शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

प्रकृति

🌎प्रकृति 🌏

💐कितने रंग बिखरे है प्रकृति ने🏵️
💐कितने ही इन्द्रधनुष हर पल बनते बिगड़ते है🏵️
💐नहीं इनकी कोई भी अभिलाषा,खुदपे इतरालेतेहै🏵️
💐तुम देखो न देखो इनके रंग बरसते ही रहते है🏵️
💐बस मन का धनुष और विचारो की प्रत्यंचा🏵️
💐बलखाती इठलाती इनकी ही तरुनाई है🏵️
💐सर्द हवा चुन्नी और दुशाले की तरह🏵️
💐लोरियों की छाव में सुलाती है🏵️
💐धुप अपना  अन्गुठा मुहँ में लिए🏵️
💐धुप-छाव की ओट लेकर अपनापल्लू निचोड़तीहै🏵️
💐यू महकती है प्रकृति यु ही खिलखिलतीहै प्रकृति🏵️

मल्लिका


मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...