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बदलते रूप मे दुनिया की नीयत भी बदल गयीरोशनी भी अपने ही आप जाने कितने रूप में
बदल गयी कभी दुःख तो कभी सुख में सिमट
रही,मुझ से नाराजगी तो बहुत जाता दी मगर
मेरे साथ चले वो रोशनी न रही,जो सच मे एक
बार भी हिम्मत कर सके मुझ से सच बताने
की वो रोशनी अजीब से हालात में बदल गई
मुझ पर इल्जाम लगाने और खुद को सही
साबित करने वाले बहुत मगर किसी मे भी वो
सच्चाई न रही,अब तो बहुरुपिए से घूम रहे है
दुनिया में दोस्ती निभाने की हिम्मत भी अब
किसी मे न रही,सब अपनी ही बात कहते है,
मेरी तस्वीर पर हार चढ़ाने को सब बेकरार है
पर मुझे सच मे आँख मिला सके ऐसी रोशनी
न रही🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️🕯️
💐मल्लिका जैन💐