सोमवार, 23 दिसंबर 2019

😂 सकारात्मक सोच 👌

🤲 समझ नहीं आता किसी को अधिकार क्या है,की✨
💨की मेरी रूह को परेशा करे,या मेरी ज़िन्दगी के सौदे करें, मै जिऊ कैसे,और मरू कैसे,कहते है सब अच्छा 
कहते हैं,सच कितना, झूठ और बोना बन गया,नकाब 
पे सब कुर्बान हो गया,काश कि मिल सकता, सुकून मुझे
कहीं तो उसे उससे ही मांग लेती,वो दोस्त शायद मेरा बन
जाता,समय के पल सब खत्म हो गए, इस्त्री की समझ नहीं,और कहते है खुदा हो गए👏
🤷🤷🤷🤷😈👿

गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

👌हकीकत 😀

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
👏 हकीकत 👌
😄सोहबत, कितनी हसीन ये तो सिर्फ मै ही जानती हूं 😄
🤗कहीं तो उसका कभी कोई पता मिलेगा🤗
😀क्या करू उसकी इबादत,पूजा,या व्रत उपवास🤗
❣️कहते हैं सब जिसको ज़िन्दगी,ये कैसी है 🤗
👌अच्छी, या बुरी,ये कौन जाने,आज फिर किसी💢
🤲और रहा चलू,फिर से उसे कान्हा तलाश करु💢
💤मुझ को समझ नहीं,और दुनिया के अपने ही फलसफे💦
🤯सोचती हूं,दर्द,की सौगात,या मोहब्ब्त का रिश्ता💌
✨आज भी किसी तरह शाम हो गई 💢
😂किसे जीना कहते हैं और किसे मौत,ये तो✨
💨वो ही जाने,चलो कभी और सुंदर शायद👌
💞कुछ तो होगा,ही,अस्तु👌
🤗 मल्लिका जैन 🤲
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

आदत

आदत उसकी पड़ ही गई,👌👍🥰

न जीने का पता ही देती हैं न मरने
की कमी महसूस होने देती है,
भला मौत से क्या डरु कल आती
हो आज ही आ जाये, एक बार
आ ही जाए ज़िन्दगी अब तुझे जीने
का शौक ख़त्म हो गया,तुझको
संवारने के किस्से भी ख़त्म हो ही
गया, जैसे कोई पुराने खत में
लिपटी याद थी तू, आज तो तूने
मेरा वजूद ही मिटा दिया, न दर्द
का अहसास बचा न किसी का
डर की कमी ही रही तू तो
इतनी कामिनी न थी तुझे कब से
ये सोहबत लग गई, कहते है कोई
प्यार से ज़िन्दगी संवर जाती हैं
यंहा तो न प्यार पे भरोसा ही रहा
और न ही धर्मो के उपदेश की फिक्र
किसे कब मुझको जला के फूंक ताप
दिया, इसकी भी खबर न हुई,
अब इस शरीर मे जीत कौन है,एक
खामोश सोहबत या फ़िर कोई बेनक़ाब
सी फ़ितरत में तुझे मारू किस तरह,
कोई औज़ार तो मिले और तू भी
दिखाई तो दे, मारने की कीमत भी न
लगा उ और कोई तोफा भी न मांगू
हंसु इतना कि आंसू आ जाये
ज़िन्दगी चल आज फिर तुझे अपना
ही किस्सा सुनाऊ,🤗

रविवार, 8 दिसंबर 2019

💐🌼🙏आज कल उसकी बाते🙏🌼💐

💐🌼👌खूबसूरत और जहीन 👌🌼💐

💐अपनी सुंदर ज़िन्दगी, तुझसे क्या मांगू 💐
💐कभी धर्म,और कभी विज्ञान,या रस्मो रिवाज💐
💐 मेरे पास तो कुछ नहीं,किसी को किसी सेवास्ता 💐
💐 भी,नहीं मेरे बारे में तू कोई फैसला ले तो सही💐
💐आज मै क्या हूं,अब भी वजूद नहीं,बात सिर्फ पैसे💐
💐की नहीं,मेरे मुकद्दर,में क्या सोहबत भी नहीं?फैसला💐  💐   कोन करेगा,मेरा,किसको पूछ लू,की बात क्या है 💐
💐और कब तक इस तरह जिएंगे,कभी तो, मुस्कुरा भी💐
💐या हर रोज तेरे लिए कोई,तरकीब निकाली जाए💐
💐तक उनका कोई, सलीका भी नहीं,सभी जहीन 💐
💐 और हसीन है,और मेरी किसी से सोहबत नहीं💐
💐जिसकी, तलाश में उम्र गुज़र गई,आज उसकी💐
💐मुझे कोई बात बता,ठहर कुछ पल और बीत 💐
💐फिर भी मेरे पास उसकी खबर नहीं,👌🌼🙏
🌀🌿🌀🌿🌀🌿🌀🌿🌀🌿🌛🌀🌿🌀🌿
🌿🌀मल्लिका जैन 🌀🌿

शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

💐🙏 सोचे तो कभी🙏💐


🤩🤩 साथ ही केसे 🤩🤩

🌿तमाम उम्र कान्हा कोई साथ देता है,🌿
🌿बिखरते लम्हों में कुछ रुका सा रहता है 🌿
🌿मै कितने प्रया स करू,और समझ क्या🌿
🌿तू खूबसूरत कितनी,और में ज़हिं न कितना🌿
🌿 हर तरह की उलझ न संसार में, न तरकीब 🌿
🌿न कोई तहरीर, बस चलते हैं, पुकारे भी तो किसे🌿
🌿 मुकददर संवरता ही नहीं,किसी को रहा मिली🌿
🌿और किसी को पनाह,हर किसी को अपनी जीत🌿
🌿की फ़िक्र,किसी को ,तो खुशी कहीं से मिलती🌿
🌿मेरी ज़िन्दगी तो तूने, बंटी कितनी बार,कभी खुद🌿
🌿 मुकदर संवार लेती,मै गुनगुनाती और तू बन 🌿
🌿बेहतर बन जाती मै अच्छी तो बहुत हूं,पर मेरी🌿
🌿भी हद है,आज कुछ सूख कुछ दुःख बट गए🌿
🌿 यानह किसको क्या बोले, सबसे बेहतर🌿
🌿 ज़िन्दगी,फिर भी तू है,रही बात मृत्यु तो उससे🌿
🌿बेहतर तो कुछ भी नहीं😌😌😌🤩🌿
🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀

शनिवार, 30 नवंबर 2019

🧞ज़िन्दगी के तमाशे👺

।।🌻ज़िन्दगी के तमाशे🌻।।

🌼🌻🤗🤔🥰🤩😁🙈🙊🙉🌻🌼
।।🌼हर दिन यहां कोई तमाशा होता है,किसी की रोटी🌼
🌼और किसी के सच का बिखराव होता है, मै किसी लिए🌼
🌼चुप हो जाती हूं और किसी, तरह कोई उबाल उबाल🌼
🌼जाता हैं,जब जब मुझ को ज़िन्दगी तू नज़र आती हैं 🌼
🌼तेरे साथ कमबख्त,चुनौती,सकूं,सब नज़र आता है 🌼
🌼 मै तुज को कितना भी सुकुं क्यों न दू,  बेवफा ही🌼
🌼रहती हैं,में महज़ नज़्म बनती हूं,तू, कोई नया ही🌼
🌼गीत बना लेती है, मे बेवफा नहीं,और तू इतनी हसीन🌼
🌼भी नहीं,फिर तुजको जी भी तो रही हूं, इन सांसों का🌼
🌼क्या हिसाब चूका दू,न तुम मेरी क्योंकि में तो तेरी🌼
🌼रचना कार भी नहीं,अब तुम ही बताओ किसका सच🌼
🌼किसका झुठ,क्या मोल चुकाओगी,कभी हंस लू तो🌼
🌼तू बिगड़ जाती हैं 🌼रो लू तो मेरा ही किस्सा मुजको 🌼
🌼 सुनाती है तू,अच्छी या बूरी तू ही जान,पर मुझसे और🌼
🌼हिसाब मत मांग, यांह आ तो, ईश्वर,अल्लाह,भगवान🌼
🌼सब के सब एक ही नज़र आते हैं,एक ही बात न वो 🌼
🌼मिलते न तुम है मिलती हो,उस पर,नखरे,कितने, 🌼
🌼इतना तो बता, सम्हालू कैसे,🌻🌼
,🌼चल किसी और दिन बात करती हूं आज विदा करती हूं🌻🌼🌻🌻🌻🌻☘️☘️🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌿💐🏵️🌸🌺👌🌀।।🙏
मल्लिका जैन,☘️😌

सोमवार, 25 नवंबर 2019

✨अपनी बात💫

🌹अपनी बात🌹
☘️☘️☘️☘️☘️☘️
🧞आजाद ही सोच रही हूं😋
😁मनुष्य की इंसानियत अच्छी या फिर😂
🤣ज्जबतो की जद्दोजहद,😭
😃कह तो मैं भी देती हूं,ज़िन्दगी तू अच्छी हैं😁
😆पर तुम तो जीने के हुनर आ कर भी,😅
🤣बदल देती हैं,मेरे हुनर की बात ही क्या करू,😆
😁शायद मुझ को समझ और नहीं,😋
😁कही दुनिया खूबसूरत तो इसकी,😋
😡तकलीफें का बखान क्या करू🤑
😩मैं सिर्फ मै होती तो भी जी लेती,😦😝
🤪पर कही,लोगो की समझ का क्या करू,😝
👺मल्लिका जैन👺
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🥰


गुरुवार, 7 नवंबर 2019

🤑परीशतिश 🤪


🌼🌺परितिश 🌺🌼👌🌹🌻

😂कान्हा जाऊ काबा या काशी🧐
🥺उसकीसोहबत हीनहींमिल रही,जोनसीबबन गया,😵
🤯जाने क्या है वो,ज़िन्दगीको जीने की ख्वाहिश यातरीके,😬
😳या उसकी कोई तस्वीर, रंग भरू तो किसमे, 🤯
♥️सब में उसका नूर समाया है,💟
💗क्या धर्म क्या मोहब्बत,और क्या ही विज्ञान,क्या 💗💓उसकी अदा,ज़िक्र किसका करू,,🏵️🌿💖
💞मुस्कुरा लेती हूं ये सोच कर कि शायद वो खुश हैं,💕
💌रो लेतीहूं येसोचकर किशायद मुझ मै हीकमीहोगी,
💞वो कितना ज़हीन और अदब सिखाता दुनिया को☘️
❣️और मै उसके सफर में शामिल होकर भी उसको तलाश कर रही हूं,💨
💥खुद को तसल्ली किस तरह दू 💐
💤क्या नक्श कदम, क्या खातिर उसकी करू💮
🗨️सबउसकी हीनेमत हैऔर मुझे मेरा पता न उसका,👌
💢अब कभी वो कह ही देता की, उसकी हसरतों की महफ़िल क्या है, ?👏
🤲पूजने वाले की कमी नहीं उसके👑,
👌और मै उसकी पुजारान भी नहीं,🤷
🙇
With respect
Mallika Jain 🌹

शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

ज़िन्दगी😇

🌾☘️ज़िन्दगी,🌿🌻

🌻और कितना तुझ को अपना मान लू कभी तो मुस्कुराने🤗 का मौका दे मुझे👌
🥰मेरी एक मुस्कुराहट की कितनी कीमत लगाएगी,
💐कभी तो खुल के हसने भी दे,🏵️
😂मैं जाने के इंतजार में सब मगर किसी की हिम्मत मेरे
साथ चलने की भी नहीं,🤔
😭राह में सब चलते है,मगर मेरा हो जाने की ओकात 
किसी की नहीं सब के दिल ....,😍
🌻काश कि मेरा भी दिल इतना कठोर हो जाता तो 
मैं भी मान लेती,🙏
💩मगर पत्थरों से कितना किसको मारू👹
👺और मोहब्बत की कदर किसी को नहीं।😇
💅एक मां के प्यार को भी समझ सके इतनी🙋
भी हस्ती किसी की नहीं।
😀🌼🌸🌻🌹

सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

✨थकान🧞💫

🤔थकान,👌
💐ज़िन्दगी,तू इतनी बेज़ार कैसे हो गईं,👍
💐तुझ से खफा हो भी जाए तो भी,👍
💐तुम कहीं रुकती नहीं,👍
💐मुझे चाहती तो तू कभी भी नहीं थी,👍
👌सोचती हूं मौत ही आ जाती तो अच्छा होता,🥰
💐कमबख्त रोज जीती हूं किसी दिन तो👍
🏵️रात के अंधेरे से निकल जाती तुम कितना🥰
👍भी कहो तुम बदलोगी नहीं, और में अब👌
😭तेरे लिए बहुत जी ली अब अपने लिए💐
🤔जीने की तलाश करू तो कैसे,🤔
😆सबको मै शायद समझा नहीं सकती,😅
🤣फिर भी जी लेती हूं,😁
🤣काश कि पैदा है न होते तो बेहतर था,😭
😙यंहा अपना तो कोई भी नहीं,😘
😊सब मतलब के साथी है,🤩
🥰झूठ का तमाशा,और ज़िन्दगी तेरा मेला🧐
🤐हैं,उकता गई हूं अपनी ही बार बार की हार🤫
🤭से कहते हैं लोग की जीत जाती हैं अक्सर🤯
😇हिम्मत पर मै थकी नहीं, और तुम🤓
🥳मुझ से जीती नहीं,👀
✍️किसी दिन ज़िन्दगी और मौत दोनों मिली🤳
🙏तो पूछूंगी, की मौत अच्छी या ज़िन्दगी,💅
🧠दिमाग की बाते या वातावरण ,💫
💬कुछ बदला ही नहीं,💤
👁️‍🗨️बरसो से तुम मुझे सताती ही आई,👂
🦶कभी मुझे हंसा भी देती,🦴
🖖तुम मेरे किसी काम की नहीं,👆
👉आज भी मै तन्हा ही हूं,👈
🤙और यहां अपनों का कोई पता भी नहीं,🤞
🖕सब झूठ के ताने बाने है,सच की किसी को🖖
😝कद्र भी नहीं ज़िन्दगी अब तेरी थकान दूर करू,🤪
😋ऐसी कोई तहरीर मिल जाए शायद,🥺
😦अपने अकेले पन कि मुझे अब😓
😖आदत नहीं, लोगो को क्या दिया😩
😫ये तो पता नहीं पर मुझ को तेरी🤢
😠सोहबत रास नहीं आई,😡
🌚मेरी थकान तू खुद उठा ले,🤑
🥳अब मेरे पास और इसकी जरूरत नहीं।👺
✨मल्लिका जैन💫
🧞🧞

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2019

🌾जीने की ज़िद🌾

👌जीने की ज़िद☘️

👍ज़िन्दगी तुझ को जान कर भी जान नहीं पाई,🥰
🥰जीते जीते थक गई,और तू तो कभी मिली है नहीं,🌿
🥰मै भी तुझ पर भरोसा कर बैठी,न तूमेरी कभी थी,🌿
🥰बस सांसे है इसलिए जी लेती हूं,जाने कब मौतआ🌿
🥰जाए पर क्या वन्हा भी कहीं सुकून होगा,🌿
☘️जिसेतलाशतेबरसो बीत गए हो कान्हा हैऔरक्या 🌼
🌼है पता नहीं, मै इंसान तो हूंपरशायदकहीं कुछऔर🌼
🤩भीहोगई याबनगईपता नहीं, सच्चाईआज भीचुप है,
🌻जैसे सब केअपनेअपने फलसफे,कोई कुछऔर  🌼
🌻कुछ किसी एक पल भी कभी मुझे रुला देता हैं,🌼
🌻और दूसरा हंसाने की ख्वाहिश में जाने क्या 🌼
🌞कर देता हैं फिर भी 🙏🤗
🌻ज़िन्दगी तुझ को जिया हैं,🌻
🌿🌿🌿☘️🌾


सोमवार, 30 सितंबर 2019

👌 गणपते नम्हा👌

A good work with Mobile, some app are good for work,
Mallika Jain

💐आजकल💐

😀💐💖आजकल💖💐😀

आजकल ज़िन्दगी अपनी ही कहानी सुनाती है,
कभी हंसती मुझे दिखाई तो दे
जाती हैं,पर मिलती नहीं,
हुई मुद्दत से खुद को समझ ती समझाती है शायद,
कभी दिन प्रतिदिन कि कहानी तो कभी, इसकी उसकी ज़ुबानी,
कभी सियासतों के किस्से तो कभी,प्यार मोहब्बत की बाते,
जाने क्यों मुझे इनमें कुछ सच दिखाई नहीं देता,
न प्यार कही है न नफरत ही,
मुश्किल से कुछ समझ लेती हूं तो कभी आसान बात यू
ही कह देती हूं,
पर इस सब में आज भी कहीं कोई है, जिसके अस्तित्व की
मुझे तलाश,जवाब कोई देता नहीं,
ऊपर से ज़िन्दगी की जदो जहत,कितनी सही कितनी,
अपनी कितनी नई और कितनी पुरानी,
सब अच्छा ही होगा ये तो तय है मुझ को समझाते हुए
बरसो बीत गए, पता नहीं कमबख्त ज़िन्दगी मुझ से कुछ सीखती हैं या मै इससे ,
चलो आज फिर से नया दिन निकल गया है, देंखॆ
मुझे आज क्या कहती हैं 💖💐🙏
मल्लिका जैन



बुधवार, 31 जुलाई 2019

😂Feelings 😂

Feelings👪

No one can undarstend,🤔
Pain in a Lady,😪
Feel like,marvles💢
Feel like, my self,💝
Feel,lile I am,🙏
No such thing,👏
in this whole  world🔵
Like a Lady,because👩‍⚖️
I am a Lady,👩‍🌾
And only I am able to forgive,🙌🙏
Everybody, because,🤚
I know my,Self well,👌
My request to all please,🙏
Tack care of your loved ones,💖
Till fight is not required,not fight,😷
A family,A Frind,A child,A guru💫
A tree,A bird, you all my whole,💞🌐🗺
live  happly,whol environment.
Sweet night is good,🖤 🔱⚜A day is good,🔆💟🔅
As,par my opinion,💭
Expect my innar beings. ..
💕🤝☸🕉☸ 💗💖☯✝☪☮✡🔆

Not :-please as simple,these word life is good🌹
'' I can not change  other but I create  my self better living ''

Mallika jain.


शुक्रवार, 19 जुलाई 2019

👌😂तमाशबीन दुनिया तमाशे की👌🤔

तमाशबीन दुनिया तमाशे की

तमाशा बिनो की दुनिया में आज एक नया नाम फिर
तेरा जुड़ गया, तू जाने क्या है? आज तेरे अस्तित्व
पर फिर प्रश्चिह्न् लग गया?
मेरी सामान्य भाषा तू समझ नहीं पाता और तेरी
उलझी बातो की समझ मुजको नहीं,
तेरे कितने ही फैसले हर पल बदल गए,
मेरे जख्म आज फिर हरे हो गए,
में रो भी लू तो कहते है तेरी मर्जी हंस लू तो तेरी मर्जी
फ़र्क इतना है तुझ में और मुझ में तुम दूर की भी देख
लेते हो,और मेरी तो सांसो का भी हिसाब,नहीं,
बस में होता मेरे तो जला और फूंक देती अपने
दोषी को, जिसे मेरी फिक्र नहीं उसे तू मेरा
रहबर बना देता है, खुद दूर कहीं रहता है,
मुझ से जीत नहीं पता तो मुझ को ही दोषी बना देता है,
कभी तो अहसास ही कर लेता मेरी तकलीफ का,
कभी तो रो ही लेता अपने उत्सव के जश्न पर,
कब मुस्कुराया होगा तू तेरी जीत पे,
कितनी शब्दावलियों से तूने शब्द खोजे होगे,
न इंसान ही है तू न देवता न दानव न अवतार,
तू क्या है तू ही जान, काश मुझे समझ सकता,
कभी तो मै भी तुझे अपना दोस्त कहती,
मल्लिका जैन

तमाशबीन दुनिया तमाशे की

तमाशा बिनो की दुनिया में आज एक नया नाम फिर
तेरा जुड़ गया, तू जाने क्या है? आज तेरे अस्तित्व
पर फिर प्रश्चिह्न् लग गया?
मेरी सामान्य भाषा तू समझ नहीं पाता और तेरी
उलझी बातो की समझ मुजको नहीं,
तेरे कितने ही फैसले हर पल बदल गए,
मेरे जख्म आज फिर हरे हो गए,
में रो भी लू तो कहते है तेरी मर्जी हंस लू तो तेरी मर्जी
फ़र्क इतना है तुझ में और मुझ में तुम दूर की भी देख
लेते हो,और मेरी तो सांसो का भी हिसाब,नहीं,
बस में होता मेरे तो जला और फूंक देती अपने
दोषी को, जिसे मेरी फिक्र नहीं उसे तू मेरा
रहबर बना देता है, खुद दूर कहीं रहता है,
मुझ से जीत नहीं पता तो मुझ को ही दोषी बना देता है,
कभी तो अहसास ही कर लेता मेरी तकलीफ का,
कभी तो रो ही लेता अपने उत्सव के जश्न पर,
कब मुस्कुराया होगा तू तेरी जीत पे,
कितनी शब्दावलियों से तूने शब्द खोजे होगे,
न इंसान ही है तू न देवता न दानव न अवतार,
तू क्या है तू ही जान, काश मुझे समझ सकता,
कभी तो मै भी तुझे अपना दोस्त कहती,
मल्लिका जैन

मंगलवार, 16 जुलाई 2019

😖😡आदत😈👿

आदत
आदत कुछ उसकी पड़ ही गई,
न जीने का पता ही देती हैं न मरने
की कमी महसूस होने देती है,
भला मौत से क्या डरु कल आती
हो आज ही आ जाये, एक बार
आ ही जाए ज़िन्दगी अब तुझे जीने
का शौक ख़त्म हो गया,तुझको
संवारने के किस्से भी ख़त्म हो ही
गया, जैसे कोई पुराने खत में
लिपटी याद थी तू, आज तो तूने
मेरा वजूद ही मिटा दिया, न दर्द
का अहसास बचा न किसी का
डर की कमी ही रही तू तो
इतनी कामिनी न थी तुझे कब से
ये सोहबत लग गई, कहते है कोई
प्यार से ज़िन्दगी संवर जाती हैं
यंहा तो न प्यार पे भरोसा ही रहा
और न ही धर्मो के उपदेश की फिक्र
किसे कब मुझको जला के फूंक ताप
दिया, इसकी भी खबर न हुई,
अब इस शरीर मे जीत कौन है,एक
खामोश सोहबत या फ़िर कोई बेनक़ाब
सी फ़ितरत में तुझे मारू किस तरह,
कोई औज़ार तो मिले और तू भी
दिखाई तो दे, मारने की कीमत भी न
लगा उ और कोई तोफा भी न मांगू
हंसु इतना कि आंसू आ जाये
ज़िन्दगी चल आज फिर तुझे अपना
ही किस्सा सुनाऊ,😠

शुक्रवार, 7 जून 2019

परिवार

आज कुछ समय से मैं सोच रहा,
उम्र के दरवाजे पर, कुछ देख रहा,
बच्चो और परिवार के सदस्यों को
समेटे कर चलती बिटिया को सराहा
लेता हूँ, मन की पवित्र स्थली में कुछ
पल और समेटे लेता हूँ, जाने कब समय
बदल जाये पत्नी को भी निहार लेता हूँ,
कहता कोई धर्म और और कोई कुछ,
मैं तो बस अपनी बनाई दुनिया मै
सब पा जाता हूँ,
अपनी मेहनत की कमाई पर नाज है मुझे,
क्या कहूं उसे, बनाई एक पवित्र स्थली,
रहने को, जतन से कहते बच्चे,छोड़ो उसे
तो में लम्बी सांस ले चुप हो जाता हूँ,
मेरी मेहनत की कीमत क्या कोई लगाएगा,
मै आज भी अपने परिवार मैं जी लेता हूँ

रविवार, 10 फ़रवरी 2019

💮पढ़ाई 💮

💮पढ़ाई 💮
मुझ को पढे अरसा हो गया, अब भी किताब
अच्छी लगती हैं,अम्मा बाबू जी का किताबो
के प्रति लगाव याद आ जाता हैं,बाबू जी की
रीडर डाइजेस्ट,धर्म युग, और कुछ उपन्यासों
भी,अम्मा के पुराण और कथा, उपवासों पर
होती पूजा, अम्मा का कथा सबको सुनना याद है,
बड़ी बहन का सबको साथ लेकर चलना,भाई का
फिर कोई न कोई बहाना बना देना, पीता की जाने कितनी
डांट के बाद भैया का डाक्टर बन जाना,
सब कुछ अच्छा ही हुआ,
कोई कुछ तो कोई कुछ बन ही गया,
पर अब भी समस्याओं का सिलसिला टूटा नहीं,
पीता की पेंशन,और बड़ी बहन की पेंशन से घर का
खर्च चलता है,और क्या कहे मेरे मोबाईल का बिल
भी उसकी ही जेब से जाता हैं,अम्मा की दवाई भी
लाती है,अब तो और बड़ी हो गई है ,लोगो के भी
दर्द बांट लेती हैं,
समय बदल गया, लोग भी कुछ नए मिल गए,
एक मै ही जाने कब से खुद की तलाश कर रही हूं
पता मिलता ही नहीं।
अपने बेटे से कहती हूं कुछ तो पढ़ ले,
जवाब में उसके कुछ गाने सुन लेती हूं,
और फिर मेरा खुद का गानों के साथ पढ़ाई करना याद
आ जाता हैं
तो कुछ सपने मेरे कुछ परिवार के
पढ़ाई के नाते रिश्ते अब न्यू टेक्नॉलाजी से जुड़ गए
पर किताबे अब भी वही है,और उनकी अहमियत भी
वहीं।

Mallika

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...