शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

ये ज़िन्दगी

कुछ और की चाहत और ज़िन्दगी

सब कुछ वक्त से मिलता जुलता लगता है हर बार एक सच सामने आ जाता है, और हर बार खुद को झूठ लगता है,
कहते  कुछ और ही है,समझ कर भी अब चुप रहने की कोशिश करने लगे हैं,न वक्त ही हमारा होता है,न वक्त
की कोई ततबिर बनती, सोचती हूं अक्सर किसे दोष दू
किस्मत को वक्त को या फिर किसी को नहीं,
सबकी सोच को जांच परख लिया, अब क्या और तलाश करू
अपनी ही तलाश को नाम क्या दू,



गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

सच की बात

सच की बात ☺🌼🌸🏵🌹💮💐🌺



।।किसको क्या जीवन का अर्थ समझाए,
जो खुद नहीं समझे वो दूसरो को क्या समझाए,
बातो का जामा खर्च और कितना,
दाल चावल रोटी कपड़ा मकान मुख्य जरूरत भी जब पूरी न हो सके तो क्या अपनी आत्म कथा बताए
रक्षा प्रतिरक्षा का सिद्धांत कान्हा किसकी बात करू सम्बन्ध विच्छेद या क्या किसको अपनाने की बात करू,
मेरी मौत का ज़श्न सब माना ही के जीने की बात किससे करू,
ज़हन के हकदार बहुतेरे है सनम,
में ज़िन्दगी भी अब अपने ही नाम कैसे करू।।

🌼🌷🌸💮🏵🌹🌺

बुधवार, 5 दिसंबर 2018

मन की अवस्था

🌸मन की अवस्था💐

कुछ थोड़ी कच्ची गीली मिट्टी से सने मेरे हांथ,
इन सुंदर कांच की ख़ूबसूरती से बनें हैं
मेरे मन

कभी कुछ सपनों कि दुनियां में रहते ख्वाब,

समय पर जागते कभी रुकते  कभी चलते
जीवन से ख्वाब, में भी सुंदर सपनों कि ताबीर
सजा ही लेती हूं कभी मुस्कुराती हूं तो कभी मन
को माना लेती हूं

कैसे खूबसूरत बंद महकती मुस्कुराती खिलखिलाती
इद्रधनुश से सतरंगी ख्वाब, ये महकते गुनगुना लेते हैं,

इनका रहनुआ कहता है तो रूबाई भी पढ़ लेते हैं,

कभी कभी  पनाह लेते हैं कुछ सुकून ये भी पा जाते हैं,
मै भी आभार जाता ती हूं इनका,

मुझ से कहते बंद रह कर भी खूब खुश हैं

हम तो सदा ही महकते है, हम खुश हैं कि महकते है
तू खूब खुश रहे इसलिए हम भी खुश रहते हैं 🌹🏵🌼

मल्लिका

मानो तो सही

उम्र के दौर में क्या शिकायत तुमसे करू यू तो तमाम मसले है सुलझाने को पर  तुम सुनो तो सही कन्हा तक तुम्हे पुकारू  तुम कभी आओ तो सही, क्या मै ग...