👺👹मेरी हसरत, से क्या खेलते हो,किस बात पर तुम
इतराते हो,इत्र की कुछ बूंद ही तो हैं,फिर क्यो,
इतना मुझ को परेशान करते हो, ज़िन्दगी मेरी,
तुम्हारी, मोहताज तो नहीं,फिर भी मुझ से क्यो
और किस बात का बदला लेते हो, हा मै नहीं हूं
बाकियों की जैसी, तो क्या मुझे सताओगे, इस
तरह तुम मुझ से जीत नहीं सकते,कभी तो खुद
के बनाए नियम भी बादलों,क्या बादलों मै रह ते
हो,और अपनी जगह बनाने को इंसानों को तंग
करते हो, मुझ तक तुम कभी आए ही नहीं,तो,
किस बात पर तुम मुझ से इस क़दर तकरार ,
करते हो, मै ख़ामोश हूं इसका मतलब ये नहीं,
की तुम मुझ को परेशान करो,आखिर कब तक,
जिसको तूम मेरा कसूर कहते हो,वो मेरा नहीं,
क्या तुम रहोगे उस तरह जिस तरह मुझ से,
कहते हो,शायद नहीं,फिर भी इंसान तुम्हारे,
लिए मजाक बन गया,और तुम क्या बन गए,
मसीहा या फिर कुछ और, हा मै भी नाराज़ हूं
तुम से,क्योंकि जानती हूं कि तुम्हारी हद है,
मगर जिनको ठेकेदार बना दिया मेरी ज़िन्दगी,
का किस अधिकार से,मेरी सच्चाई का इतना,
मजाक कब तक,जानती हूं तुमको कोई,फ़र्क
नहीं पड़ता,फिर भी मेरी हर ख्वाहिश में तुम,
शामिल हो,शायद इसलिए,तो कुछ ऐसा ही,
करो,जला ही दो एक बार मुझे चिता पर,किस्सा,
खत्म तुम्हारी हर झनझठ,खत्म हो जाएगी,
न मै रहूंगी न तुम्हारे लिए कोई मुसीबत ही होगी,
आसान है न तुम्हारे लिए,तो फिर,हर बार जाने
देती हूं सिर्फ ये सोच कर कि कभी तो तुम,
बदलेगा मगर नहीं,तुम्हारे नियम कायदे कानून,
तुम्हारे लिए नहीं है ,बस बाकी लोगो से कब
तक लेते रहोगे,कभी खुद भी तुम ने दिया है,
किसी को,या फिर नहीं,मूझे समझ नहीं,
आते तुम्हारे फलसफे, छोड़ो,कभी तो तुम
समझ पाओगे,नहीं कहती की मेरी मान लो,
मगर मुझे जीने का अधिकार भी तुम क्यों,
छीन रहे हो या अपने राग राग में इतने मशरूफ,
हो की हमारी तकलीफ़ दिखाई नहीं देती,कब
तक ऐसा बेवकूफी से भरा जश्न मनाओ ,
क्या मुझ से नज़रे मिला पाओगे, जब मेरी,
जरूरत नहीं तुम्हें तो फिर किस बात का कानून
बताते हो,जिस दिन समझ गई तुम्हारे,फलसफे,
कसम से तुम्हे बताऊंगी की ज़िन्दगी कुछ और,
भी होती हैं,कभी तो?😠😡
मल्लिका जैन 🙋