शुक्रवार, 13 मई 2022

😋उसकी इबादत😁

में थक गया उसकी इबादत में और वो थर भी नही
मेरी तहरीर में,मेरे लिए उसके पास कुछ था ही नही,
वो देता है क्या,मेरे दुश्मनों को मेरा ही रहबर बनाने
की साजिश करता रहा और दर्द मेरे अपनो को देता रहा
क्या कहूं उसे,उससे मांगने गई थी,और वो मुझ से लेता रहा, क्या हो तुम,कैसी फितरत है तुम्हारी, मेरा रहबर तू
हो नही सकता,और में तेरी गुलाम हो नही सकती, मेरी
दुनिया तुझ से बेहतर बन जाए शायद,मेरे बच्चे को जो
ठीक भी न कर सके वो मेरा ईश्वर हो नही सकता, कैसी
शजीजिश की है तूने मुझे क्या समझ लिया पता नही,
पर तू मेरा हितेशी हो नही सकता, मेरी तकलीफ को जो
अपनी ख़ुशी बना ले ऐसा ख़ुदा हो नही सकता😄
😁मल्लिका जैन😁

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...