सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

✨थकान🧞💫

🤔थकान,👌
💐ज़िन्दगी,तू इतनी बेज़ार कैसे हो गईं,👍
💐तुझ से खफा हो भी जाए तो भी,👍
💐तुम कहीं रुकती नहीं,👍
💐मुझे चाहती तो तू कभी भी नहीं थी,👍
👌सोचती हूं मौत ही आ जाती तो अच्छा होता,🥰
💐कमबख्त रोज जीती हूं किसी दिन तो👍
🏵️रात के अंधेरे से निकल जाती तुम कितना🥰
👍भी कहो तुम बदलोगी नहीं, और में अब👌
😭तेरे लिए बहुत जी ली अब अपने लिए💐
🤔जीने की तलाश करू तो कैसे,🤔
😆सबको मै शायद समझा नहीं सकती,😅
🤣फिर भी जी लेती हूं,😁
🤣काश कि पैदा है न होते तो बेहतर था,😭
😙यंहा अपना तो कोई भी नहीं,😘
😊सब मतलब के साथी है,🤩
🥰झूठ का तमाशा,और ज़िन्दगी तेरा मेला🧐
🤐हैं,उकता गई हूं अपनी ही बार बार की हार🤫
🤭से कहते हैं लोग की जीत जाती हैं अक्सर🤯
😇हिम्मत पर मै थकी नहीं, और तुम🤓
🥳मुझ से जीती नहीं,👀
✍️किसी दिन ज़िन्दगी और मौत दोनों मिली🤳
🙏तो पूछूंगी, की मौत अच्छी या ज़िन्दगी,💅
🧠दिमाग की बाते या वातावरण ,💫
💬कुछ बदला ही नहीं,💤
👁️‍🗨️बरसो से तुम मुझे सताती ही आई,👂
🦶कभी मुझे हंसा भी देती,🦴
🖖तुम मेरे किसी काम की नहीं,👆
👉आज भी मै तन्हा ही हूं,👈
🤙और यहां अपनों का कोई पता भी नहीं,🤞
🖕सब झूठ के ताने बाने है,सच की किसी को🖖
😝कद्र भी नहीं ज़िन्दगी अब तेरी थकान दूर करू,🤪
😋ऐसी कोई तहरीर मिल जाए शायद,🥺
😦अपने अकेले पन कि मुझे अब😓
😖आदत नहीं, लोगो को क्या दिया😩
😫ये तो पता नहीं पर मुझ को तेरी🤢
😠सोहबत रास नहीं आई,😡
🌚मेरी थकान तू खुद उठा ले,🤑
🥳अब मेरे पास और इसकी जरूरत नहीं।👺
✨मल्लिका जैन💫
🧞🧞

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2019

🌾जीने की ज़िद🌾

👌जीने की ज़िद☘️

👍ज़िन्दगी तुझ को जान कर भी जान नहीं पाई,🥰
🥰जीते जीते थक गई,और तू तो कभी मिली है नहीं,🌿
🥰मै भी तुझ पर भरोसा कर बैठी,न तूमेरी कभी थी,🌿
🥰बस सांसे है इसलिए जी लेती हूं,जाने कब मौतआ🌿
🥰जाए पर क्या वन्हा भी कहीं सुकून होगा,🌿
☘️जिसेतलाशतेबरसो बीत गए हो कान्हा हैऔरक्या 🌼
🌼है पता नहीं, मै इंसान तो हूंपरशायदकहीं कुछऔर🌼
🤩भीहोगई याबनगईपता नहीं, सच्चाईआज भीचुप है,
🌻जैसे सब केअपनेअपने फलसफे,कोई कुछऔर  🌼
🌻कुछ किसी एक पल भी कभी मुझे रुला देता हैं,🌼
🌻और दूसरा हंसाने की ख्वाहिश में जाने क्या 🌼
🌞कर देता हैं फिर भी 🙏🤗
🌻ज़िन्दगी तुझ को जिया हैं,🌻
🌿🌿🌿☘️🌾


मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...