शनिवार, 26 दिसंबर 2020

मकान🌁

मकान कई घर बनते तो होंगे,सजावट के सामान
कभी,मुस्कुराते तो होंगे,अक्सर घर की दीवारों पर
खुशियां और गम में कोई तो साथ रहता होगा,कभी
कोई दुनियां में घर भी सम्मान पाते तो होंगे,ऐसे ही
मकान कही घर बन ते तो होंगे 🌁
मल्लिका जैन 🎉

बुधवार, 23 दिसंबर 2020

रिश्ते 👍

बदलते वक्त में रिश्ते बदल जाते हैं फिर भी,
कुछ अपने साथ रह जाते है,कोशिश करते है,
सब अपनी अपनी,सब की राह और मजिल हैं,
जाना कान्हा पता तो चले,राह से गुज़र जाते,
है,फिर भी रिश्ते दुनियां में अपना सम्मान बनाए
रखते है,कभी चुप और कभी खिलखिलाते,
दर्द मे भी साथ निभाते हैं,यही रिश्ते,ज़िन्दगी 
बना देते है,💝
मल्लिका जैन

सोमवार, 14 दिसंबर 2020

आज मुस्कुराते हैं

आज भी हंसते हैं,आज भी तेरे लिय जी लेते है,
कही से कुछ और कही से कुछ, सजाते,संवारते
है,तेरी हकीकत जान कर भी,तुझे,पुकारते है,
ये तेरा अपना पन या,मेरा दीवाना पन😀।
मल्लिका जैन 😀

रविवार, 13 दिसंबर 2020

ये अजनबी🌪️

किसी को क्या कहे,अजनबी है,फिर भी,
तलाश किसकी है रचना अक्सर मेरी होती हैं,फिर ,
भी किरदार बन जाते है,अपनी जरूरत पर किसी
की सहायता कैसे,जब मै हूं नहीं तो मुझ से वास्ता
कैसा,मेरी समझ भी इतनी नहीं,और तस्वीरें बोलती
नहीं,धोखे देते हुए सच सा लगता हैं,ये सब समझ लेती हूं
मगर किसी दिन तुम इस तकलीफ से गुजरना मेरी नहीं
अपनी बात करना,हिम्मत कर सको तो,अपनी हकीकत
को, बताने की अपने स्तर पर बताना, अजनबी तुम हो या
मै,ये बात मुझे समझ ही आ जायेगी, मुझे तुम्हारी जरूरत
नहीं,और तुम्हे मेरी जरूरत नहीं,अजनबी तो अजनबी है
मल्लिका जैन🌪️

सोमवार, 7 दिसंबर 2020

रोशनी

जग मग दीपो से जलते हैं,सुन्दर लगते है,
दीपावली मना रहे, अच्छे लगते हैं,देखो,
सजी बनावट को,अच्छी है,तुम ने या मैने
बनाई है, पता नहीं कितने साल मनाई फिर
भी, वैसी ही है अच्छी तब भी थी आज भी
💐

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

ये रोज की बात

कितनी मुश्किल से तुम पर भरोसा करते है,
और तुम हमेशा धोखा दे देते हो,क्या किसी के
बहकावे मे आते हो,तुम अब मेरा वो सच नहीं हो,
मेरे लिए तुम कभी थे हि नहीं,तुम्हारी,ही अपनी बात है
तुम्हारे लिए में कुछ नहीं, न मेरा वजूद ही मायने रखता है,बस अब तो रहने दो मेरी ज़िन्दगी जी ही लूंगी,तुम
भी खुश रह ही लोगे 👍😀🙏
मल्लिका जैन 🙏

सोमवार, 30 नवंबर 2020

उसकी सोच और नई राह

राह,बनाते बनाते,तमाम सोच किसी,तरह,
कुछ बन गई,एक ही बात कहते हुए,कितनी,
सदियां बीत गई,कभी कोई तहरीर,बनी,कभी,
कोई,कोई कहानी, समझ पाते तब तक तो,सदियां
बीत गई, हर बार मुझे किसी ने कुछ अलग,ही रचा,
आज फिर सामना हुआ,तो सोचती हूं,क्या कहूं,
बेहतर अजनबी राहे और सोच ही , में भी जाऊंगी,
किसी नई सोच और नई राह,शायद इस बार कुछ
नई राह बन जाए कोई नई सोच बन जाए💝
मल्लिका जैन👍

गुरुवार, 26 नवंबर 2020

कोई बात हो तो सही 😂

ये किसी  की नज़र लग गई है,अमन के फरिश्तों को,
हर तरफ सुकून बहुत हैं,बस कोई शिकायत कोइ
फरयाद नहीं, फ़रिश्ते,अब क्या करते हैं, मै जानती
नहीं, कोन किसको सियासत की लत लगा गया,
मेरे पास इसका फ़लसफ़ा नहीं,अपनी अपनी बात
किसका झूठ,किसका सच,मेरे पास,इसका पता नहीं,
मेरी समझ उन की बातें मानती नहीं,और मेरा अस्तित्व
इसकी परवाह कर के भी कुछ कर सकता तो क्या
बात होती,काश मेरे पास भी कुछ तो तरीके होते 🙏
मल्लिका जैन 😱

सोमवार, 23 नवंबर 2020

खूबसूरती के साथ😱

आज फिर किसने,कुछ नहीं कहा,
खूबसूरत से,कोई वायदे नहीं किए,
मेरे पुकारने पर भी वो चुप ही रहा,
थक गया शायद,मेरी अजनबी बातों
से,या शायद कभी आया ही नहीं,
ये एक खूबसूरत, ख्वाहिश के साथ,
विदा ले कर चला गया,चुप था, 
पर जाने अंजाने क्या कह गया,
पढ़ाई के उसूल,या तजुर्बे की बातें,
उम्र की दहलीज,से फिर कोन
खूबसूरत,कही चला गया 💐
मल्लिका जैन 😂

शनिवार, 21 नवंबर 2020

खुश हूं कहीं

खुश हूं कि कहीं तुम खुश हो,मेरे कोई नहीं,
फ़िर भी खुश तो हो,क्या पता,अध्यात्म या
फ़िर भोतिक ता से परे या फिर इनके साथ,
खुश तो हो,यही अच्छा है कि,तुम,तुम हो😂
मल्लिका जैन

गुरुवार, 19 नवंबर 2020

दीपावली 🎉

कहते है,लोग सहायता करते है, मुझ को सब,
दीपावली पर लक्ष्मी सहाय ऐसा कहते है, मगर,
मगर ये मेरी आज तक नही हुई,मुझे अब इसकी
 जरूरत दूसरों से कुछ ज्यादा है,अब मुझे,धन ,
सम्पत्ति की अहमियत को पता है, इसलिए,अब
मुझे इसकी जरूरत है न किसी से मांगनी पड़े,
मुझे,मेरे हुनर के साथ अब मुझ को मेरी सौगात
मिले 💐💐
मल्लिका जैन

रविवार, 15 नवंबर 2020

ये कंहा

ये कान्हा और कोन सा जांहा लगता हैं
उसकी यादों का मजमा लगता हैं,वो
सच है या हकीकत,ये कान्हा, कोन है
मेरे पास नहीं,फिर भी कही तो है,
उसका अस्तित्व,उसका नसीब,
मेरे पास बस यही।
😀
मल्लिका जैन

मंगलवार, 10 नवंबर 2020

सब ठीक

सब ठीक ही है, मा को डांट कर पिता नाराज,
मा तो हंस कर चुप, किस्से कहानी सब
एक जैसे,हमदर्द और दोस्त सब के अपने किस्से,
कही वहीं दर्द तो कहीं वहीं सुख है,निरोग ऐश्वर्यवान
कौन हैं, यहां,सब एक ही तरह से समझ रहे कुछ
अधिक और कुछ और अधिक मांग रहे,धरती पर उतना
ही है,वो किससे मांगे, हर परिवार की बस यही कहानी है
इसलिए फिर से सब ठीक है, जीत सकते है,पर किससे
यही एक बात बाकी है 😀
मल्लिका जैन

शनिवार, 7 नवंबर 2020

अजनबी रास्ते

यहां हर तरफ इंसानियत का बसेरा है,फिर भी जाने क्यों
कोई इतना अकेला है, में तो मैं ही हूं,पर मेरा वजूद किस
तरह खोया है, में जीने कि कोशिश करती हूं रोज फिर मुझे,इस तरह परेशानी क्या है,कोई कुछ और कोई कुछ
सब के अपने ही रिश्ते नाते,आखिर ये माजरा क्या है
एक मै हूं कि सोचती हूं,तमाम बातें,फिर भी इन सब का
हासिल क्या है, व्यवस्थाओं की बात करें किससे, यहां
अपना घर जला के फूंक भी दे तो भी, कुछ होता नहीं
जान कर बहुत कुछ भी,साथ कोई देता नहीं,सच छोटा
हो जाता हैं,नहीं तो इंसानियत को ही मारने का बीड़ा उठा लेते हैं,मातम का बाज़ार सज़ा कर मुस्कुराहट बिखेर
देते हैं, आसू की आड़ में सपनो को सजा रहे उनकी भी
हस्ती क्या,आखिर में कोई रास्ता बनाते हैं,फिर नई चाल
चल देते हैं,कभी छल तो कभी बल,कुछ काम न आया तो
हकीकत के रिश्तों में प्यार का भी तमाशा बना देते हैं, गुस्सा आता है मुझे बहुत फिर भी ख़ामोश हो जाती हूं,
क्योंकि,किस को क्या कहूं पत्थर मारू  तो भी शीशे,
टूट जाएंगे,बचा के रखू तो भी अपने रूठ जाते हैं,मेरे पास कुछ नहीं फिर भी मुझ को ही डरा रहे,अपनी सत्ता
बचा ने को मुझ पर ही अधिकार जता रहे,मेरी अन्नत दुनिया में स्वागत है आप सब का चलिए देंखे फिर कौन
किसको आजमा रहे, में तो बस बोल रही हूं आप तो
अपना ही अंज़ाम तय नहीं कर पाते, कैसी और किसकी
बंदगी सब अंधे बहरे लगते हैं,ये तो खुद अपने के भी
अपने नहीं ,कितनी सफाई से मुझ को एक दौर में भेज
देते है और खुद अपना पता हटा देते हैं,और रास्ते फिर
भी अजनबी है बेगाने तो सब है मगर कोई बात हो तो
सही, अजनबी,रास्ते फिर से निकल जाते है 💐
मल्लिका जैन

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

जरूरत😀

जरूरत,मेरी अब कुछ ज्यादा है,बर्दास्त की हद हो गई,
एहतियात अब कुछ ज्यादा है,मुझ को ज़िन्दगी भर, सता
कर जाने किस की तबीयत सम्हलती नहीं,मेरे पास, कुछ
नहीं,एक ही दौलत बाकी है उसे सम्हालने की जरूरत है
बस इतनी ही ख्वाहिश, हैं जो कभी सुनता ही नहीं, उससे
क्या कहें न कभी सुना न ही सुनेगा,,बस जरूरत मेरी है,
तो देंख कही कोई रास्ता निकलता है मेरी जरूरत का,
मेरे परिवार का यहां न जश्न है न मातम,बस अब मेरी
जरूरत किसी और से ज्यादा है 💥
मल्लिका जैन 🙏

सोमवार, 2 नवंबर 2020

ख़्वाब

हकीकत के पन्नों में सिमट जाते है जो कभी सच नहीं
होते ऐसे रास्तों से गुजर जाते हैं,किसी को भी सच से
लेना देना नही है,सब अपने ही धुन कि बंदोबस्त में
लगे हैं किसी को एहसास और किसी को कहानी,
सब अपने अपने में उलझे हैं,कोई चिड़िया,और
कोई परिंदो की बात करते है, यांह सब की अपनी
अपनी जगह है फिर भी जाने कितनों के दामन
खाली है,काश कि मेरे लिए कुछ न सही इन्हीं का
इंतजाम हो जाए,हकीकत की दहलीज पर कभी तो
इन लोगो को सच मे कोई प्यार मिल जाए,कोई तो
किसी की कदर करें,कही तो कोई किसी का ताउम्र बने,
कुछ तो ऐसा हो जों,शायद बुरा ही सही पर किसी का
अपना तो बने,
मल्लिका जैन 👍

शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

कहने को

चुप हूं कहने को,बोलती हूं, पर फिर भी चुप हू
न तो यादे हैं,न ही उसका एहसास,तो फिर क्यों
चुप हूं,जरूरतों को देखती हूं,खामोशी को सुन ती
हूं, कोन है जो आस पास है,जाने कैसे किससे, बाते
करती हूं अक्सर लगता है,कोई नहीं,फिर किस को
पुकारती हूं, कैसी चुप हैं,सब मेरे नहीं फिर क्यो
तलाशती हूं😀

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

सुबह 😊

अच्छी सी सुन्दर,सजी,संवरी,सुबह,मेरे तेरे शहरों
की सुबह,अपनी अपनी बात है,मुझ को अब भी,
अच्छी लगती, तुझ को अच्छी लगती,अब कुछ
तलाश नहीं,सबको वहीं पुरानी, ज़िन्दगी,फिर भी
जीने के लिए ज़िन्दगी,अच्छी है,मेरे पास कुछ नहीं,
उसके पास हिसाब नहीं, चल आज फिर से,कोई
नई बात बनाते है, आ ज अपने लिए फिर जीने
की कोशिश करते है 😊
मल्लिका जैन 😂 

रविवार, 25 अक्तूबर 2020

दुर्गा 🌹

आज फिर अपने झूठ सच से मुझ को ठग लिया,
अपने फायदे के लिए किसी ने फिर से दुर्गा को पुकार
लिया,दुर्गा तो चुप रह गई क्योंकि उसको तो पता भी
नहीं कब किसके कब उसके है हथियारों से उसका ही
दामन जला दिया,मेरी पवित्रता को तोड कर अपने नाम
की कितनी और ज य कार करेंगे,यह की वर्षों पुरानी दुर्गा
ख़ामोश है उसमे न शक्ति न ताकत है,कभी कपड़ों
और कभी गहनों की सजावट तो कहीं हथियारों का
नकली दिखावा है,सच के नाम पर झूठ बेच रहे और
अपनी ही मा को शर्मशार कर रहे,इसको दुर्गा शक्ति पूजा
के नाम पर उसको ही खत्म कर दिया,कहते है रावण को
जलाते हैं,अरे उसने तो एक बार ही सीता का हरण किया
तुम तो हर बार अपने धर्म को भी बेच रहे कैसे मानवता
है क्या कहूं इसको इबादत कह नहीं सकती,पूजा का
स्वरूप कितना बिगड़ दिया,आज रावण नहीं एक दुर्गा,
ने दूसरी दुर्गा को जला दिया,क्या काला क्या पीला,सब
कुछ सिर्फ तुमने नस्ट किया, और आरोप भी लगा तो किस पर, कभी सूरत देखो आइने में अपनी सच में, जी ते
जी मर जाओगे,न ही देख सकोगे खुद को न ही मुझ से नज़रे मिला पाओगे,💥
मल्लिका जैन

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2020

मेरा दर्द

क्या बात है,,की तुम ने या मैने आज मेरे दर्द का फिर
मेरे लिए ही तमाशा बना दिया,तुमको जमाने भर के सच
झूठ का पता नहीं और मुझ को मेरे दर्द और तकलीफ का भी किसी,तरह से अफसाना बना दिया मेरे अस्तित्व
को बेच कर कितना तकलीफ किस को मिली नही,आज फिर किसी ने मुझ को मेरी नज़रों में बिना देखे ही गिरा दिया,मुनासिब इतना नहीं की हमदर्द बन के आए हो अब
लगता हैं मेरे लिए सिर्फ, तकलीफों का पुलिंदा ही साथ
लाए ज़िन्दगी हो, क्या कहूं तुझे,एक बार में मार देती,तो
बेहतर था तू तो मेरे ही,खिलाफ मुझ से खेलने लगी,
काश तुझे पकड़ पाती तो अपने हर एक सवाल का जवाब,मांग लेती,मुझे अच्छी या बुरी लगती तो बात भी,थी तू कब से किसी और के लिए सहायक हो गई
मेरे हित की बात तो तुझे आती नहीं,तेरा स्वार्थ भी,अब
किसी और का हो गया,चल आज से तेरे छल से भी,
निपटूंगी,मेरा वादा है किसी दिन तेरे लिए तेरे हित को बात करूंगी,मा न में सकती नहीं,दोष किसी को दे नहीं
सकती, सबूत तो तुम ही रख लेते हो सच्चे झूठे, सब,
मेरी किस्मत बदलने का दावा करते है,और खुद तुझे,
तेरी तकलीफ का पता भी नहीं।
मल्लिका जैन 😊












रविवार, 11 अक्तूबर 2020

💐साथ जाने कोन देता है 💐

💐साथ जाने कोन देता है 💐
तू रुक ज़रा आज मुझे कुछ कहना है,
आदत बहुत है तेरी,और में
समझदार भी नहीं,
फिर भी तेरे ज़हर पी लेती हूं
अब,बर्दास्त की हद हो गई,
कहीं ऐसा न हो,की दम निकले मेरा,
और तेरी पनाह भी न हो,
सूकुं,तेरे गीतों की खातिर कहीं, मै
जीते जीते,मर न जाऊं,
कहते है कि सब साथ ही मेरे,
पर कोई जवाब देता नहीं,
कितने रस्मों रिवाज है तुम्हारे,
मुझे समझ ही नहीं आते,
फिर भी कहती हूं तू अच्छी हैं,
समय मिले तो जीने की राह दिखा,
आज फिर से और दर्द न दे,
मल्लिका जैन
🤗🤗🤗🤗😁😁

शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

ये हंसी

ये हंसी,अच्छी, हैं,कभी देखी है,किसी ने खिलखिलाती
हुई,ऐसी हंसी आ जाए तो क्या बात,😄अच्छा है मै
भी, हसू,खिलखिलाहट संवर जाए,क्या है सोच रही हूं
😀

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020

शाम

इस शाम के धुंधलके में कोई तो बात हैं
लगता है मुझ से मिलती हैं,हसीन हैं,
फिर भी अपनी वास्तविक दुनियां से,
बेहतर, कमबख्त न बिकती हैं न कोई
इसका कोई ख़रीद दार है,फिर भी,बड़ी
नज़ाकत से,इस दुनियां को बांध देती है,
मल्लिका जैन 💐

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

शहेजे से सपने

💐आशाओं के अरमान से सहेजे सपने,हकीकत की
दहलीज पर कदम से कदम मिलाते किरदार,और,
चलते साथ,जीना सीख लेते हैं,मुस्कुराते हैं, महकते हैं,
फिर भी जीना सीख लेते हैं,कभी कोई पुकारता,तो कभी
कोई,हंसते खिलखिलाते ज़िंदगी का राग सा गाते हैं,कभी
तो मौत,पर राख से भी साज और संवर जाते हैं, बस ऐसे
ही दिन और रात के सफ़र में, फूलों से महक जाते हैं
मल्लिका जैन👍💐

शनिवार, 19 सितंबर 2020

झूठ और सच

मै कब कहती अपने मन की, यंहा कोई,अपना नहीं
सच जाना तो पता चला,हकीकत कभी मिटती नहीं,
चाहे जितने प्रयास करें, सच ऐसा रच जाता हैं कि झूठ
अपने आप ही बिक जाता हैं,कितनी जुबां और भाषाओं
मै बात करें,हकीकत में ये मन सब जानता है, सम्पूर्ण सत्य कहते हैं पूत के पांव पालने में नज़र आते हैं,कोई
ये तो बताएं की इन्सानों की बस्ती में, इन्सान कोन है
या किसी तरह से उम्र की दहलीज पार कर उतरने की
कोशिश में,मेरी अपनी हकीकत क्या है, मै क्या कहूं,और
किस से कोई अपना नहीं,प्यार एक हसीन झूठ,और
या फिर ज़िन्दा रहने की ज़िद, मौत एक हसीन सच 
और फिर से ज़िन्दगी की जादोज़हत, ये इतना ही फ़साना हैं बस गुना गुनाना हैं और अपने साथ जीना है
मल्लिका जैन 😄

शनिवार, 12 सितंबर 2020

अग्नि 🔥

अग्नि को जलने से फुर्सत नहीं,अग्नि को कितना
और कब बदला स्वरूप दिख जाएगा, मुस्कुराएगा कोन,
ये बेजुबान या फिर अग्नि किसी को अपने लिए,कहता
सुनता पाएगी,आज कोन सीता अग्नि परीक्षा देगी,या
फिर कोई रावण अग्नि के हवाले जाएगा,या फिर कोई
अपनी,अग्नि से अग्नि शस्त्र बनाएगा, मुझ को तो
पता नही चलता शायद अग्नि को कुछ पता चल जाए,
मल्लिका जैन🎉

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

प्रेम की व्यथा

ये जीवन की धारा और अपनों का अपनों से प्रेम
की व्यथा,,💗प्रेम के शिखर पर जाए कोन,प्रेम
को समझें कोन,कितने रूप में इसने खुद को 
सजा और सवार लिया,जिसे समझ आ गया वो
पार उतर गया,फिर कान्हा से ये कौन चला आया,
दिखता सुन्दर और आकर्षक,व्यक्तित्व से पूर्ण,
अपनी धुन में रचा बसा, गुनगुनाता चला,देखो,
आज धरती पर ये कौन आ गया,,तो प्रेम ने प्रेम
की चाल समझ ली,अपनी धुन और अपनी थाह
की राह ली,🔥की भी गरमी और💦 बूंदों का संसार
बस यही एक ☯️ प्रेम का संसार🎉
मल्लिका जैन 😄

मंगलवार, 8 सितंबर 2020

अपनी बात 😀

अपनी बात को कहने सुनने में भी भला कभी
वक्त लगता है एक तुम हो जो सुनते,हो  एक मै
हूं जो कहती हूं,एक तुम हो जो बोलते हो,कभी
नाराज़ तो कभी चुप ये अजनबी फिर भी पहचानी
दुनियां केसी हैं,तुम ही तुम हो या मै ही मै हूं,सोचो
क्या,कहे खुद से,न तुम कुछ समझ पाते न मै ही
बस इतना ही कहे और क्या, वक़्त से उधार कितना
ले,कितना किसका कोन चुका रहा ये भी कुछ पता
नहीं, फिर भी ज़िन्दगी, अच्छी हैं,और इसके साथ
दोस्ती भी अच्छी हैं,
मल्लिका जैन 👍😀

रविवार, 6 सितंबर 2020

साजो सामान 👍

ज़िन्दगी के साज़ और सामान की कोई और,
हकीकत होती काश अब तो मेरे पास मेरी अपनी
जागीर होती, में अब कुछ बन जाऊ ये बेहतर है,
किसी को क्या खुद को ही कुछ देने की हस्ती तो बने
काश अब मेरी ज़िन्दगी मेरी अपनी तो बने,अब क्या
और किस को बोलू, बहलाने को ख्याल अच्छे हैं,
मगर सच के सामने में कितनी छोटी हूं, आज फिर
अपना कोई फलसफा लिख रही हूं ज़िन्दगी,आज
फिर से अपना किस्सा अपने लिए लिख रही हूं
मल्लिका जैन,😀👍

बुधवार, 2 सितंबर 2020

ये मेरी बात,👍

कहते है ज़माने में, क्या"अक्सर कोशिश मे कमी रह गई"
कोई मुझे भी बताएं की कोशिश क्या करे जब अपने ही
उसे नाकाम करें,इंसानियत क्याकरे जब अकेली हो जाए
सबके अपने किस्से अपनी बातें,फिर भी हार जाने से बेहतर,फिर से कोशिश 😀👍
मल्लिका जैन 🙏

मुझ आजमाने मै 🙏

मुझे वक़्त लगा और, फिर भी काम में नहीं किया,
काश कि समझ जाओ वक़्त जब  आएगा दुनियां
से जाने का कोई साथ नहीं देगा,तमाम बातें, आज़मा
के क्या होगा,मेरी इबादत तो मेरी है वो किसी की 
जागीर नहीं, कितने भी धोखे क्यो न रचो, सच तुम
समझ जाओगे, एक दिन अपनी तक़दीर भी से सही,
कभी खुद से भी समझ दारी निभा लो तो अच्छा है,
मल्लिका जैन🌝😀

शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

यू तो 🙏

यू तो ज़िन्दगी अच्छी हैं पर फिर भी मुझे,
कितना कुछ सीखा देती हैं,पर लगता है मुझे
फिर भी कम ही है जाने क्या सीखती हूं जाने क्या
समझ ती हूं, तू ही जाने कोन से साज सामान के साथ रहती हैं,ये वक़्त की दुनिया दारी है,या तेरी जवाबदारी,
कोन जाने,मुझे तो समझ इतनी नहीं जितनी मै और मेरा
कुछ खास समझ दार मन बहलाने को जवाब देता है,
अच्छा है फिर भी तेरा इंज़म अच्छा है।🤗
मल्लिका जैन 🙏

गुरुवार, 27 अगस्त 2020

अच्छा क्या कहती हूं 🥰

मेरी अपनी यात्रा अच्छा तू बता क्या कहती हैं
कान्हा और किस रास्ते पर ले जा रही, हैं,तू
मुझे पहचान रही हैं क्या,मेरी तरफ देख रही है क्या
मै कोन हूं तू जानती है क्या,चल आज छल जाने दे,
मेरे साथ चल कान्हा पता नहीं किसी नए सफ़र
पर,चलते हैं,कुछ फिर से नया क्या है,तुझे कोई
बेहतर तरीके जीन के आते है क्या,  🍰
🍨मल्लिका जैन 👍

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

इन दिनों 😇

इन दिनों मेरी कोशिश रही की समझ जाऊ,
तुम्हे मगर, तुम तो,हद कर देते हो, तबस्सुम,
की तरह रहते हो जहां में,और मुझ से ही,
कोई नई तकनीक बनवाते हो,ऐसा नहीं कि,
समझ नहीं पाती,मगर,काश बनकर रह गए,
जो भी करते हो,अच्छा ही करते हो,मेरी
ख्वाहिशों में भी,तो यकीनन रहते हो, हां,
कभी मौका मिला मुझे तो भी क्या होगा,
ये तो तुम ही जानो,मेरी तो कोशिशों में भी,
तुम्हारा सुरूर है,आज कल फिर से,प्यार,
की कहानी लिख रहे हो,चलो अच्छा है,कुछ
तो तुम भी दोहराते हो,मेरी तरफ से क्या, तोहफ़ा
दू, हां इस मन को बहलाने के लिए भी समय
अच्छा है,🥰
मल्लिका जैन ❇️

शनिवार, 15 अगस्त 2020

हर दिन 😊

अक्सर दिनों के हिसाब में कुछ खर्च होता है,
कहीं कोई रोता कोई हंसता है,पूछती हूं अक्सर,
खुद से ही क्योंकि जवाब देने वाले तो देते नहीं,
सवाल मेरे हर दिन के बदल जाते हैं,मेरी समस्याओं
के हल निकलते नहीं,और बस हर दिन निकल जाता
तमाम भीड़ जाने कान्हा कान्हा लग जाती हैं,
और हर दिन यू ही निकल जाता हैं,क्या और किसको
जवाब,दू या सवाल पूछ लू,बस ऐसे ही हर दिन
की तरह आज भी बीत ही जाता हैं,😀☹️
😀मल्लिका जैन ☹️

गुरुवार, 13 अगस्त 2020

मेरी अटकलें 💢

मेरी अटकलें,तुम्हारी जरूरत सी क्यों है,
तुम कहीं नहीं हो तो, मै मानती क्यो नही,
मेरी अटकलें तो शक्ले बना और बिगड़ती
रही हैं ,फिर तुम कान्हा हो,क्या ये तलाश,
तुम्हारी भी है या सिर्फ मेरी हैं,मेरे पास,
कुछ नहीं तो क्या तुम्हारे पास भी कुछ
अपनी अटकलें हैं,आज फिर कोई रूप
में निकलेंगी देखो आज क्या बनाती हैं
मल्लिका जैन 💢

बुधवार, 12 अगस्त 2020

किसका कितना हिसाब💃🧮

हिसाब, लगाते ज़माना हुआ,न तो सही हिसाब जमा
न हिसाब का कोई सबूत मिला,कितना और कैसा कब
ख़त्म हुआ, पूरा किसने किया, कोन जान पाया है,
मैं भी तो बहुत लगाई हिसाब पर हांथ कुछ नहीं आता,
सब थक जाते हैं,कोई नींद से जागा तो कोई कहीं फिर
से सो गया,बोलो अब तुम ज़रा किसका कितना हिसाब,
🧮💃🏌️
🤯मल्लिका जैन 🧮

सोमवार, 10 अगस्त 2020

कितनी बेवकूफियां

बांट  है सब आज कल प्यार के नाम कि दुहाई दे कर,
जिसको देखो प्यार का राग सुनता है,अपना खुद का पता, नहीं और मुझ को मेरी हदे समझाता हैं,मूर्खो
की इस दुनियां में, काश कोई दिमाग वाला भी होता,
क्या समझ दुनियां की किसी को जो, भी देखो, बेवकूफी,
का राग मल्हार गाता है,प्यार का मतलब क्या जिनको
पता नहीं,वो चला है वादे निभाने, मुझ को हकीकत
में मारने कि हिम्मत कान्हा है इन लोगो में जो मै
अपने बेटे को भी संस्कार न दे सकी तो मा ही क्या😀
मल्लिका जैन

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

कितनी बार समझा




कितनी बार समझा तुम्हारी नादानियों है को
अब तो सुधर जाओ कैसा नामो निशा है तुम्हारा,
क्या तुमको मेरे मान सम्मान का ख्याल नहीं,
हद करते हो,अपनी हद से गुज़र जाते हो,मेरी,
नज़रों में क्यों अपना सम्मान गिरते हो,जितना,
तुम समझ रहे इतना तो मैं जानती नहीं,फिर ,
क्यो अपनी दादा गिरी दिखाते हो,जानते हो,तुम
कभी जीत नहीं पाओगे,फिर क्यो इतना इतराते
हो, कैसी व्यवस्था है तुम्हारी, कहूं अच्छी हैं या
खराब,मत इतना उकसाओ मुझे की फिर,मेरा,
किसी को रोद्र रूप देखना पड़े, किसी को बेमौत
मरना पड़े,अब तो मेरी क़दर और सम्मान करो,
अब तो सुधार जाओ,कभी तो अपनी बेवकूफियों
से बाहर आओ, अब तो सुधर जाओ,कभी तो
हदो में रहना सीख जाओ,सम्मान क्या होता है,
इसका अंदाज भी है तुम्हे,और कितनी बर्बादी,
क्या हर रोज कहीं जश्न मनाओ,या फिर शान्त रहू
फैसला कर ही लों जियोगे या मारोगे तुम,अपनी
हद में रहो 🙏

सोमवार, 3 अगस्त 2020

❇️राखी❇️

मेरी प्रार्थना,और राखी का त्यौहार, साल२०२०
और राखी का त्यौहार,लगता जैसे  अपने में
कहीं ख़ुश और कहीं ख़ामोश, कैसा राखी का
ये त्यौहार, में जानती कुछ कम हूं और तुम,
रहते हो कहीं तो, कभी तो राखी,मानते होंगे,
कितना अच्छा है ये राखी का त्यौहार, बहन
और भाई मनाते संग,में माता पिता भी, हैं इसको
मनाते,कभी खुश तो कभी भोजन की सौगात,
हां ज़रूर अच्छा है ये राखी का त्यौहार ❇️

शनिवार, 1 अगस्त 2020

❤️ आदतन हम ऐसे हैं 💕

आदत में शुमार कितनी ही नेमते हैं,मेरे पास तो
बस कुछ पलों के ही सहेजे फूल है,वो भी,तो,मेरे,
नहीं,फिर भी जाने क्यों हसीन लगते हैं, और कहे,
भी क्या अब तो पुण्य और कर्म दोनों भी, कम पड़,
जाते हैं,कोई रास्ता , कही और कहीं,यही मेरे,फिर,
से दोस्त बन जाते हैं, ये कैसे कहे कि हम ही अपने,
दोस्त, हैं और आदत है कि मानती नहीं,अक्सर,
ख़ामोश है कम्बख़त बदलती ही नहीं 😠

बुधवार, 29 जुलाई 2020

मेरी तो उम्र🌝

मेरी तो उम्र कट गई तमाम हालात में,कहते
हैं शिद्दत से देवता को पुकारो,तो वो भी आते
मगर मेरे लिए तो बस कहानियां ही उम्र बन 
गई,न कोई अपना पता चला न उसका, उम्र
मेरी उसकी सोहबत फिर भी न बन सकी,
बस चंद अल्फाज और कहानी से ही उम्र
कट गई ,आज तुम समझे नहीं,यादों से,भी
गुज़रे नहीं, ज़माना हुआ,मेरी उम्र का सिलसिला,
रुकता नहीं तुम ही तुम तो रहते हो हर,वक़्त,
कभी हार के भी देखो,जितने कि आदत इस,
क़दर की खुद किसकी उम्र में उलझ गए,
तुम्हे खुद भी पता नहीं,ये जो तमाशा,लगते हो,
दुनियां में जान किस बात पे उम्र का सजो समान,
सजा देते हो,क्या तुम ऐसे ही हो,या फिर कभी,
अपनी उम्र भी कहीं बिता रहे हो,तबीयत तो ठीक,
है हालात का क्या है आज कुछ कल कुछ,बस
इस उम्र के सफ़र में कुछ समझ दारी भी, डाल
दो तमाम इंसानों में थोड़ी गेरत भी डाल दो,
और तुम कभी न आए न आओगे,....😠🤫

शनिवार, 25 जुलाई 2020

अपनी अपनी धुन 🤔

किसी की जीत और किसी की कोशिश,सब अच्छी हैं,
मैं जानती नहीं जिनको,पहचान भी नहीं पाती,फिर भी,
उनकी सबकी कोशिश करती धुन अच्छी हैं, मै तो जीत,
नहीं पाती अक्सर,फिर भी गुनगुनाती महकती सुबह
अच्छी हैं,कुछ लम्हों में ज़िन्दगी से मिला देती,ऐसी,
राह अच्छी हैं,,,✨🧮
मल्लिका जैन ☕🧮

शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

कहते है सब🤔

कहते हैं सब की एक दिन अच्छा है पता नहीं कब,
रोज सुबह तो ऐसी ही होती हैं,मगर कुछ भी,समझ,
किसी की आता है,लगता है नहीं या हां पता नहीं,
कितना और वक़्त,समझ नहीं आता,🤔

बुधवार, 22 जुलाई 2020

आज की तारीख 💖

हंसती, गुनगुनाती आज की तारीख़, कसीदे पड़ती है
आज की तारीख़, मै अच्छी,हूं या लड़ती हूं किसी से,
कोन जाने,अपने लिए आसमान तलाश करती तारीख़,
रहने को कहा घर तलाश करती, तारीख़, अब कान्हा,
जाऊ ये सोचती तारीख़, आज तो मै खुद ही ख़त्म हो,
गई लगता है फिर अब किस को क्या कहूं,अब तो मुझे,
अच्छा कहती तारीख़,चलो आज सब खुश तो रहोगे,
मुझ को अब तबस्सुम में ही पाओगे💖😁

सोमवार, 20 जुलाई 2020

ये कैसी व्यवस्था 🤔

ये कैसी व्यवस्था तूने बना दी है,न तो मेरी,
समझ आती हैं और न ही तुम बदलते हो,
मुझ को और कितना बदनाम करोगे,सोचो
तो,ज़िन्दगी भी बोझ तो नहीं फिर,मेरी सीधी,
बातों को क्यो बेवजह गलत, कह देते हो,
तुमने,अपनी मर्जी से नियम बाना दिया,और,
मैने कब तुम्हरा सम्मान नहीं किया, इतना तो,
बताओ,ये कौन से लोग है जो जीना सीखा,
ते हैं या फिर खुद को किसी तरह बचा रहे,
बिना कसूर की आज भी तुम साजा बांट रहे 💖
मल्लिका जैन 😭

मुझ से दूर ही रहो🤔

मै अक्सर चुप हूं मगर आजकल बोलती हूं 
जाने कान्हा बंद हूं,खुद को तलाश रही,मिलता,
कोई जवाब कहीं से नहीं कोई भी तो इतना ,
अपना मिलता नहीं,किसको हम अपना कह
नहीं सकते,सब फ़रिश्ते तो नहीं,मगर,साजिश,
क्या रच दी इन हवाओं में किसने कौन जाने,
कुछ पता चलता नहीं,ऊपर भी कोई अपना,
रहा नहीं न कोई नीचे,साथ भी कोई रहता नहीं,
सब के अपने चर चे अपनी ही धुन है,और मै
भी कहीं दूर कान्हा कुछ पता नहीं 🤔
मल्लिका जैन 😇🤨


रविवार, 19 जुलाई 2020

ये आज की शिक्षा 🤫

चुपचाप रखी बच्चों की किताबें,कहानी से हकीकत,
कहती किताबें, शिक्षक के लिए साथ निभाती, किताबें,
दुकानों पर बिकती किताबें,जाने कितने ही किताबें,
जाने कोन, किसकी क्या कीमत लग जाती है, किताबें,
चुप रह ती है और अपनी ही बात बताती हैं किताबें,
🧮मल्लिका जैन 🎑

शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

ये तेरी सोहबत💖

ये तेरी सोहबत का असर हैं,की मै भी ज़हीन हो,
गई हूं तेरे लिए जीती हूं, ज़िन्दगी,और तेरे लिए ही
काटे भी बचा लेती हूं, तुम भी तो कुछ कम नहीं,
अक्सर मेरी हो, पर पहचान फिर भी नहीं पाती,
तेरे लिए दरवाजा खोला देती हूं,पर तुम आती क्यो,
नहीं,इस बार सीधे रास्ते आओ तो सही,सोहबत
का असर मनाए तो सही💖
🦸मल्लिका जैन 😍🧘

आज कल से अच्छा

आज कल से अच्छा है,पता नहीं किस ने कितना,
क्या किया,किसी को तेजी तो किसी को धीमा,
समय के हिसाब से जाने कौन चला,में आगे हूं,
या नहीं कौन जाने,लोगो के पास समय कितना,
कौन जाने, शौहरत शोर या फिर किसी के पास,
याद तो किसी के पास कुछ और ही है, हम भी,
कितने सवाल कर रहे हैं,खुद से जवाब पता,नहीं,
और मेरे पास भी तो कुछ बचा है,लगता है,आज
किस्मत मेहरबान हैं और आज कल से अच्छा है,
मल्लिका जैन 😍✨

बुधवार, 15 जुलाई 2020

रास्ते ऐसे भी ☺️

मै जब भी कोई बात करती हूं जाने क्या होता है,
कुछ रुक जाता हैं, राह में कांटे तो नहीं, पर फूल,
भी कान्हा खिल पाते हैं,सच लोगो को दिखाई नहीं,
देता और हकीकत से वास्ता भला रखता ही कोन,
है,लोग कान्हा अपने घर परिवार कि बात करते है,
मैं तो बस खुद ही समझ नहीं पाती, इंतना,बड़ा,
जहान,किस से किस को क्या मिला कौन जाने,
मेरे पास तो वहीं ख़ाली हांथ है,☺️🧘
मल्लिका जैन 🌝

रविवार, 12 जुलाई 2020

अपनों से शिकायत क्या,

मेरे पास अब भी कुछ नहीं,कहने को सब,
मगर,मेरे लिए कुछ नहीं,अपना कोई है नहीं,
और तुम तो हमेशा गैर ही थे,अब तो ठीक,
हैं,न तुम्हारे अपने तुम्हारे साथ हैं,अब तो,
शिकायत नहीं,फिर अब तो मुझे,जाने दो,
तुम्हारा सब तुम्हारे पास,और तुम्हे मेरी,आज
भी कोई जरूरत नहीं,हमेशा की तरह, मुझे,
ख़त्म करो और किस्सा ख़त्म 😍

😆मेरे पास तुम नहीं 🧘

एक अच्छा सा मज़ाक,मेरे पास तुम नहीं,
समझ नहीं आता केसे,अकेली हो गई,
न जेब में पैसा न राह का पता ठिकाना,
आज भी,तो अकेली ही हूं हमेशा की तरह,
कहते है,खत अधूरे रह गए,जब भी किसी,
तरह किस्सा ख़त्म हुआ,अक्सर मेरे पास
फिर शुरू तुमने कर दिया,क्यो मेरे साथ,
ऐसे खेल खेलते हो, यां हा तो तुम भी अकेले,
हो,अब सो जाओ सुकून से छोडो,सब देख,
लिया,अब समय बदल गया है,तुम अब,और,
बहस मत करो,अब सुकून से अकेले हो जाओ,
फिर से किस्से बन जाएंगे, चहतो के मान लो
अब सुकून से सो जाओ।💤✨

शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

🧘कहानी 🌪️

हर इंसान के अपने फलसफे अपनी कहानी है,
मै चुप हूं या बोल रही हूं कह नहीं सकती क्योंकि,
मैं तो बस एक कहानी हूं,जब जब तुम,इसको,
पड़ लेते हो,तो शायद अच्छी बन जाती हूं,नहीं,
तो सब के लिए पराई बन जाती हूं,कहते हैं,
खमोशी जुबां बन जाती हैं,पर यहां तो, सन्नाटे,
भी बोल रहे हैं,कोई सुनने वाला ही नहीं,क्या,
कसम है जो तोड रहे बार बार,अरे मै तो बस,
किस्सा हूं,कभी तो तुम्हारे अंदर का कभी,बाहर का,
बस इतना ही है, मै और कुछ नहीं,बस कहती
सुनती रहत हूं,कभी देवता लिख देते, हैं तो कभी
दानव लिख देते, हैं अब तुम्हीं कहो,क्या नहीं,
सुनोगे,या क्या प‌‌ढोगे,नहीं, या फिर चलचित्र,
से बना दी दोगे,तब भी तो कहानी ही हूं,
🦹🏼‍♀️ मल्लिका जैन🦸

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

एक काश

💤💬एक काश में अक्सर कई काश होते हैं,शामिल कुछ
नहीं,मगर फिर भी कहीं कोई तलाश होती हैं, जब
भी मै मुस्कुराती हूं अक्सर कोई बात तो होती हैं,
है मेरे भी काश में कोई और काश भी होता है,
देखते ही देखते ज़माना बदल जाता हैं,और, फिर
काश रह जाता हैं, हा मेरे भी काश,में कोई काश
तो अक्सर रहता है,💤💬
मल्लिका जैन 🙋

रविवार, 5 जुलाई 2020

😡हद 😠

हद कर दी,अब तो,तेरे अहसानों ने,मुझ को,
मोहब्बत का पाठ क्या पड़ा, दिया तूने,मेरी,
 ओलाद का कसूर तो बता,उसको भी,तेरे,
अहसानों में दफन किस क़दर कर लिया,
मेरे लिए चिता ही सजा देता,जिसके ,
अहसान,बना दिया उसको ही कमबख्त में
मेरा, ही तलबगार बना दिया,चाहती,हूं,कोई
सलीके की गाली ही दे दू,सालो ने उसका भी,
खरीददार बना दिया,यांहा कोन किसको,कब,
ठग लेता है,पता ही नहीं चलता कोई शरीफ,
बन जाता हैं और मै बस सबूत नहीं,दे पाती,
😡मल्लिका जैन 😠

शनिवार, 4 जुलाई 2020

🌝सब कहते🌝

👺👹मेरी हसरत, से क्या खेलते हो,किस बात पर तुम
इतराते हो,इत्र की कुछ बूंद ही तो हैं,फिर क्यो,
इतना मुझ को परेशान करते हो, ज़िन्दगी मेरी,
तुम्हारी, मोहताज तो नहीं,फिर भी मुझ से क्यो
और किस बात का बदला लेते हो, हा मै नहीं हूं
बाकियों की जैसी, तो क्या मुझे सताओगे, इस
तरह तुम मुझ से जीत नहीं सकते,कभी तो खुद
के बनाए नियम भी बादलों,क्या बादलों मै रह ते
हो,और अपनी जगह बनाने को इंसानों को तंग
करते हो, मुझ तक तुम कभी आए ही नहीं,तो,
किस बात पर तुम मुझ से इस क़दर तकरार ,
करते हो, मै ख़ामोश हूं इसका मतलब ये नहीं,
की तुम मुझ को परेशान करो,आखिर कब तक,
जिसको तूम मेरा कसूर कहते हो,वो मेरा नहीं,
क्या तुम रहोगे उस तरह जिस तरह मुझ से,
कहते हो,शायद नहीं,फिर भी इंसान तुम्हारे,
लिए मजाक बन गया,और तुम क्या बन गए,
मसीहा या फिर कुछ और, हा मै भी नाराज़ हूं
तुम से,क्योंकि जानती हूं कि तुम्हारी हद है,
मगर जिनको ठेकेदार बना दिया मेरी ज़िन्दगी,
का किस अधिकार से,मेरी सच्चाई का इतना,
मजाक कब तक,जानती हूं तुमको कोई,फ़र्क
नहीं पड़ता,फिर भी मेरी हर ख्वाहिश में तुम,
शामिल हो,शायद इसलिए,तो कुछ ऐसा ही,
करो,जला ही दो एक बार मुझे चिता पर,किस्सा,
खत्म तुम्हारी हर झनझठ,खत्म हो जाएगी,
न मै रहूंगी न तुम्हारे लिए कोई मुसीबत ही होगी,
आसान है न तुम्हारे लिए,तो फिर,हर बार जाने
देती हूं सिर्फ ये सोच कर कि कभी तो तुम,
बदलेगा मगर नहीं,तुम्हारे नियम कायदे कानून,
तुम्हारे लिए नहीं है ,बस बाकी लोगो से कब
तक लेते रहोगे,कभी खुद भी तुम ने दिया है,
किसी को,या फिर नहीं,मूझे समझ नहीं,
आते तुम्हारे फलसफे, छोड़ो,कभी तो तुम
समझ पाओगे,नहीं कहती की मेरी मान लो,
मगर मुझे जीने का अधिकार भी तुम क्यों,
छीन रहे हो या अपने राग राग में इतने मशरूफ,
हो की हमारी तकलीफ़ दिखाई नहीं देती,कब
तक ऐसा बेवकूफी से भरा जश्न मनाओ ,
क्या मुझ से नज़रे मिला पाओगे, जब मेरी,
जरूरत नहीं तुम्हें तो फिर किस बात का कानून
बताते हो,जिस दिन समझ गई तुम्हारे,फलसफे,
कसम से तुम्हे बताऊंगी की ज़िन्दगी कुछ और,
भी होती हैं,कभी तो?😠😡
मल्लिका जैन 🙋

शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

🌝कुछ विश्वास😾

कहते हैं मुझे सब अब तो बदल,करू क्या सोहबत 
उसकी बदलती नहीं,मेरे पास तो शब्द ही है,वो भी,
अक्सर कुछ तो कहते है,ज़िन्दगी ख़ूबसूरत है,वो,
जब बेवफा हो तो क्या किया जाए, कम्बख़त,किस
क़दर सता रही है,क्या किया जाए, हैं कोई जो मिल
नहीं सकता,और ज़िद है कि,बदलती हैं,आज फिर,
कोशिश करूंगी तबीयत से जीने की, देंखे,आज का
सफ़र केसा बीतेगा,🧐
मल्लिका जैन 🙋

🌧️बारिश ⛈️

🌧️😁बारिशों के मौसम में प्रकृति खूबसूरत हो जाती हैं,
अक्सर संवर जाती है,नए से ख़्वाब सजा लेती हैं,
मै भी गुनगुना लेती हूं,सोचती हूं, चलो आज सब 
से दोस्ती हो गई,बारिश ने रंग भी भर दिए मोहब्त
भी निभा दी,आज फिर से धरती धानी हो गई,
भोजन और पानी की व्यवस्था और जाने कितने,
व्यापार की व्यवस्था कर गई,एक बारिश का मौसम
हैं और ज़िन्दगी ही क्या मौत भी बेहतर हो गई,🌧️😇
😭मल्लिका जैन🤮

रविवार, 28 जून 2020

😀मन बहलाने को 😄

🤔मन बहलाने को जब मोबाइल भी साथ न दे,
क्या करें,किसी को कुछ कह नहीं रही मेरी मज़बूरी
कोई समझ पा ता नहीं,उम्र का तकाज़ा हैं, चुपचाप
रहती हूं तो भी, वहीं होता है,बोलती हूं तो भी वही
होता है,कोई जाने कान्हा से हंस देता है,कोई जाने,
कान्हा से गुस्सा हो जाता हैं,समझ ही नहीं पाती,
समझ दार कोन नादान कोन,क्या सच में मन
बहल पाता है या फिर मै अपनी ख़ामोशी को 
बांट रही हूं,या शोर जिसको कहते है,वो चुप हो
गया आज हवाओं का रुख कैसे बदल गया,
ओहो,कब तक जाने दू, ये लोग भी तो समझ ते,
नहीं,आज सोचती हूं,की हंस लू तो क्यों? रुलाते
हो,?क्या हंसी पे सिर्फ तुम्हारा हक है, नहीं,तो,
सच मुच की हंसी से मिलो कभी,अरे यार "सोनू"
आज तुम भी तो हंसो,😄 
मल्लिका जैन 😀

शुक्रवार, 26 जून 2020

😄मेरी सोहबत 😄

🤠मुझसे अक्सर सच का वास्ता पड़ जाता हैं,
राह में कहीं रहता है और झूठ से भी दोस्ती रखता
है ये मेरी सोहबत का असर या उसका करम खह नहीं
सकती,वो रुकता नहीं,में रोकती नहीं,कभी नज़रों
में आ जाता तो कभी छुप जाता हैं मुझे जिनकी जरूरत
नहीं उनको दे जाता,जिनकी उसे जरूरत नहीं उसे लेे जाता, कमबख्त न खौफ में जीता है न मुझ को
खुद जीता है,हर हाल में खुश रहने का हुनर उसको
आता है, और लगता है कि उसको मेरी सोहबत रास
नहीं आती,फिर भी करू क्या मुझ को तो रास आती हैं,😄,वो जीने के बहाने बना देता है और में मौत से दोस्ती
कर रही हूं,फिर भी कैसी कशमकश है खुद ही अपनी
सोहबत में जी रही हूं, ख्वाबों को सजा लेती हूं,फिर
नया ख्वाब बन जाता, कैसे रुके सवाल बस सोहबत
का बाकी रह जाता हैं 😷
मल्लिका जैन 😀

मंगलवार, 23 जून 2020

😁ये हसीं अच्छी 😄

,😄ये हंसी अच्छि हैं रोज ही किसी न किसी होंठ
पर सज जाती हैं, खिलखिलाती तो कहीं बस
मुस्कुराती है,कभी कभी सच्ची और कभीझूठी
पर कुछ भी हो अच्छी हैं जो कड़वाहट को मिटा
दे,ऐसी हंसी अच्छी हैं,जो जीना सीखा दे ऐसी हंसी
अच्छी हैं 😄
मल्लिका जैन 😁

सोमवार, 22 जून 2020

🤫अलग अलग फलसफे🤔

😄कैसी जिस्त्त हैं कि थमती नहीं,
केसा रुतबा है की रुकता नहीं,
मै भी जिसे तलाश करती हूं वो
भी,तो कुछ ऐसा ही है,कहते है,
सब जिसे कहते आज,वो भी है,
फिर भी,अजीब ओ गरीब है,
मेरे लिए क्या हैं,पता नहीं है,
बस फिर से चलते जाना है।😀
मल्लिका जैन😄



शनिवार, 20 जून 2020

😀कुछ ऐसा ही😀

,,😄अक्सर देखते हैं ज़िन्दगी तू कैसे सपने,सजा लेती,
कहीं अपनों को तो कहीं दूसरो को मिला देती,
अच्छी बाते करती अच्छी लगती हैं, पर कभी
कभी कुछ ख़ामोशी भी बिखरा देती,फिर भी,
तुम अच्छी हो 😄
मल्लिका जैन 😊

गुरुवार, 18 जून 2020

दस्तखत ✍️

अब कोई किसी कि सोहबत क्या करू,अपने
ही दस्तखत,बना देती हूं,जब जैसी जरूरत हो
तब,खुद को निखार लेती हूं,कहते हैं लिखावट 
कहीं बेतरतीब तो कहीं सुन्दर होती हैं,इनको
कैसे बताए की दिमाग के किसी दबाव का
परिणाम होती हैं,कहीं कोई जब अपने विचार
धारा लिखता है,तो वो उसके वातावरण का भी
प्रभाव होता है,ऐसे ही जब कहीं कोई परवरिश
पनप जाती हैं तो  लिखावट में उसका भी,
अपना मकाम होता है,ये सच है कि कुछ
कहीं तो कुछ कही दर्ज हो जाती हैं,फिर जब
कभी मौका मिला तो उसी पल से जाग जाती
है,तब तक तो समय ही बदल जाता हैं,और बस
ऎसे ये फिर से कुछ लिख जाती हैं ✍️
मल्लिका जैन ✍️

मंगलवार, 16 जून 2020

एक मै हूं

एक मै हूं सोचती समझ ती जाने क्या हूं,
खामोश ज़ुबां नहीं फिर भी चुप हूं,किसको
क्या बोले,सब,ही अपनी यात्रा पर निकल पड़े,
कहीं,अपने लिए थकान मिटाने का सबब तो
कहीं,कुछ न दौलत न शौहरत,ये तो अपनी ही
दास्तान बनाने निकल पड़े ।
मल्लिका जैन

सोमवार, 15 जून 2020

😠 कितना और😡

और कितना गीरोगे जितने की चाहत में,
न मुझ को किसी की जीत से मतलब न
ही किसी की हार से बिना वजह मुझ को
बदनाम कर दिया किसी कि मदत करने
की इतनी बकवास सजा दी,की अच्छाई
को ही नीलम कर दिया,आज सच बिकता
नहीं लोग बेच देते है,ईमान खुद का नहीं,
और रुतबा,कितना रखते हैं,मेरे साथ,लड़ाई
रही नहीं,और दोस्ती निभाना किसी को आता
नहीं,सब किसी से डर जाते हैं,अपने ही चाह त
को देखते भी है,क्या,या यूं ही काम चला लेते हैं
अपने सच के साथ जीना आता नहीं और अपनी
दुनियां बनना चाहते है, यहा सवालों की जगह हैं
ही कान्हा,किसी का सच किसी का जूठ,सब फरेब
सा लगता है,मुझ से जीत नहीं पाते तो रात हो या
दिन नियम बदल देते है,फिर कोई रूप बना या तो 
घर या बाहर कहीं निकल जाते हैं,किसके पास इतनी
फुर्सत है कि सच का सामना करे,अपने जितने के 
लिए कतल सारे आम करते है, मौत तो तांडव रच ही
नहीं रही,जाने कोन अपना तांडव रच ना चाहता है
क्या सोचता है कोई की किसको कितना पाना है,
यहां रहो या वन्हा,फ़र्क क्या पड़ता है,जब सब को
एक ही जगह जाना है क्या मजहब के नाम,पर
स्वर्ग नरक अलग अलग बनते है,या फिर,उस सुप्रीम
से सब डर ते हैं,सोचो कि उसमे भी तो कुछ सोचा
ही होगा तब तो दुनिया को बनाया होगा,अपनी भूंख
कितनी है,या फिर किसी कब तक के सवालों से परे
कोई जहान कहीं तो होगा, तकनीक ही तो हैं,फिर 
भी क्यों,सवाल अधूरे हैं,क्या किसी समय वीशेष
में ही जीत जाओगे,या फिर चुप चाप सही गलत
सब सह जाओगे,कभी आराम मिलता किसको है
और आराम के नाम पर तमाशे कितने फैला दिए
कहीं डर के कहीं जूठी सच्ची मोहब्बत के मज़मे लगा
दिए किसी को बाई तो किसी रानी किसी को राजा
किसी को क्या बनाओगे,मेरे पास तो जानकारी पूरी
नहीं,पर जिनके पास है वो कैसे जीते हैं,क्या उनके
अपने भी कभी खुश होते हैं?
मल्लिका जैन

रविवार, 14 जून 2020

👹ये इश्क़ का बाज़ार👺

सोहबत,इश्क़ की अक्सर हसीन होती हैं,
अक्सर अपने खुद के ही साथ रहती है,
तुम ही कहो कभी देखी है, सिद्दात की,
चाहत,अपने पहलू में सपने बुनती हैं और
दूसरो को कभी अमर,तो कभी कुछ और,
ही बना देती हैं,सियासत इसकी सारे जहान
में फैली है,और खुद अपने से जीने मारने का
पता पूछती है,मिल गई थी एक दिन मुझे भी
अपने समस्त सजो साज के साथ,बस बुन
अपना ही राग फिर चल देती है,किसी के हांथ
आती नहीं,धोखा दो या मोहब्बत करो इसको
खबर हो ही जाती हैं,सिर्फ एहतियात इतनी
ही रखना इसके अंदाजे बयां अलग ही किसी
की समझ आएंगे नहीं,कोशिश कितनी भी करो
इसकी ज़िद उसकी ही मर्जी है न किसी पे लाद
रही न किसी को पाल रही,बस  अपनी ही
 ख्वाहिशों में जी रही

मल्लिका जैन

👿कुछ तो नहीं👿

आज फिर से कुछ नहीं समझ नहीं पाई, शिद्दत से
चाहत और मुस्कुरा नहीं पाई,पल पल सपने बुने,
और फिर से देख, कह कर खामोश सजा पाई,ये
क्या खूबसूरत सी शोहरत बिखर रही हैं,देखो, शाम
फिर से हसीन हो गई,आ गई कही चुप चाप, कहने
सुनने को, ये तेरी दास्तान किस क़दर सवार गई,
यादों का गुलदस्ता,लेकर निकल गई, चल छल मत
तेरे लिए तो,कहानी फिर से कोई बुन गई,देखो तो
मेरे पास भी मुकाम नहीं तेरे पास भी मुकाम नहीं,
देखो,जाना मुझे भी हैं तुझे,और कितनी देर लगाएगा,
अब अपने घर को लौट जा,बहुत हुआ,याद कोई और
भी करता होगा, तबस्सुम होंठो पे सजा,फिर मुस्कुरा😀
मल्लिका जैन

शनिवार, 13 जून 2020

अत्रप्त इच्छा

सोचती हूं,जीती हू या मर जाती हूं,जाने क्या करती हूं
लोगो का उद्देश्य तो मुझे पता नहीं,पर मै कहीं तो रहती हूं
कैसे,क्यों,कब याद नहीं,फिर भी चल रही हूं,कहीं ख़ाली
तो कहीं मुक्त सी जीवन शैली,जी रही हूं,ये सब आसान
लगता है,फिर भी,कुछ चुप चाप समझ रही हूं, मान या
सम्मान भी छोटा हो गया,इंसान जाने क्या हो गया,मुझ
को कोई रोकता है या मै कहीं खुद रुक जाती हूं,आसमान से उतर आई धारा पर,पर अब तो जाने का
समय हो गया, हैं फिर भी जीती हू, हैं कौन वन्हा जो मुझे
आवाज़ देता है,या फिर ये भी कोई धोखा सा लगता है,
तमाम बातें विश्वास कर नहीं पाती,धोखे या सच, कैसे
बन जाते,पता नहीं चल ता,फिर उम्र के आगे जाना बाकी
हैं, ज़िन्दगी तू जीती, अब मै हारना चाहती हूं,सच में अब
थक गई हूं,जीने के बहाने तो बहुत है,पर आज भी में
कुछ और तालाश रही हूं,अब तो बहुत हो गया,कभी तो
मुझ से भी नज़र मिला, कही तो मुस्कुरा ले,
मल्लिका जैन

बुधवार, 10 जून 2020

😄 मुक्त संसार 😄

😄आज कल लगता है, हर किसी को डर,अपने और अपनों से,फिर भी, कही किसी कोने में,प्यार पनप ही 
जाता हैं,कोई हंस के और कोई रो के ज़िन्दगी गुज़ार
ही लेता है, मै हर रोज देखती हूं,खुद को खुद को
सुधार ने कोशिश करती हूं,ज़िन्दगी से नाराज़ नहीं पर
कुछ कमी तो है अब भी जिससे ऊबर नहीं पाई,या फिर
जाने कोन है, जो समझ कर भी, नजरअंदाज कर दिया करता है,आज तो मुस्कुरा रही हूं,जाने किस्मत से नाराज़
हूं,या मुझ से वो,शायद मेरे अपनों सी बाते, फिर जीत
जाऊंगी ऐसा नहीं ऐसा ही है,अब बेहतर से भी बेहतर
कोई जाने तो बात बने,मेरी अपनी ही ज़िन्दगी चल
फिर,कुछ तो बात बने😄
💖मल्लिका जैन 💖

शनिवार, 6 जून 2020

😄मेरे पास क्या😄

😄लोगो को लगता है अक्सर, मै खामोश क्यों हूं,
तमाम बातों में जो मुझ को खींच लेते हैं,उनकी 
हकीकत क्या, मुझे समझ नहीं,पर उन समझ
दार की हकीकत क्या,जब कभी अपने आप से
आंखे मिलाएंगे,खुद से कहेंगे क्या,सच और झूठ
में बारीक लाइन,भी जब मिट जाए,तो फैसला ही 
क्या करना,फिर भी यदि ज़िन्दगी संवर जाए तो,
तो जाने देती हूं, माफ़ी तो मेरे पास अब भी नहीं,
पर तमाम के सामने मै क्या, मुझे समझ आए,
इससे पहले जो डर जाए,वो एक फसाना ही क्या,
अपने आप ही जो जानता होगा,कहीं तो, आंख
झुका लेगा,जीत की ख़ुशी में को गम में कर शामिल
वो किसको बताएगा,जो झूठ का सहारा बार बार,
ले,उसकी हकित कभी तो उसे और मुझे याद भी
आएगी,इस्त्री होना या पुरुष होना,कसूर तो नहीं,
लेकिन,बिना वजह मुझ पर अपनी मर्जी लादना
खूबसूरत धोखे से कम भी नहीं,फिर,भी मै,ज़िन्दा
हूं,किसी दिन इस दुनियां को अलविदा कह जाऊंगी,
फिर दुबारा कभी नहीं आऊंगी,
😄मल्लिका जैन😄

बुधवार, 3 जून 2020

😄दास्तान ऐसी भी😄

😄सपनों से शुरू हो कर हकीकत,बन ती हैं,
बच्चो से सपने बुन लेती है,रोती हस्ती गाती,
कहीं दूर निकल जाती हैं, दिमाग के किसी कोने,
में बैठी मुझे सच और झूठ में फ़र्क करना सीखा देती हैं
मेरे सच कैसे भी हो, लोगो की अपनी ही बाते है,
कहीं कुछ तो कहीं कुछ, कैसे,किसको कहे,
सादगी इतनी सस्ती नहीं,और महगांई भी महंगी नहीं
देखने और समझे तब जान पाओगे, अपनी अक्ल
की बाते जाने देना नहीं तो मेरी तरह झूठे कह लाओगे,
इतनी सी बात है दुनिया में जीने का सलीका सीख कर
ही जीना है,और अपनी तकदीर भी बनाना हैं
तो मुस्कुरा की फुर्सत निकाल लेना और जीने का तरीका
भी,क्योंकि ज़िन्दगी और अंत दोनों अच्छे हैं दोनों
की दास्तान अच्छी हैं 😄
मल्लिका जैन

सोमवार, 1 जून 2020

💫 छोटी सी ✨

छोटी छोटी बातें बड़ी बन जाती हैं, ज़िन्दगी,
तेरी तरह मेरी भी कहानी बना देती हैं, मै हूं
कांहा समझ आता नहीं,अपनी ही समझ नहीं
तो बात क्या करू,लोगो की समझ से मुझे अब
भी नहीं,सरोकार,फिर भी सहायक हूं किस तरह
पता नहीं,चलती हूं जिस वास्तविकता पर,उसका
भी सच अजीब सा लग रहा,मेरे पास कुछ नहीं फिर
भी, ख़ाली नहीं,जाने को सारा जहान पड़ा,और कोई
रास्ता भी नहीं, कैसी व्यवस्था,जो अब भी अधूरी,
इंसान होना दुनियां की सबसे बड़ी नियामत,फिर
भी कहीं तकरार,कहीं प्यार,कहीं गुस्सा,और भी
बहुत कुछ,और मुझ को सरोकार भी नहीं, मै भी हिस्सा
बन नहीं पाई इस जहां का,अब भी मुझे तलाश कुछ
और है,अब जाना चाहती हूं यहां से,सिर्फ पता चले
जाना कान्हा?💫
😄मल्लिका जैन 🍀

गुरुवार, 28 मई 2020

✨छोटी सी अच्छाई ✨

✨ अच्छी, बातों को सुनते, सीखते किन्हीं, तकलीफों से
बड़ी हो गई,अब भी रातों को नीद से डर तो नहीं पर,
अच्छा होना भी अच्छा सा लगता है,मेरे पास कुछ नहीं,
कुछ आराम के पल भी बचे नहीं,और, तरीके कितने ही
अपना लू सोचती हूं अच्छा ही होगा, चुनौतियां भी अक्सर,बनती बिगड़ जाती हैं,लोग धर्म ही क्या ईमान
के खरीददार हो नहीं सकते,अच्छाई भी अच्छी हैं और
उसकी तलाश मुझे भी, हैं अपने आस पास ही है,सोती
है पलकों में बंद आराम से कहीं, जागती अल्साई आंखों से,कभी जब डांट देती, हूं,कभी रो भी लेती हूं,पर कोई
अपना सा कान्हा है,बस एक मै और मेरी छोटी सी,
अच्छाई,आज कुछ तकलीफ़ सी हुई तो हैं,फिर भी चुप
हूं सोचती हूं शायद,फिर कुछ अच्छा जरूर होगा ।
😊मल्लिका जैन ✨

बुधवार, 27 मई 2020

😀खोशिश😄

।।हर बार कोशिश करती हूं,की कुछ तो समझ लीजिए,
फिर कोई फ़लसफ़ा बना लेते हैं, नाम भी नहीं लेती,
फिर भी,खोज खबर अपनी ले लेती हूं, आंखों में
मेरी नमी नहीं, होंठो की हंसी भी बेमानी हो गई,
तबस्सुम में फिर तराने बन ही गए,आज की कोशिश,
फिर से कुछ अच्छा करेगी,किसी की ज़िन्दगी कहीं
तो अच्छी होगी,उसको समर्पण क्या करू,जो खुद
ही,समर्पित हो गया,आज फिर से अपनी कोशिश
ज़ारी करुंगी,फिर कुछ और करूंगी अपनी राह,
फिर से वहीं है, पहुंच कर जांहा,से मेरे लिए,
मुझे ही जाना है,शायद कोशिश फिर से कामयाब
होगी, किसी दिन तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही
लूंगी, फिर से अपने लिए कोशिश करूंगी,
।।
🍀मल्लिका जैन 🍀

मंगलवार, 26 मई 2020

अजनबी दुनिया

✨अपनी ही खव्हिशो का ताना बाना,अब टूट गया
जिसकी तलाश मुझे को जाने कान्हा गया,
अब बस मै ही हूं,इस एक सच के साथ की,आज
भी, वो ईश्वर या खुदा,लोगो के धर्म में जिस तरह
भी पूजते हैं जीता तो होगा, जिस सच को मैने
जाना है,वो है तो सही,  और एक दिन मुझे भी
जाना है और अब फिर वापस नहीं आना है,
उसका पता लगता है गुम गया,अब मुझे भी,जाना
हैं ✨
मल्लिका जैन

सोमवार, 25 मई 2020

✨कुछ दिन ✨

अपने तो मिले नहीं, जाऊ कन्हा,ज़िन्दगी,अच्छी हैं
फिर भी मुझे तकलीफ़ देती हैं,मेरी तारीफ के कसीदे
क्या कोई पढ़ेगा,मेरे पास तो कुछ नहीं,सबका साथ
छूट गया अब कुछ पास नहीं,सोचती हूं,जाऊ कंहा
कोई अपना नहीं,सब मतलब के साथी,क्यों, क्योंकी
सबकी अपनी कहानी है,किसे दोष दू,और किस्से,
निवारण कराऊ,सब ऐसे ही बेवजह, इतनी बड़ी,
दुनियां जाने मैने क्या सीखा, जाने उसने क्या सिखाया
सब ऐसे ही तमाम हो गया,किस्सा मेरा फिर आम हो
गया,में खुद ही तलाश करती रही ख़ुदा,और वो भी
पास से गुज़रा तो ख़ामोशी से,कहीं कोई नहीं, मै अकेले
ही रहती हूं,अभी उसको तलाश करती हूं कभी खुद का
पता पूछती हूं,बस ऐसे ही  .. कुछ दिन बिताती हूं ✨

बुधवार, 20 मई 2020

🍀सच🍀

🍀सच कभी सुख और दुःख दे गया,
आज फिर मेरे लिए कुछ, नए
अपने ही सच छोड़,गया,
खुश या नहीं फिर भी मुझ से
कोई कुछ तो समझ गया
आज मेरी सच की सुबह अच्छी
आज मेरी नज़र में सच हूं।,🍀

सोमवार, 18 मई 2020

🍀रस्क कुछ ऐसे भी 🍀

🍀 यंहा कितनी ही बातें हैं,कुछ तो सच जरूर
होगा ही,सब का अपना ही किस्सा है,कोई सुनता
और कोई कहता हैं, तारीफ़ करे या फिर दर्द बाट
कर जिए,कितना सितम है उसका,कहीं तो सोचता
होगा,कुछ दिमाग भी रखता होगा, सेवा भी,खुद
करता होगा,कभी सच में दिल से हंसता होगा,
शायद कहीं तो खुश रहता होगा, कहीं तो लम्हे
सुख और सुकून के पाता होगा, मुझ से तो मतलब
नहीं,क्या खुद से भी कोई मतलब रखताहोगा
और ऐसे ही कहीं फिर निकल जाता होगा,🍀

शुक्रवार, 15 मई 2020

जमा ख़र्च

कहते हैं सब जिसको,ज़िन्दगी फिर उसी को एक
दिन मौत का नाम दे देते हैं, मुझ को ही चेन नहीं
या किसी और को भी ऐसे इल्ज़ाम देते है, ता उम्र
जीने, की इच्छा बची नहीं और मौत से भी कोई दोस्ती
रही नहीं,न तो अब तमाशों की फिक्र ही रही न अब
कोई ज़िन्दगी भी बोझ सी लगने लगी हैं, बोझ अब
उठता नहीं, और लोग तमाम बाते बना लेते हैं,
यहां किसी को किसी की फिक्र सच में नहीं है,और
मै चाह कर भी कुछ कर नहीं सकती, किसी को
ताकत का गुरूर है और किसी को अपनी ही जीत का
न किसी के पास सच है और न किसी के पास सच
का झूठ ही है,क्यों हिसाब लगाने लगे हैं,अपने घर
परिवार का, यानह यादों का जमा खर्च भी नहीं,
तामाश बिन सी दुनियां में सम्मान से जीना किसको
कहते है अब मुझ को याद भी नहीं,मेरे साथ जुड़े ही
क्यों हो,जाओ कहीं और बसेरा बनाओ,अब मेरे पास
कुछ भी नहीं,ये जूठ अच्छे नहीं ये ज़िद अच्छी नहीं
किसी को इस कदर सता ना अच्छा नहीं मज़बूरी
को कमजोरी समझ लेते हैं वो भी कोई इंसान है,
जिनको अपने जितने कि फिक्र है क्या वो सच
में भगवान,या ईश्वर या रब या गॉड कुछ है,
वो ऐसा हो ही नहीं सकता, मुझे पता नहीं कैसा होगा
फिर भी यदि कहीं होगा तो इन सब से अच्छा ही होगा
🍀✨

मंगलवार, 12 मई 2020

🙏💖 माधुर्य ज़िन्दगी का 🍀✨

✨इस ब्रम्हांड के किसी कोने में,रहता होगा,इस्वर✨
रचता जाने कितने ही ब्रम्हांड,न में उसको जानती,
न वो मुझ को समझ ता है, मेरे पास तो नहीं ,फिर
भी अपना सा लगता है, कितने ही बार कोशिश
करती उसको जानने की, कहते हैं रहता कणकण
में, आश्चर्य,फिर भी मुझ को मिलता नहीं,शायद,
व्यस्त होगा किसी और ही दुनियां में, कभी मिला
तो पूछूंगी,ठीक हो, जागते हो या सोते हों,कभी
हंसे हो, या रोए भी हो,या तुम कू छ हो भी की नहीं,
कितने,सवाल है मेरे, पर तुम तो मिलते ही नहीं,
लगता है कहीं, मै ही, धोखा तो नहीं खाती हूं,
सांस चलती है फिर भी तुम पर संदेह नहीं, पर
कुछ बताओगे कभी या यू ही,मुझे ,चलो रहने
देते हैं, तुम्हारे आस्तित्व पर मेरा प्रश्न चिह्न अब भी
बाकी है,समय मिले तो जवाब मत देना,सिर्फ मुझ
वो राह बतान,जो मै चाहती हूं,नहीं,तुम वैसे ही
अच्छे और मै ऐसी ही अच्छी 🍀✨

गुरुवार, 7 मई 2020

🍀सफ़र मेरा🍀

🍀कैसी कशमकश सफ़र की,में कुछ भी किया नहीं,
सिर्फ अपनी सच्चाई जानना चाही, अपनों को,
जन्ह तक बना प्यार ही दिया,सच मेरा तकलीफ़
कब बना पता ही नहीं,कोई कहता, हैं मै झूठ रच
देती हूं और कोई कुछ, किसको कहूं की अपने को
बचने की कोशिश करती हूं,जाने किस्से, कोन आज
भी डर सा पल जाता हैं,जिसको दूर हटाती हूं, हर पल
वहीं सामने आता है,जिसको अच्छा कहती हूं रेत सा
फिसल जाता हैं, यान्हा लोगो का मज़मा भी सच नहीं
लगता, किस धरातल पर रहती हूं अब तो ये भी पता नहीं
लगता, जिनको माफ़ किया उनको किसी ने ख़ुदा बना दिया,जिनको गुस्सा किया उनको तार दिया,मेरी ही, शक्ति, मुझे गलत कहती हैं,जिसको मेरा पता नहीं,वो
मेरा सच कहती हैं,और एक मै जो बरसो से अपना
सच जान कर भी नहीं समझ पाई, किसी ने छोटा सा,
और किसी ने बड़ा सा नाम दे दिया, कैसे,ये दुनियां
ख़ूबसूरत है, सच में सुन्दर तो है,पर मेरी कहानी कुछ
और हैं...🍀

रविवार, 3 मई 2020

🍀मेरी कोशिश 🍀

आज कल खुश हूं सोचती हूं सबक किसको सिखाऊ
ये जो तमाम बातें हैं किसको और कैसे बताऊं, मुझ को
कितना तंगाओगे, किसी दिन तो अपनी तस्वीर पर हार
चड़ाओगे,अब दुबारा कभी भी इस दुनियां में न आऊ
यही बेहतर है, यांह ज़िन्दगी भी किसी की उधार हैं
जो समझ ते हैं,मै उनसे डर ती हूं,बस वो खेर तभी तक
मनाए जब तक मै चुप हूं,मेरी सहन करने की ताकत 
को कमजोरी मत समझ लेना, मै चूप हूं क्योंकि आज
भी किसी का अदब रखती हूं,उसको भी पता नहीं
क्या सूझी की मुझे बिना वजह सजा दे दी आज,
जनता हैं मेरी नीयत फिर भी मुझ को सजा देता है,
अपने को कितना और ऊपर रखो गे, मेरी, सीरत भी
किसी की तलब गार नहीं, मुद्दत हुई, मै सोई नहीं,
और मुद्दत हुई वो रोया नहीं, काश कि मुझ से कोई
रिश्ता नहीं होता ज़माना मेरा वजूद हर बार मिटाना
चाहता है आज फिर कत्ल मेरा सारे आम करता है और
मुझ को ही सजा देता है,जरूरत खतम किसी की तो
उस को नगा है फेंक देता है,नसीहत देता है,और जीत का
सहरा बांध लेता है,कैसा है वो खुदा भगवान या जो भी
उसका नाम है, वो कम से कम ज़िन्दा तो नहीं,जिसको
जज्बातों को फिक्र नहीं वो मेरा ईश्वर नहीं हो सकता,
जिसको मेरी फिक्र नहीं, वो मेरा ईमान क्या खरीदेगा
जिसको मेरी क़दर नहीं को कभी भी मेरा रकीब नहीं,
🍀

शनिवार, 25 अप्रैल 2020

🍀सुबह सुबह 🍀

✨ लोगों की जरूरत पूरी करती ज़िन्दगी अच्छी हैं
रोज लोगो की खवाहिश से सजती संवरती ज़िन्दगी अच्छी हैं,कोई अपने मन की कहता,तो कोई सपने
देखता ज़िन्दगी अच्छी हैं,इस सब में जीवन की इच्छा
अच्छी हैं कोई अच्छा तो कोई कम अच्छा,फिर भी
अच्छा ही है,सब की अपनी ख़ुशी अपने सपने,उनकी
अपनी दुनियां अच्छी हैं, कर्म का हिसाब तो कहीं त्याग
तो कहीं खटी मीठी नोक झोंक अच्छी हैं,हर तरफ से
सबकी अपनी शिकायत तो कभी,और कुछ,फिर भी,
उसकी बनाई दुनिया अच्छी हैं,
🍀🌹

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

✨ये जो ख़्वाब है 🙏

क्या कही सच भी जिंदा रहता है,रोज कोई तन्हा
सच को जी ता है उम्र का तकाज़ क्या करू, जूठ
कितना छो टा है,तमाम बातें हैं, मै और क्या कहूं,
मेरी किस्मत को भी बांट लिया लगता है अपनों ने
गैर की बात क्या करू,कहती रही सब से मगर,
सब के धोखे हसीन है,और मेरा सच बस जी रहा
सबको अपनी ही धुन,और मेरी तलाश अब भी
कुछ और है, य न्हा उम्र बीत गई हैं और लोग कहते है
मैं ज़िन्दा हूं,आज किसी को क्या बोलूं रूठूं भी जाऊ
तो किस कोई अपना तो हो, न जीने की ख्वाहिश
न मारने की चिंता फिर भी किसी आफत सी ज़िन्दगी
आज सुकून के पल चुरा लूं, जीने की ख्वाहिश भी बांट दू
मगर दर्द के अल्फ़ाज़ नहीं होते,और ख़ुशी की तलाश 
बाकी नहीं, न दुनियां  को  दर्द चाहिए न सुख ही,
सुकून मेरा, मुझे बेहद अज़ीज़ है,मेरे पास आज इसका
पता तो है,मुझ में जीने की ख्वाहिश में कितनों के
ख्वाब पूरे हो गए,और मुझे अब तक मेरा ही पता न चला
अस्तु....
मल्लिका जैन 🙏🙏🍀

मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

😇 समय,Time😇

😇समय बदलता है,किसी से पूछता नहीं, की सुख
में हो या दुःख में,क्योंकि समय की कोई शिकायत
किसी से नहीं,इसका कार्य ही चलते रहना है,
"मै पल में तोला, तो पल में लंबा अंतराल हूं
 तू समझ ले मुझे,शायद मुझ को तो मेरा,
पता याद है, मै रहता सब जगह और कहता
भी हूं,तू समझ में कैसा नौनिहाल हूं, तेरे दुःख
तेरे सुख सब अच्छे हैं, मै समय हूं बदल जाना
मेरा ही कमाल है,कोई,कहता है मन की शक्ति,
तो कोई, तदबीर, मै ही अपनी एक मिसाल हूं,
😇😇😇😇🙏✨
मल्लिका जैन

सोमवार, 13 अप्रैल 2020

😇आज का दिन 🍀

आज का दिन अच्छा था,जैसे मेरे हिस्से में सब अच्छा
😇मेरे अपनों से दूरी, कम  आंखों में पानी था अच्छा
किसी की तकलीफ़ भी समझ गई और मेरा दर्द अच्छा
नसीब को दोश दे नहीं सकती, दिन का हिसाब अच्छा
मेरी रातों को तरानुम बनाने का ख्वाब किसी का अच्छा
दिन भर की जाने कैसी कशमकश और दिन अच्छा
हजारों की तादाद और मेरा मसला हमेशा अच्छा
जानती नहीं जिनको उनको भी खुशी मिली अच्छा
करम नवाजिश सब कुछ जाने कान्हा से आया अच्छा
और अच्छे से खुद ही जीती हू सब उसका है अच्छा।
And all is well 😊😊

सोमवार, 30 मार्च 2020

😇मुझ में सब अच्छा है 😇

😇
अच्छे लोग भी तमीज दार बन जाते,मै कुछ कहती नहीं
मगर वो भी तो समझ दार बन जाते,मेरीबर्बादी का नीशा,
इस क़दर सुलझ गया,अब सभी का वो मालिक बन गया
मै आज कल खुश हूं,अब दर्द का अहसास नहीं रहा,
देंख़ रही हूं कुछ भी तो अब उसका गुमान न रहा,
इस ज़िन्दगी की अजदोज़हत में मेरा सफ़र अच्छा ही रहा
😇🙏

सोमवार, 23 मार्च 2020

💫दर्द की मुस्कुराहट 👌

🥰असुओ की किताब पर सपनों का महल बनता हैं कोई,
जवाब जनता नहीं,या मुझे बताता नहीं,जाने कोई,
मुझे इस बार  सता रहा है,मेरी इबादत का पता नहीं उसे
फिर भी मेरे फलसफे मुझ को ही सुनता है कोई,
मैं किसी को समझ पाती तो समझ भी लेती यनहा तो
मुझ को ही मुझसे डराने की कोशिश में पुराने किस्से
मुझ को सुनता कोई, न इनको किसी की परवाह न ही
अपनी ही फिक्र, न ज़मीर कोई न ही इनके वायदे कोई
सबको सबसे ही मिला दिया, और खुद खामोश हो गया
मेरे लिए तो उसका जहर ही काफी था मुझ को प्यार भरी
नफ़रत दे गया कोई,कमसे कम दुश्मनी तो ईमान से निभा, दोस्ती नहीं न सही, मेरी सोहबत का असर ले गया कोई, उसकी बाते सब सच्ची और मेरी आशिकी का सुरूर, इस क़दर सादगी से मिला,मेरा ही तमाशा बना गया कोई, फुर्सत के समय लोगो को देकर, आज ज़िन्दगी
का नया पर पाठ पढ़ा गया कोई,मेरे ही साए में रह कर,
मुझ से ही कहानियां बता गया कोई,🥰

शनिवार, 14 मार्च 2020

🥰कुछ मुस्कुराहट 😇

😇कितनी अच्छी मुस्कुराती, सी बातें हैं
कहीं ज़िन्दगी को संवारती सी बातें हैं
मै कंहा कहती हूं कुछ ऐसी भी बाते हैं
सजती संवरती सी गुनगुनाती बाते हैं
सुनती अपनी सी ही धुन की बाते हैं
मै किसको क्या कहूं ऐसी बाते हैं
मैं  लगती चुप हूं फिर भी बाते हैं
होंठो की मुस्कुराहट कैसी है ये भी बातें हैं 😇

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

🍀 परवरिश 👌

🍀परवरिश तेरी है,कभी ईश्वर बना तू,तो कभी🍀
🍀 किस्मत का फैसला किया,हर बार तू ही जीता🍀
🍀मुझ को भी शौक ये क्या हुआ,तेरे क्या अपने 🍀
🍀अस्तित्व पर ऊंगली उठा दी,न तेरे सवाल समझ 🍀
🍀आए न तेरी सोहबत में जवाब ही मिला,चल,आज🍀
🍀 मुस्कुरा ही दे,आज मै नहीं,तू ही अपना राग सुना🍀
🍀आज बंदगी को फिर परस्तिश बना, हा इस बार👌
🍀 बुत नहीं इंसानों की बात कर,आज खुदा की बात🍀
🍀नहीं आज ज़िन्दगी की बात कर,कुछ खूबसूरत🍀
🍀किस्से मै बना लू,कुछ तराने तुम सुना दो,🙏👌
🍀आज की परवरिश में ज़िन्दगी, को ज़िन्दगी 👌
🍀से संवारते हैं,आज फीर मुसकूराते है,😃🥰🍀
🌻मल्लिका जैन🌻

बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

😇सच 👌

जरूरत नहीं पड़ती सच की,तेरी सोहबत
साथ छोड़ दिया करती है, में जीती हूं हर
रोज फिर भी देखती हूं ज़िन्दगी हर रोज
बदल जाती हैं,कोई कितनी बाते बना लेता है
और वो फिर से सच की तलाश में निकल जाता

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

😇सोचती हूं दर्द ही तो हैं 👌

😇दर्द भी मुस्कुरा दिया,कुछ न बन सका तो😇
😇उसको ही खुदा बना दिया ज़िन्दगी बेज़ार 😇
😇थी, बेजार ही रही,दर्द सब जाने कन्हा बह 😇
😇वो मेरा अपना कभी था ही नहीं,जिसको मै 😇
😇 अपना कहती रही, गुज़र गया हद से कितनी😇
😇कितनी बार वो और मैं सिर्फ उलझी ही रही,😇
😇जाओ अपने ताने बाने देखो तो सही,कितने सच😇
😇कितने झूठ सोचो तो सही,मुझ को खरीदने चले😇
😇इतनी हस्ती किसी भी नहीं, मुझे,क्या कोई देगा😇
😇और मैं क्या किसी को दूंगी मेरी भी ऐसी हस्ती 😇
😇चाहती हूं आज ही मौत से रूबरू हो जाऊ, न मै 😇
😇 राहु न तेरी ख्वाहिशें ही रहें, तू दिल को बहलाता 👌
😇बहुत है मगर ज़िंदा दिल यांहा कुछ भी नहीं👌
😇मेरी तकलीफ़ दर्द सब मेरा है,तेरा सब तेरा है,  😇
😇जाने किस  नाम पर साज़दा हो गया,कम्बख़त 😇
😇फिर भी तेरी हर बात माफ़,और में यू ही बदनाम😇
😇 वाह क्या ख़ूब तरन्नुम की सौगात दी,क्या ख़ूब😇
😇 मुझे जी ज़िन्दगी दी, आज रहने दो, जश्न मना 😇
😇तो लो,जब होश आ जाए तो बात करेंगे,वफा😇
😇 का ज़िक्र किसी और दिन करेंगे,अपनी हस्ती 😇
😇या तुम्हारी नियामत ज़िक्र कभी तुमसे रुबर करेंगे😇
💓 Mallika Jain 💓

शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

😃ख्वाहिश 😃

👍मेरी ख्वाहिशों की दुकान में क्या क्या जुड़ जाता,😃
😃कभी बेटे की पढ़ाई की चिंता,तो कभी खुद की😃
😃किस्मत का किस्सा इन उलझे सुलझे विचारो के😃
😃कहीं किसी अपने का याद आना,अखर जाता हैं😃
😃समय है कि रुकता नहीं,और सब्र है हारता नहीं😃
😃मुझ को शौक भी कैसे हैं, घर की दहलीज के सब😃
😃सपने देखने ,रोज याद दिलाते है,चल अभी और😃
😃 मुकद्दर बात बंद,आज फिर मुझे कहीं नौकरी की😃
😃की तलाश में जाना है और,आज तो मिल ही जाए😃
😃यही ज़िन्दगी की कहानी है मेरी कलम से मेरी 😃
😃अपनी कहानी है, दुनियां और दोस्तो की बात 😃
😃च लरहने दे ख्वाहिश, नई बनानी है, छोड़ कविता😃
🌻अभी तो आज की कहानी बनानी है🌻
💓 मल्लिका जैन,💓

बुधवार, 29 जनवरी 2020

किस्मत

😃हसीन और जहीन किस्मत कैसी है, दोस्त मेरे😃
😃ये जुआ खेल ही जाती हैं,देखती हूं इसको 😃
😃ऑस्कर ये मुझे आजमा रही हैं या मै इसको😃
😃तू मुझे पुकार ले,आज कुछ बेहतर हो जाए😃
😃इस बार तो दोस्तो से मुलाक़ात हो ही जाए😃
😃 मै समझ लेती हूं, उसके जज़्बात,यारो😃
😃आज मेरे जज़्बातों की बात हो जाए,मुनासिब😃
😃वो रहनुमा मेरे कहीं तो मेहरबां हो जाए,😃
🌻 मल्लिका जैन 🌻

शनिवार, 25 जनवरी 2020

✨👍उसकी आशिकी में✨

😃उसकी आशिकी में इस कदर रूबरू हो गए,😃
मोहब्बत की कसम तन्हा हो गए,वो कुछ कहे तो😃
हम उनको सुनाए,उनकी तारीफ में क्या कसीदे सुनाए
वो जहीन और हसीन कितना है क्या बताए,😃
बिना मोल के हम बिक गए,और वो कुछ कहे तो सही😃
सुन लूंगी उसको बड़े शौक से वो कुछ कहे तो सही😃
यारो का को यार है,उसकी मिसाल क्या दू,वो जिस्म😃
का नहीं रूह का सुकून है, मै उसका परिचय क्या दू😃
एक ख़ूबसूरत नज़्म की झनकार या किसी,गीत की😃
की गुनगुनाहट, मै उसको, तकदीर का मसीहा नहीं तो😃
और क्या कहूं,मेरे पास उसका जवाब आ जाता 😃
वो इस क़दर सादगी में रहता है कि क्या कहूं,😃
अब में अपनी किस्मत के सवार ने वाले को क्या कहूं😃
मल्लिका जैन 😃✨👍💗

शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

ज़िन्दगी 👍

😃 सोहबत कितनी 😃

👍आज फुर्सत तो नहीं,फिर भी घर के कार्य पड़े हैं 😃
😃 कहे किसको, खुद ही करने हैं, कुछ पीड़ा का अहसास 😃 तन को हैं, कुछ मन भी बेचैन,कोई बीमारी नहीं,बस😃
😃 ठंड की अटखेलियां है, सहन नहीं हुई,तो कोई बीमारी,😃
😃का नाम दे गया,कुछ डॉक्टरों की फीस,और दवा की 😃😃कीमत का पर्चा भरा गया,शरीर ही तो है,शायद,उम्र का😃
😃असर पड़ रहा है,चलो कोई बात नहीं, खुद को खुद से 😃
😃ही ढाडस देती हूं, तमाम कोशिश करती हूं,मन को और😃
😃 शरीर को चलाती हूं, जिन्दा होने का सबूत इतना😃
 😃काफी हैं,आज फिर सुबह की शुरुआत अच्छी है,😃
😃 काफिया तो कोई बना नहीं, और ज़िन्दगी अच्छी है 😃
😃
😃मल्लिका जैन 😃

रविवार, 5 जनवरी 2020

खूबसूरत

👍 ख़ूबसूरत ✨

🤲मेरी हर दुआ में वो शामिल हैं,कहते हैं 👌
🤗 ज़िन्दगी जिसको,सब उसकी अमानत है ✨
💢मुफलिसी, तो नहीं,मगर रईसी भी तो नहीं✨
😇 उसे पुकारू कैसे,जिसकी नेमत से मै,जी रही✨
🥰कहते हैं सब जिसको ज़िन्दगी मेरे पास आज💞
💢उसका पता नही, ज्जबात,समझ कर अपने💢
👏 बयान क्या करू,रोशनी की किरण या फिर👏
👍ज़िन्दगी,सब में उसका ही नूर,वो दूर कितना👏
🤲और आगे भी, सिलसिला चला आता,जब✨
😂चलो आज फिर से एक बार उसे तलाश करु ✨
✨ मल्लिका जैन ✨

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...