शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

यू तो 🙏

यू तो ज़िन्दगी अच्छी हैं पर फिर भी मुझे,
कितना कुछ सीखा देती हैं,पर लगता है मुझे
फिर भी कम ही है जाने क्या सीखती हूं जाने क्या
समझ ती हूं, तू ही जाने कोन से साज सामान के साथ रहती हैं,ये वक़्त की दुनिया दारी है,या तेरी जवाबदारी,
कोन जाने,मुझे तो समझ इतनी नहीं जितनी मै और मेरा
कुछ खास समझ दार मन बहलाने को जवाब देता है,
अच्छा है फिर भी तेरा इंज़म अच्छा है।🤗
मल्लिका जैन 🙏

गुरुवार, 27 अगस्त 2020

अच्छा क्या कहती हूं 🥰

मेरी अपनी यात्रा अच्छा तू बता क्या कहती हैं
कान्हा और किस रास्ते पर ले जा रही, हैं,तू
मुझे पहचान रही हैं क्या,मेरी तरफ देख रही है क्या
मै कोन हूं तू जानती है क्या,चल आज छल जाने दे,
मेरे साथ चल कान्हा पता नहीं किसी नए सफ़र
पर,चलते हैं,कुछ फिर से नया क्या है,तुझे कोई
बेहतर तरीके जीन के आते है क्या,  🍰
🍨मल्लिका जैन 👍

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

इन दिनों 😇

इन दिनों मेरी कोशिश रही की समझ जाऊ,
तुम्हे मगर, तुम तो,हद कर देते हो, तबस्सुम,
की तरह रहते हो जहां में,और मुझ से ही,
कोई नई तकनीक बनवाते हो,ऐसा नहीं कि,
समझ नहीं पाती,मगर,काश बनकर रह गए,
जो भी करते हो,अच्छा ही करते हो,मेरी
ख्वाहिशों में भी,तो यकीनन रहते हो, हां,
कभी मौका मिला मुझे तो भी क्या होगा,
ये तो तुम ही जानो,मेरी तो कोशिशों में भी,
तुम्हारा सुरूर है,आज कल फिर से,प्यार,
की कहानी लिख रहे हो,चलो अच्छा है,कुछ
तो तुम भी दोहराते हो,मेरी तरफ से क्या, तोहफ़ा
दू, हां इस मन को बहलाने के लिए भी समय
अच्छा है,🥰
मल्लिका जैन ❇️

शनिवार, 15 अगस्त 2020

हर दिन 😊

अक्सर दिनों के हिसाब में कुछ खर्च होता है,
कहीं कोई रोता कोई हंसता है,पूछती हूं अक्सर,
खुद से ही क्योंकि जवाब देने वाले तो देते नहीं,
सवाल मेरे हर दिन के बदल जाते हैं,मेरी समस्याओं
के हल निकलते नहीं,और बस हर दिन निकल जाता
तमाम भीड़ जाने कान्हा कान्हा लग जाती हैं,
और हर दिन यू ही निकल जाता हैं,क्या और किसको
जवाब,दू या सवाल पूछ लू,बस ऐसे ही हर दिन
की तरह आज भी बीत ही जाता हैं,😀☹️
😀मल्लिका जैन ☹️

गुरुवार, 13 अगस्त 2020

मेरी अटकलें 💢

मेरी अटकलें,तुम्हारी जरूरत सी क्यों है,
तुम कहीं नहीं हो तो, मै मानती क्यो नही,
मेरी अटकलें तो शक्ले बना और बिगड़ती
रही हैं ,फिर तुम कान्हा हो,क्या ये तलाश,
तुम्हारी भी है या सिर्फ मेरी हैं,मेरे पास,
कुछ नहीं तो क्या तुम्हारे पास भी कुछ
अपनी अटकलें हैं,आज फिर कोई रूप
में निकलेंगी देखो आज क्या बनाती हैं
मल्लिका जैन 💢

बुधवार, 12 अगस्त 2020

किसका कितना हिसाब💃🧮

हिसाब, लगाते ज़माना हुआ,न तो सही हिसाब जमा
न हिसाब का कोई सबूत मिला,कितना और कैसा कब
ख़त्म हुआ, पूरा किसने किया, कोन जान पाया है,
मैं भी तो बहुत लगाई हिसाब पर हांथ कुछ नहीं आता,
सब थक जाते हैं,कोई नींद से जागा तो कोई कहीं फिर
से सो गया,बोलो अब तुम ज़रा किसका कितना हिसाब,
🧮💃🏌️
🤯मल्लिका जैन 🧮

सोमवार, 10 अगस्त 2020

कितनी बेवकूफियां

बांट  है सब आज कल प्यार के नाम कि दुहाई दे कर,
जिसको देखो प्यार का राग सुनता है,अपना खुद का पता, नहीं और मुझ को मेरी हदे समझाता हैं,मूर्खो
की इस दुनियां में, काश कोई दिमाग वाला भी होता,
क्या समझ दुनियां की किसी को जो, भी देखो, बेवकूफी,
का राग मल्हार गाता है,प्यार का मतलब क्या जिनको
पता नहीं,वो चला है वादे निभाने, मुझ को हकीकत
में मारने कि हिम्मत कान्हा है इन लोगो में जो मै
अपने बेटे को भी संस्कार न दे सकी तो मा ही क्या😀
मल्लिका जैन

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

कितनी बार समझा




कितनी बार समझा तुम्हारी नादानियों है को
अब तो सुधर जाओ कैसा नामो निशा है तुम्हारा,
क्या तुमको मेरे मान सम्मान का ख्याल नहीं,
हद करते हो,अपनी हद से गुज़र जाते हो,मेरी,
नज़रों में क्यों अपना सम्मान गिरते हो,जितना,
तुम समझ रहे इतना तो मैं जानती नहीं,फिर ,
क्यो अपनी दादा गिरी दिखाते हो,जानते हो,तुम
कभी जीत नहीं पाओगे,फिर क्यो इतना इतराते
हो, कैसी व्यवस्था है तुम्हारी, कहूं अच्छी हैं या
खराब,मत इतना उकसाओ मुझे की फिर,मेरा,
किसी को रोद्र रूप देखना पड़े, किसी को बेमौत
मरना पड़े,अब तो मेरी क़दर और सम्मान करो,
अब तो सुधार जाओ,कभी तो अपनी बेवकूफियों
से बाहर आओ, अब तो सुधर जाओ,कभी तो
हदो में रहना सीख जाओ,सम्मान क्या होता है,
इसका अंदाज भी है तुम्हे,और कितनी बर्बादी,
क्या हर रोज कहीं जश्न मनाओ,या फिर शान्त रहू
फैसला कर ही लों जियोगे या मारोगे तुम,अपनी
हद में रहो 🙏

सोमवार, 3 अगस्त 2020

❇️राखी❇️

मेरी प्रार्थना,और राखी का त्यौहार, साल२०२०
और राखी का त्यौहार,लगता जैसे  अपने में
कहीं ख़ुश और कहीं ख़ामोश, कैसा राखी का
ये त्यौहार, में जानती कुछ कम हूं और तुम,
रहते हो कहीं तो, कभी तो राखी,मानते होंगे,
कितना अच्छा है ये राखी का त्यौहार, बहन
और भाई मनाते संग,में माता पिता भी, हैं इसको
मनाते,कभी खुश तो कभी भोजन की सौगात,
हां ज़रूर अच्छा है ये राखी का त्यौहार ❇️

शनिवार, 1 अगस्त 2020

❤️ आदतन हम ऐसे हैं 💕

आदत में शुमार कितनी ही नेमते हैं,मेरे पास तो
बस कुछ पलों के ही सहेजे फूल है,वो भी,तो,मेरे,
नहीं,फिर भी जाने क्यों हसीन लगते हैं, और कहे,
भी क्या अब तो पुण्य और कर्म दोनों भी, कम पड़,
जाते हैं,कोई रास्ता , कही और कहीं,यही मेरे,फिर,
से दोस्त बन जाते हैं, ये कैसे कहे कि हम ही अपने,
दोस्त, हैं और आदत है कि मानती नहीं,अक्सर,
ख़ामोश है कम्बख़त बदलती ही नहीं 😠

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...