क्या बात है,,की तुम ने या मैने आज मेरे दर्द का फिर
मेरे लिए ही तमाशा बना दिया,तुमको जमाने भर के सच
झूठ का पता नहीं और मुझ को मेरे दर्द और तकलीफ का भी किसी,तरह से अफसाना बना दिया मेरे अस्तित्व
को बेच कर कितना तकलीफ किस को मिली नही,आज फिर किसी ने मुझ को मेरी नज़रों में बिना देखे ही गिरा दिया,मुनासिब इतना नहीं की हमदर्द बन के आए हो अब
लगता हैं मेरे लिए सिर्फ, तकलीफों का पुलिंदा ही साथ
लाए ज़िन्दगी हो, क्या कहूं तुझे,एक बार में मार देती,तो
बेहतर था तू तो मेरे ही,खिलाफ मुझ से खेलने लगी,
काश तुझे पकड़ पाती तो अपने हर एक सवाल का जवाब,मांग लेती,मुझे अच्छी या बुरी लगती तो बात भी,थी तू कब से किसी और के लिए सहायक हो गई
मेरे हित की बात तो तुझे आती नहीं,तेरा स्वार्थ भी,अब
किसी और का हो गया,चल आज से तेरे छल से भी,
निपटूंगी,मेरा वादा है किसी दिन तेरे लिए तेरे हित को बात करूंगी,मा न में सकती नहीं,दोष किसी को दे नहीं
सकती, सबूत तो तुम ही रख लेते हो सच्चे झूठे, सब,
मेरी किस्मत बदलने का दावा करते है,और खुद तुझे,
तेरी तकलीफ का पता भी नहीं।
मल्लिका जैन 😊