सोमवार, 23 दिसंबर 2019
😂 सकारात्मक सोच 👌
गुरुवार, 19 दिसंबर 2019
👌हकीकत 😀
👏 हकीकत 👌
💨वो ही जाने,चलो कभी और सुंदर शायद👌
💞कुछ तो होगा,ही,अस्तु👌
🤗 मल्लिका जैन 🤲
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
गुरुवार, 12 दिसंबर 2019
आदत
न जीने का पता ही देती हैं न मरने
की कमी महसूस होने देती है,
भला मौत से क्या डरु कल आती
हो आज ही आ जाये, एक बार
आ ही जाए ज़िन्दगी अब तुझे जीने
का शौक ख़त्म हो गया,तुझको
संवारने के किस्से भी ख़त्म हो ही
गया, जैसे कोई पुराने खत में
लिपटी याद थी तू, आज तो तूने
मेरा वजूद ही मिटा दिया, न दर्द
का अहसास बचा न किसी का
डर की कमी ही रही तू तो
इतनी कामिनी न थी तुझे कब से
ये सोहबत लग गई, कहते है कोई
प्यार से ज़िन्दगी संवर जाती हैं
यंहा तो न प्यार पे भरोसा ही रहा
और न ही धर्मो के उपदेश की फिक्र
किसे कब मुझको जला के फूंक ताप
दिया, इसकी भी खबर न हुई,
अब इस शरीर मे जीत कौन है,एक
खामोश सोहबत या फ़िर कोई बेनक़ाब
सी फ़ितरत में तुझे मारू किस तरह,
कोई औज़ार तो मिले और तू भी
दिखाई तो दे, मारने की कीमत भी न
लगा उ और कोई तोफा भी न मांगू
हंसु इतना कि आंसू आ जाये
ज़िन्दगी चल आज फिर तुझे अपना
ही किस्सा सुनाऊ,🤗
रविवार, 8 दिसंबर 2019
💐🌼🙏आज कल उसकी बाते🙏🌼💐
💐🌼👌खूबसूरत और जहीन 👌🌼💐
💐या हर रोज तेरे लिए कोई,तरकीब निकाली जाए💐
शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019
💐🙏 सोचे तो कभी🙏💐
🤩🤩 साथ ही केसे 🤩🤩
🌿तमाम उम्र कान्हा कोई साथ देता है,🌿शनिवार, 30 नवंबर 2019
🧞ज़िन्दगी के तमाशे👺
।।🌻ज़िन्दगी के तमाशे🌻।।
सोमवार, 25 नवंबर 2019
✨अपनी बात💫
☘️☘️☘️☘️☘️☘️
🧞आजाद ही सोच रही हूं😋
😁मनुष्य की इंसानियत अच्छी या फिर😂
🤣ज्जबतो की जद्दोजहद,😭
😃कह तो मैं भी देती हूं,ज़िन्दगी तू अच्छी हैं😁
😆पर तुम तो जीने के हुनर आ कर भी,😅
🤣बदल देती हैं,मेरे हुनर की बात ही क्या करू,😆
😁शायद मुझ को समझ और नहीं,😋
😁कही दुनिया खूबसूरत तो इसकी,😋
😡तकलीफें का बखान क्या करू🤑
😩मैं सिर्फ मै होती तो भी जी लेती,😦😝
🤪पर कही,लोगो की समझ का क्या करू,😝
👺मल्लिका जैन👺
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🥰
गुरुवार, 7 नवंबर 2019
🤑परीशतिश 🤪
🌼🌺परितिश 🌺🌼👌🌹🌻
शुक्रवार, 1 नवंबर 2019
ज़िन्दगी😇
🌾☘️ज़िन्दगी,🌿🌻
सोमवार, 21 अक्तूबर 2019
✨थकान🧞💫
गुरुवार, 17 अक्तूबर 2019
🌾जीने की ज़िद🌾
👌जीने की ज़िद☘️
सोमवार, 30 सितंबर 2019
💐आजकल💐
आजकल ज़िन्दगी अपनी ही कहानी सुनाती है,
कभी हंसती मुझे दिखाई तो दे
जाती हैं,पर मिलती नहीं,
हुई मुद्दत से खुद को समझ ती समझाती है शायद,
कभी दिन प्रतिदिन कि कहानी तो कभी, इसकी उसकी ज़ुबानी,
कभी सियासतों के किस्से तो कभी,प्यार मोहब्बत की बाते,
जाने क्यों मुझे इनमें कुछ सच दिखाई नहीं देता,
न प्यार कही है न नफरत ही,
मुश्किल से कुछ समझ लेती हूं तो कभी आसान बात यू
ही कह देती हूं,
पर इस सब में आज भी कहीं कोई है, जिसके अस्तित्व की
मुझे तलाश,जवाब कोई देता नहीं,
ऊपर से ज़िन्दगी की जदो जहत,कितनी सही कितनी,
अपनी कितनी नई और कितनी पुरानी,
सब अच्छा ही होगा ये तो तय है मुझ को समझाते हुए
बरसो बीत गए, पता नहीं कमबख्त ज़िन्दगी मुझ से कुछ सीखती हैं या मै इससे ,
चलो आज फिर से नया दिन निकल गया है, देंखॆ
मुझे आज क्या कहती हैं 💖💐🙏
मल्लिका जैन
बुधवार, 31 जुलाई 2019
😂Feelings 😂
Feelings👪
Not :-please as simple,these word life is good🌹
'' I can not change other but I create my self better living ''
Mallika jain.
शुक्रवार, 19 जुलाई 2019
👌😂तमाशबीन दुनिया तमाशे की👌🤔
तमाशबीन दुनिया तमाशे की
तमाशा बिनो की दुनिया में आज एक नया नाम फिरतेरा जुड़ गया, तू जाने क्या है? आज तेरे अस्तित्व
पर फिर प्रश्चिह्न् लग गया?
मेरी सामान्य भाषा तू समझ नहीं पाता और तेरी
उलझी बातो की समझ मुजको नहीं,
तेरे कितने ही फैसले हर पल बदल गए,
मेरे जख्म आज फिर हरे हो गए,
में रो भी लू तो कहते है तेरी मर्जी हंस लू तो तेरी मर्जी
फ़र्क इतना है तुझ में और मुझ में तुम दूर की भी देख
लेते हो,और मेरी तो सांसो का भी हिसाब,नहीं,
बस में होता मेरे तो जला और फूंक देती अपने
दोषी को, जिसे मेरी फिक्र नहीं उसे तू मेरा
रहबर बना देता है, खुद दूर कहीं रहता है,
मुझ से जीत नहीं पता तो मुझ को ही दोषी बना देता है,
कभी तो अहसास ही कर लेता मेरी तकलीफ का,
कभी तो रो ही लेता अपने उत्सव के जश्न पर,
कब मुस्कुराया होगा तू तेरी जीत पे,
कितनी शब्दावलियों से तूने शब्द खोजे होगे,
न इंसान ही है तू न देवता न दानव न अवतार,
तू क्या है तू ही जान, काश मुझे समझ सकता,
कभी तो मै भी तुझे अपना दोस्त कहती,
मल्लिका जैन
तमाशबीन दुनिया तमाशे की
तमाशा बिनो की दुनिया में आज एक नया नाम फिर
तेरा जुड़ गया, तू जाने क्या है? आज तेरे अस्तित्व
पर फिर प्रश्चिह्न् लग गया?
मेरी सामान्य भाषा तू समझ नहीं पाता और तेरी
उलझी बातो की समझ मुजको नहीं,
तेरे कितने ही फैसले हर पल बदल गए,
मेरे जख्म आज फिर हरे हो गए,
में रो भी लू तो कहते है तेरी मर्जी हंस लू तो तेरी मर्जी
फ़र्क इतना है तुझ में और मुझ में तुम दूर की भी देख
लेते हो,और मेरी तो सांसो का भी हिसाब,नहीं,
बस में होता मेरे तो जला और फूंक देती अपने
दोषी को, जिसे मेरी फिक्र नहीं उसे तू मेरा
रहबर बना देता है, खुद दूर कहीं रहता है,
मुझ से जीत नहीं पता तो मुझ को ही दोषी बना देता है,
कभी तो अहसास ही कर लेता मेरी तकलीफ का,
कभी तो रो ही लेता अपने उत्सव के जश्न पर,
कब मुस्कुराया होगा तू तेरी जीत पे,
कितनी शब्दावलियों से तूने शब्द खोजे होगे,
न इंसान ही है तू न देवता न दानव न अवतार,
तू क्या है तू ही जान, काश मुझे समझ सकता,
कभी तो मै भी तुझे अपना दोस्त कहती,
मल्लिका जैन
मंगलवार, 16 जुलाई 2019
😖😡आदत😈👿
आदत कुछ उसकी पड़ ही गई,
न जीने का पता ही देती हैं न मरने
की कमी महसूस होने देती है,
भला मौत से क्या डरु कल आती
हो आज ही आ जाये, एक बार
आ ही जाए ज़िन्दगी अब तुझे जीने
का शौक ख़त्म हो गया,तुझको
संवारने के किस्से भी ख़त्म हो ही
गया, जैसे कोई पुराने खत में
लिपटी याद थी तू, आज तो तूने
मेरा वजूद ही मिटा दिया, न दर्द
का अहसास बचा न किसी का
डर की कमी ही रही तू तो
इतनी कामिनी न थी तुझे कब से
ये सोहबत लग गई, कहते है कोई
प्यार से ज़िन्दगी संवर जाती हैं
यंहा तो न प्यार पे भरोसा ही रहा
और न ही धर्मो के उपदेश की फिक्र
किसे कब मुझको जला के फूंक ताप
दिया, इसकी भी खबर न हुई,
अब इस शरीर मे जीत कौन है,एक
खामोश सोहबत या फ़िर कोई बेनक़ाब
सी फ़ितरत में तुझे मारू किस तरह,
कोई औज़ार तो मिले और तू भी
दिखाई तो दे, मारने की कीमत भी न
लगा उ और कोई तोफा भी न मांगू
हंसु इतना कि आंसू आ जाये
ज़िन्दगी चल आज फिर तुझे अपना
ही किस्सा सुनाऊ,😠
शुक्रवार, 7 जून 2019
परिवार
आज कुछ समय से मैं सोच रहा,
उम्र के दरवाजे पर, कुछ देख रहा,
बच्चो और परिवार के सदस्यों को
समेटे कर चलती बिटिया को सराहा
लेता हूँ, मन की पवित्र स्थली में कुछ
पल और समेटे लेता हूँ, जाने कब समय
बदल जाये पत्नी को भी निहार लेता हूँ,
कहता कोई धर्म और और कोई कुछ,
मैं तो बस अपनी बनाई दुनिया मै
सब पा जाता हूँ,
अपनी मेहनत की कमाई पर नाज है मुझे,
क्या कहूं उसे, बनाई एक पवित्र स्थली,
रहने को, जतन से कहते बच्चे,छोड़ो उसे
तो में लम्बी सांस ले चुप हो जाता हूँ,
मेरी मेहनत की कीमत क्या कोई लगाएगा,
मै आज भी अपने परिवार मैं जी लेता हूँ
रविवार, 10 फ़रवरी 2019
💮पढ़ाई 💮
मुझ को पढे अरसा हो गया, अब भी किताब
अच्छी लगती हैं,अम्मा बाबू जी का किताबो
के प्रति लगाव याद आ जाता हैं,बाबू जी की
रीडर डाइजेस्ट,धर्म युग, और कुछ उपन्यासों
भी,अम्मा के पुराण और कथा, उपवासों पर
होती पूजा, अम्मा का कथा सबको सुनना याद है,
बड़ी बहन का सबको साथ लेकर चलना,भाई का
फिर कोई न कोई बहाना बना देना, पीता की जाने कितनी
डांट के बाद भैया का डाक्टर बन जाना,
सब कुछ अच्छा ही हुआ,
कोई कुछ तो कोई कुछ बन ही गया,
पर अब भी समस्याओं का सिलसिला टूटा नहीं,
पीता की पेंशन,और बड़ी बहन की पेंशन से घर का
खर्च चलता है,और क्या कहे मेरे मोबाईल का बिल
भी उसकी ही जेब से जाता हैं,अम्मा की दवाई भी
लाती है,अब तो और बड़ी हो गई है ,लोगो के भी
दर्द बांट लेती हैं,
समय बदल गया, लोग भी कुछ नए मिल गए,
एक मै ही जाने कब से खुद की तलाश कर रही हूं
पता मिलता ही नहीं।
अपने बेटे से कहती हूं कुछ तो पढ़ ले,
जवाब में उसके कुछ गाने सुन लेती हूं,
और फिर मेरा खुद का गानों के साथ पढ़ाई करना याद
आ जाता हैं
तो कुछ सपने मेरे कुछ परिवार के
पढ़ाई के नाते रिश्ते अब न्यू टेक्नॉलाजी से जुड़ गए
Mallika
मानो तो सही
उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...
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🌅ये तेरे मेरे सपनो की हकीकत का मुकाम जन्हा कन्हआ है प्राप्ति तेरे मेरे बीच तृप्ति का फलसफा क्या नया है तुम कभी मानोगी तृप्ति में शिव बनू या...
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वफ़ा इश्क का फसाना मशहूर हो गया शिकायत और शिकवे भी शामिल हो गए चलो कुछ दूर चलते हैं, फितरत तुम्हारी पसंद इतनी मुझे की तुम मशहूर और में भी मशह...
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अहससो में मंजूरी दू या राहों में तस्वीर सी बने मंजूर क्या करू मेरा फैसला भी बेहतर बने रूबाई या शहनाई, वादक,क्या कोई गजल बने गम या मुहब्बत ...