सोमवार, 25 जनवरी 2021

आज़ादी

आज भी आज़ादी इतनी आसानी से नहीं मिलती
कीमत अब भी चुकाई जाती हैं, जिसको कहते सब
खुश रहना हो भी इन्सान से छीन लेते हैं, क्या बच्चे
क्या बूढ़े सब मनाते है, बस हकीकत छिपा लेते है,
रंग भी तीरंगे से बदल जाते है, कभी बेटा तो कभी
परिवार कभी धर्म जाने किस किस के नाम पर कोन
किसी की ख़ुशी बांट रहा कभी हमसे कभी किसी से
जाने दुनियां में क्या बांट रहा, न बांट ने वाले को
पता न लेने वाले को पता,कभी जानवर तो कभी
इन्सान तो कभी कुछ और कोन किस से लेता है,
मेरे लिए ही न खुद के लिए,शायद खुद को ही
मूर्ख बना रहा,अंधेरे उजाले सब एक बराबर,
जानें किस्मत से कोई खेल रहा, मेरे हिस्से मे क्या
आया उसके हिस्से में कभी कुछ था नहीं, मुझ
से कुछ पाया नहीं,मेरे,सरकार क्या किसकी खुद
उसकी भी हस्ती नहीं,जों ये बना रहा,उसको भी
अपनी पहचान नहीं, यांहा सच है, संसार से ही क्या
खुद से भी, वो जीत नहीं पाता,इसको वो जीना कहते
है,जों उसका है ही नहीं वो मेरा भी नहीं।😀
मल्लिका जैन

बुधवार, 20 जनवरी 2021

सुना है मैने

सुना है मैने "परिंदो में फिर का परस्ती नहीं होती,कभी
मन्दिर पे जा बैठे कभी मस्जिद पे"
मेरे जीने मे फर्क सिर्फ इतना है,रूह से जुड़ते ही कान्हा
हो,दर्द को जीते ही कान्हा हों, दर्द मेरा हमदम बन के
रूह पर मरहम लगा लेता है ,मुफलिसी में भी मुस्कुरा
कभी तो लेता है,मेरा साथ एक दर्द ही देता है,तुम तो
बस खुशियां ही लेते हो, मेरी तकलीफ को भी, बांट रहे
सुख को भी ले जाते, न रूह को पूर्णनम करते न दर्द की
थाह लेते, मेरे बस में नहीं इसलिए अपनी बात कहते हो
मुझ से वास्ता नहीं बस एक बात कहते हो 💐
मल्लिका जैन

मंगलवार, 12 जनवरी 2021

पसंद

जिसे हम पसंद नहीं वो भी अपना हक बताता है,
जिसकी मे जागीर नहीं वो भी अपना हक बताता है
मेरे वतन के लोगो ने मुझे,तंग कर दिया दूसरा क्या
मुझ से वफ़ा करे गा,मेरे विश्ववाश को भी तोड़ दिया
जिसने वो क्या मुझे सहेज पाएगा,मेरी तकलीफ और
दर्द को जिसने अपना व्यापार बना लिया वो क्या मेरा
कभी बन पाएगा,धोखे का बाज़ार कितना खूबसूरत है
कभी कोई और कभी कोई, पता ही नहीं चलता,सच
किस की जागीर बन गया,अब मेरे लिए फिर से, रचा
नया खेल,मेरे क्या काम आयेगा, जों मेरी ओलाद का
दर्द और तकलीफ समझ न सके वो क्या मेरा साथ निभाएगा, जिसने तकलीफ खुद मुझे बांट दी धर्म के
नाम पर वो मुझे क्या नया पाठ पड़ाएगा,क्या लक्ष्मी और
क्या काली, और क्या सरस्वती सब एक बराबर यनहा कोई सच्चा नहीं, जब खुद मुझे पता नहीं कि किसने क्या
रच दिया तो वो ईश्वर मेरे साथ क्या निभाएगा,जों 😭😱
मल्लिका जैन (मल्लिका सिंह)

रविवार, 10 जनवरी 2021

💐सच😱

सच मुस्कुराता हुआ अच्छा नहीं लगता लोगो को,
झूठ, हांथो हांथ बिकता है,किसे फिक्र ईमान की,
धर्म की खुशी या दुःख, किसे परवाह,इन्सान की,
अस्तित्व और वजूद परिभाषा ही रह गई,वादे
सब खोखले हो गए जश्न या तांडव,क्या मनाओगे,
सच फिर भी सच रहेगा,किसी दिन तुम,खुद अपने
से आंख मिलाओगे शर्म से शर्म शार होंजाओगे,
सच कहूं 😀
मल्लिका जैन 😄

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...