रहने देते है किस्सों को कभी सुलझ नही सकते😉
🤔सवाल और बस सवाल जवाब कौन देगा,🤔
☺️मल्लिका जैन☺️

शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

🍄कहानी किस्सों की🥜

🍱एक रात की बात कहनी सुना रही थी बेटे को🍲
🍘खुशियों और तारों सितारों की,तभी बेटे ने पूछा🍲
🥞मा कभी तारे भी हंसते हैं, तुम जो रहती हो व्रत🍙
🌭इनके क्या ये भी कभी तुम्हे समझते हैं, मैं चुप🌮
🥙और बेटा बोला,मा आगे की कहानी सुना,तब 🥗
🍔मुझे नींद आ जायेगी, मेरी कल्पना, उसके सवाल🍜
🍟आज का बस यही सिलसिला, रात गहरी हुई,🍟
🍨और बेटे को कहानी सुन नींद आ गई, और मैं?🍢
🌿मल्लिका जैन🌾

शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2021

🌾यँहा किसकी बात करूं🌿

🌸यंहा किसकी बात करूं, उधार का सीधा समान🌸
🌸या फिर रद्दी की टोकरी,या खाली भारी जेबो की🌸
🌸या फिर मोहब्त या बेवफाई की देखो किसी भी🌸
🌸नजरिए से तमाम शोहरत बिखरी पढ़ी है,कभी🌸
🌸कभी किसी को भाषा कि फिक्र तो किसी को 🌸
🌸अपनी ही धून, जाने दो सब के आप के मतलब🌸
🌸यंहा में किसकी पसंद या ना पसंद की बात करूं🌸
🌸यंहा  किसकी बात करूं🌸
🌼मल्लिका जैन🌼

शनिवार, 2 अक्तूबर 2021

🌿सत्य की श्रद्धांजलि🌿

🏵️देखती हूँ तो आहट भी नही,पहचानती हूँ
तो जानती भी नहीं, ये किसकी मज़ार पर
सर झुका हुआ है, देख कोई अपना तो नही
यँहा सब कहते हैं मै मेरी ही बात करती हूं
पर इन अजनबियों का मुझे पता भी नही,
सजदा करें या दिया बत्ती लगा दे फर्क क्या,
मेरे लिए किसी को परवाह नहीं, ये मेरा देश
आज क्यो पराया सा लगता हैं, क्यो यँहा,मेरे
अपने बच्चो की बाते अलग हो गई, मेरे लिए
देश विदेश की बात बेमानी सी हो गई, आज
फिर किसी की हस्ती नेस्त नाबूत हो गई, आज
पिता, हारा या बेटा, या बेटी या फिर जाने कौन
से रिश्ता टूट गया, मेरी लाश थी ही नही जाने
किसकी सोहबत लगी कि कुछ अहसास भी
बेमानी बन गए आज में थका या तुम जीते, सोचो
तो बस एक बात और कहे तो सदियों की सौगात 🏵️
🌼मल्लिका जैन🌼

बुधवार, 25 अगस्त 2021

दोस्त

अकसर दोस्तो में एक तेरा  नाम आया,मिले कई मुझे,पर तुझ सा एक तुझे ही पाया, में अक्सर फकीरी में रहता
हूँ, पर हुनर जज्बातों का आज भी रखता हूँ, दोस्त हूँ
इस दुनियां के कई निराले दस्तूर देखे,अक्सर, उनमे
रंग भरे,ख़्याल और हकीकत के,में दोस्त हूँ,अक्सर
दोस्तों में एक तेरा नाम आया,न शिक़वा न गिला बचा
बस दोस्ती का एक नाम आया
मल्लिका😀

सोमवार, 12 जुलाई 2021

😂उफ ये मुसीबत😅

हर बार की तरह आज भी एक है
ज़िद की मुसीबत से बाहर निकल जाते
देखते हर बार साथ ही मिलती हैं,
न मै उसे जानती न वो मुझे पहचानती
कभी अच्छी नहीं लगती मुझे जीने नही
देती,औऱ थकती भी नहीं उफ 
😂उफ ये मुसीबत😂
मल्लिका जैन

बुधवार, 26 मई 2021

🕯️रौशनी🕯️

🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️
बदलते रूप मे दुनिया की नीयत भी बदल गयी
रोशनी भी अपने ही आप जाने कितने रूप में
बदल गयी कभी दुःख तो कभी सुख में सिमट
रही,मुझ से नाराजगी तो बहुत जाता दी मगर
मेरे साथ चले वो रोशनी न रही,जो सच मे एक
बार भी हिम्मत कर सके मुझ से सच बताने
की वो रोशनी अजीब से हालात में बदल गई
मुझ पर इल्जाम लगाने और खुद को सही
साबित करने वाले बहुत मगर किसी मे भी वो
सच्चाई न रही,अब तो बहुरुपिए से घूम रहे है
दुनिया में दोस्ती निभाने की हिम्मत भी अब
किसी मे न रही,सब अपनी ही बात कहते है,
मेरी तस्वीर पर हार चढ़ाने को सब बेकरार है
पर मुझे सच मे आँख मिला सके ऐसी रोशनी 
न रही🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️
💐मल्लिका जैन💐

बुधवार, 5 मई 2021

🤣तकलीफ 😂

किस कदर सताते हो मुझे क्या सताने का ही
जिम्मा है तुम्हारा मेरी नही न सही अपनी तो
रिस्पेक्ट किया करो,कितना बड़ा ओहदा है
तुम्हारा मेरे लिए उसका तो ख्याल किया 
करो, ठीक है मेरे ख्याल अलग तुम्हारे अलग
तो,सिर्फ एक बात बताना कितना सहन करोगे 
खुद भी ,और इसकी आदत कितनो को डालवाओगे
क्या और कोई हल नही है,जिन्हें आज़माते हो वो
मैं ही नहीं तुम भी तो हो,कब तक हम जानते है
वो तुम नही,तुम जान्ते हो वो में नही फिर भी
कोई कैसे ऐसा कर देता हैं, किसे मौके की
तलाश है आखिर कब तक मुझ पर कोई ऐसे
ही अधिकार जताएगा,क्या तुम भी सब के
जैसे हो गए, या में मन लू की  फैसला 
तुम नही करते 😂🤣

रविवार, 2 मई 2021

म्रत

मेरे जनाजे पे आये बहुत लोग, सब ने कहा सच
मैं कोई अपना सा चला गया, कहने लगे आज
ही जाना था, मेरे पास ही उसे ठगी करने की
सोहबत लगी,तब पता चला कृष्ण तो जन्म
से ऐसा ही है, और मीरा मुफ्त में बदनाम हो
गई, दोस्तो रास्ते तो बहुत है फिर भी किसी
का दुःख किसी की ख़ुशी और किसी का
गम किसी का गम ही होता हैं😅😂🤣😣

रविवार, 11 अप्रैल 2021

मेरी सुबह

सोचते हैं वर्षों से कभी तो कुछ अच्छा होगा
न दिन ही अपने न रात ही अपनी,ये कैसा
तमाशा हैं उसको जिसे अपना कहते हैंवो
भी अपना नही और किसी की क्या,बात करें,
न वक्त अपना न ही कुछ और मुझे ठगों की
भाषा आती नही और उसे और कुछ पता नही
यंहा मातम भी जीवन और वँहा जीवन भी मताम
ये कैसी बयार चली है,तेरे दौर की तू ही बता तू
देव है या दानव, कैसी रस्मों से बंधा है तू,क्या
तेरे पास भी अपना पता खो गया है, कौन सी
दुनिया का रखवाला है क्यों आज तक तुझे मेरी
सुध नहीं,मैं कितना कहती हूँ सुन मेरी की मुझ को
समर्थ वान बना क्या तेरे लिए भी ये संभव नहीं तो
छोड़ फिर भगवान देव या दानव या ख़ुदा के पचड़ों
को, चल इंसान ही बन के देख ले मेरी तरह दर्द को जी
मेरी तरह तकलीफ़ को महसूस कर कभी तो सुन कभी
तो मुझे साबित कर की तू मेरा सहायक है कभी तो
बात की तू मेरा दुश्मन है, चल फिर कुछ तो निभा ले
दोस्ती की आड़ में कितने बदले लोगो मुझे तो मालूम
नही और तू हर कोई हिसाब नहीं ये तकलीफ मेरी है
इसलिए तूम जानाते नही और तूम्हे तकलीफ नही
इसलिए तूम मेरा दर्द भी समझ नहीं रहे, पर मैं तुम्हे 
समझ रही हूं इसलिए कहती हूँ तुम मुझे जानते नही।
मल्लिका जैन🎇

गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

सोच का सिक्का,

सोच का सिक्का कितना चलता है, जाने
क्या अच्छा और बुरा लिखता है, कहता
नही कुछ भी,फिर भी,अपनी धुन में कही
कुछ सोच ता है,सोच का सिक्का, फिर
भी राह से गुज़र जाता हैं, सोच का सिक्का
बस ऐसे ही चलता रहता है, सोच का सिक्का
मल्लिका जैन💲

सोमवार, 15 मार्च 2021

अजनबी सी बात

किसको क्या कहूं, कौन अपना नही लगता,
यंहा मेरा भी सच अजीब लगता हैं, आज कल 
तो अपना कौन पराया कौन समझ नही आता,
कौन किसको क्या कर दे कुछ पता नही,
मेरे पास तो ऐसा कुछ नहीं,
मल्लिक जैन

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

पहचान

पहचान खुद को नहीं पाते,रास्ते भी अक्सर
कुछ और ही होते,गुमनाम सी पहचान कन्हा
अपनी बची, अक्सर पहचान बनाई कभी,
हर बात मुझ से दूर खो गई,आज फिर सोच
रही कोन सी आशा की किरण पहचान,अपनी
बनाऊंगी,💐
मल्लिका जैन

सोमवार, 25 जनवरी 2021

आज़ादी

आज भी आज़ादी इतनी आसानी से नहीं मिलती
कीमत अब भी चुकाई जाती हैं, जिसको कहते सब
खुश रहना हो भी इन्सान से छीन लेते हैं, क्या बच्चे
क्या बूढ़े सब मनाते है, बस हकीकत छिपा लेते है,
रंग भी तीरंगे से बदल जाते है, कभी बेटा तो कभी
परिवार कभी धर्म जाने किस किस के नाम पर कोन
किसी की ख़ुशी बांट रहा कभी हमसे कभी किसी से
जाने दुनियां में क्या बांट रहा, न बांट ने वाले को
पता न लेने वाले को पता,कभी जानवर तो कभी
इन्सान तो कभी कुछ और कोन किस से लेता है,
मेरे लिए ही न खुद के लिए,शायद खुद को ही
मूर्ख बना रहा,अंधेरे उजाले सब एक बराबर,
जानें किस्मत से कोई खेल रहा, मेरे हिस्से मे क्या
आया उसके हिस्से में कभी कुछ था नहीं, मुझ
से कुछ पाया नहीं,मेरे,सरकार क्या किसकी खुद
उसकी भी हस्ती नहीं,जों ये बना रहा,उसको भी
अपनी पहचान नहीं, यांहा सच है, संसार से ही क्या
खुद से भी, वो जीत नहीं पाता,इसको वो जीना कहते
है,जों उसका है ही नहीं वो मेरा भी नहीं।😀
मल्लिका जैन

बुधवार, 20 जनवरी 2021

सुना है मैने

सुना है मैने "परिंदो में फिर का परस्ती नहीं होती,कभी
मन्दिर पे जा बैठे कभी मस्जिद पे"
मेरे जीने मे फर्क सिर्फ इतना है,रूह से जुड़ते ही कान्हा
हो,दर्द को जीते ही कान्हा हों, दर्द मेरा हमदम बन के
रूह पर मरहम लगा लेता है ,मुफलिसी में भी मुस्कुरा
कभी तो लेता है,मेरा साथ एक दर्द ही देता है,तुम तो
बस खुशियां ही लेते हो, मेरी तकलीफ को भी, बांट रहे
सुख को भी ले जाते, न रूह को पूर्णनम करते न दर्द की
थाह लेते, मेरे बस में नहीं इसलिए अपनी बात कहते हो
मुझ से वास्ता नहीं बस एक बात कहते हो 💐
मल्लिका जैन

मंगलवार, 12 जनवरी 2021

पसंद

जिसे हम पसंद नहीं वो भी अपना हक बताता है,
जिसकी मे जागीर नहीं वो भी अपना हक बताता है
मेरे वतन के लोगो ने मुझे,तंग कर दिया दूसरा क्या
मुझ से वफ़ा करे गा,मेरे विश्ववाश को भी तोड़ दिया
जिसने वो क्या मुझे सहेज पाएगा,मेरी तकलीफ और
दर्द को जिसने अपना व्यापार बना लिया वो क्या मेरा
कभी बन पाएगा,धोखे का बाज़ार कितना खूबसूरत है
कभी कोई और कभी कोई, पता ही नहीं चलता,सच
किस की जागीर बन गया,अब मेरे लिए फिर से, रचा
नया खेल,मेरे क्या काम आयेगा, जों मेरी ओलाद का
दर्द और तकलीफ समझ न सके वो क्या मेरा साथ निभाएगा, जिसने तकलीफ खुद मुझे बांट दी धर्म के
नाम पर वो मुझे क्या नया पाठ पड़ाएगा,क्या लक्ष्मी और
क्या काली, और क्या सरस्वती सब एक बराबर यनहा कोई सच्चा नहीं, जब खुद मुझे पता नहीं कि किसने क्या
रच दिया तो वो ईश्वर मेरे साथ क्या निभाएगा,जों 😭😱
मल्लिका जैन (मल्लिका सिंह)

रविवार, 10 जनवरी 2021

💐सच😱

सच मुस्कुराता हुआ अच्छा नहीं लगता लोगो को,
झूठ, हांथो हांथ बिकता है,किसे फिक्र ईमान की,
धर्म की खुशी या दुःख, किसे परवाह,इन्सान की,
अस्तित्व और वजूद परिभाषा ही रह गई,वादे
सब खोखले हो गए जश्न या तांडव,क्या मनाओगे,
सच फिर भी सच रहेगा,किसी दिन तुम,खुद अपने
से आंख मिलाओगे शर्म से शर्म शार होंजाओगे,
सच कहूं 😀
मल्लिका जैन 😄

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...