रविवार, 10 दिसंबर 2023

खुश

मुस्कुराहट खुशी जैसे कुछ शब्द ही तो हैं
क्या तुम्हे पता है इन्हे बनाए रखने में क्या
लगता है चलो आज तुम्हे बताती हूं, मै
थोड़ा धैर्य इंतजार हर बार की अब ये पूरा हुआ
तुम फिर बिगाड़ देते हो जैसे तुम्हे खुशी 😀
पसंद है फिर तुम उसे आने क्यों नही देते
मेरे अपने हकीकत पूरे क्यों नही करते
क्या तुम्हारी शिकायत करू तुम बुरे हो 
बोहत बुरे तुम मुझे चोट क्यों देना चाहते हो
तुम्हे कोई हक नही मेरी खुशियों को छीनने का
तुम कभी खुद का हिसाब लो तुम बुरे हो
फिर भी कोशिश करती हूं शायद समझ जाओ
शायद 
मल्लिका जैन

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