शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

कहने को

चुप हूं कहने को,बोलती हूं, पर फिर भी चुप हू
न तो यादे हैं,न ही उसका एहसास,तो फिर क्यों
चुप हूं,जरूरतों को देखती हूं,खामोशी को सुन ती
हूं, कोन है जो आस पास है,जाने कैसे किससे, बाते
करती हूं अक्सर लगता है,कोई नहीं,फिर किस को
पुकारती हूं, कैसी चुप हैं,सब मेरे नहीं फिर क्यो
तलाशती हूं😀

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

सुबह 😊

अच्छी सी सुन्दर,सजी,संवरी,सुबह,मेरे तेरे शहरों
की सुबह,अपनी अपनी बात है,मुझ को अब भी,
अच्छी लगती, तुझ को अच्छी लगती,अब कुछ
तलाश नहीं,सबको वहीं पुरानी, ज़िन्दगी,फिर भी
जीने के लिए ज़िन्दगी,अच्छी है,मेरे पास कुछ नहीं,
उसके पास हिसाब नहीं, चल आज फिर से,कोई
नई बात बनाते है, आ ज अपने लिए फिर जीने
की कोशिश करते है 😊
मल्लिका जैन 😂 

रविवार, 25 अक्तूबर 2020

दुर्गा 🌹

आज फिर अपने झूठ सच से मुझ को ठग लिया,
अपने फायदे के लिए किसी ने फिर से दुर्गा को पुकार
लिया,दुर्गा तो चुप रह गई क्योंकि उसको तो पता भी
नहीं कब किसके कब उसके है हथियारों से उसका ही
दामन जला दिया,मेरी पवित्रता को तोड कर अपने नाम
की कितनी और ज य कार करेंगे,यह की वर्षों पुरानी दुर्गा
ख़ामोश है उसमे न शक्ति न ताकत है,कभी कपड़ों
और कभी गहनों की सजावट तो कहीं हथियारों का
नकली दिखावा है,सच के नाम पर झूठ बेच रहे और
अपनी ही मा को शर्मशार कर रहे,इसको दुर्गा शक्ति पूजा
के नाम पर उसको ही खत्म कर दिया,कहते है रावण को
जलाते हैं,अरे उसने तो एक बार ही सीता का हरण किया
तुम तो हर बार अपने धर्म को भी बेच रहे कैसे मानवता
है क्या कहूं इसको इबादत कह नहीं सकती,पूजा का
स्वरूप कितना बिगड़ दिया,आज रावण नहीं एक दुर्गा,
ने दूसरी दुर्गा को जला दिया,क्या काला क्या पीला,सब
कुछ सिर्फ तुमने नस्ट किया, और आरोप भी लगा तो किस पर, कभी सूरत देखो आइने में अपनी सच में, जी ते
जी मर जाओगे,न ही देख सकोगे खुद को न ही मुझ से नज़रे मिला पाओगे,💥
मल्लिका जैन

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2020

मेरा दर्द

क्या बात है,,की तुम ने या मैने आज मेरे दर्द का फिर
मेरे लिए ही तमाशा बना दिया,तुमको जमाने भर के सच
झूठ का पता नहीं और मुझ को मेरे दर्द और तकलीफ का भी किसी,तरह से अफसाना बना दिया मेरे अस्तित्व
को बेच कर कितना तकलीफ किस को मिली नही,आज फिर किसी ने मुझ को मेरी नज़रों में बिना देखे ही गिरा दिया,मुनासिब इतना नहीं की हमदर्द बन के आए हो अब
लगता हैं मेरे लिए सिर्फ, तकलीफों का पुलिंदा ही साथ
लाए ज़िन्दगी हो, क्या कहूं तुझे,एक बार में मार देती,तो
बेहतर था तू तो मेरे ही,खिलाफ मुझ से खेलने लगी,
काश तुझे पकड़ पाती तो अपने हर एक सवाल का जवाब,मांग लेती,मुझे अच्छी या बुरी लगती तो बात भी,थी तू कब से किसी और के लिए सहायक हो गई
मेरे हित की बात तो तुझे आती नहीं,तेरा स्वार्थ भी,अब
किसी और का हो गया,चल आज से तेरे छल से भी,
निपटूंगी,मेरा वादा है किसी दिन तेरे लिए तेरे हित को बात करूंगी,मा न में सकती नहीं,दोष किसी को दे नहीं
सकती, सबूत तो तुम ही रख लेते हो सच्चे झूठे, सब,
मेरी किस्मत बदलने का दावा करते है,और खुद तुझे,
तेरी तकलीफ का पता भी नहीं।
मल्लिका जैन 😊












रविवार, 11 अक्तूबर 2020

💐साथ जाने कोन देता है 💐

💐साथ जाने कोन देता है 💐
तू रुक ज़रा आज मुझे कुछ कहना है,
आदत बहुत है तेरी,और में
समझदार भी नहीं,
फिर भी तेरे ज़हर पी लेती हूं
अब,बर्दास्त की हद हो गई,
कहीं ऐसा न हो,की दम निकले मेरा,
और तेरी पनाह भी न हो,
सूकुं,तेरे गीतों की खातिर कहीं, मै
जीते जीते,मर न जाऊं,
कहते है कि सब साथ ही मेरे,
पर कोई जवाब देता नहीं,
कितने रस्मों रिवाज है तुम्हारे,
मुझे समझ ही नहीं आते,
फिर भी कहती हूं तू अच्छी हैं,
समय मिले तो जीने की राह दिखा,
आज फिर से और दर्द न दे,
मल्लिका जैन
🤗🤗🤗🤗😁😁

शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

ये हंसी

ये हंसी,अच्छी, हैं,कभी देखी है,किसी ने खिलखिलाती
हुई,ऐसी हंसी आ जाए तो क्या बात,😄अच्छा है मै
भी, हसू,खिलखिलाहट संवर जाए,क्या है सोच रही हूं
😀

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020

शाम

इस शाम के धुंधलके में कोई तो बात हैं
लगता है मुझ से मिलती हैं,हसीन हैं,
फिर भी अपनी वास्तविक दुनियां से,
बेहतर, कमबख्त न बिकती हैं न कोई
इसका कोई ख़रीद दार है,फिर भी,बड़ी
नज़ाकत से,इस दुनियां को बांध देती है,
मल्लिका जैन 💐

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

शहेजे से सपने

💐आशाओं के अरमान से सहेजे सपने,हकीकत की
दहलीज पर कदम से कदम मिलाते किरदार,और,
चलते साथ,जीना सीख लेते हैं,मुस्कुराते हैं, महकते हैं,
फिर भी जीना सीख लेते हैं,कभी कोई पुकारता,तो कभी
कोई,हंसते खिलखिलाते ज़िंदगी का राग सा गाते हैं,कभी
तो मौत,पर राख से भी साज और संवर जाते हैं, बस ऐसे
ही दिन और रात के सफ़र में, फूलों से महक जाते हैं
मल्लिका जैन👍💐

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...